Saturday, June 15, 2019

ग्लैडियोली के बल्ब



पिछले महीने के दूसरे सप्ताह में उसने इस डायरी में लिखा था, फिर महीना समाप्त होने तक बंगलौर में किसी और कापी में लिखा, पर वे पन्ने कहीं खो गये. इस माह के प्रथम सप्ताह में अस्वस्थता के कारण कुछ नहीं लिखा. जिस दिन बुखार हुआ, उन्हें अगले दिन बंगलूरू से वाराणसी की यात्रा पर निकलना था, वहाँ एक दिन रुके और अगले दिन इलाहाबाद, छोटे भाई की बिटिया का विवाह संस्कार था. छह दिन बाद लौटे, तब भी स्वास्थ्य पूरी तरह ठीक नहीं था. इस समय भी सिर भारी है और खांसी भी पूरी तरह से ठीक नहीं हुई है. उसके ही कृत्यों का फल है यह रोग. मन यदि तनाव से ग्रस्त रहेगा, शंका से ग्रस्त रहेगा तो...साधना और सत्संग से दूर विवाह की गहमा गहमी और चकाचौंध..ऊपर से रोज ही गरिष्ठ भोजन, तीन हफ्तों से बाहर का खाना...आधी-अधूरी नींद..ऊपर-ऊपर से कुछ भी कारण रहा हो, असली कारण तो कर्म फल ही है, यह उसे ज्ञात है. मन में उठा हर नकारात्मक भाव देह पर किसी न किसी रूप में तो प्रकट होगा ही. आज शाम को यहाँ नन्हे के विवाह का स्वागत समारोह है, जिसके लिए कार्ड्स देने में उन्होंने इतने दिन लगाये थे.

आज छोटे भांजे का जन्मदिन है. भोपाल में रहकर वह लॉ कालेज में दाखिले के लिए तैयारी कर रहा है. छोटी ननद ससुराल गयी है, उसके ससुर जी का स्वर्गवास हो गया है. कल उन्हें गोहाटी जाना है, परसों शाम को विवाह का स्वागत समारोह वहाँ भी है.

समारोह अच्छी तरह सम्पन्न हो गया, नन्हा वापस वहीं से वापस बंगलौर चला गया, अब घर पहुंचने वाला होगा. सोनू वहीं रह गयी है, घर में एक और शादी है, उसमें सम्मिलित होगी. आज हफ्तों बाद वे घर पर बैठकर टीवी पर एक धारावाहिक देख रहे हैं. क्लब से गाने की आवाजें आ रही हैं. कल महिला क्लब का वार्षिक उत्सव है, वे शायद ही जाएँ. उसका स्वास्थ्य पूरी तरह ठीक नहीं हुआ है. जून को किसी कांफ्रेंस में भी भाग लेना है. आज पिताजी से बात हुई, उन्हें चार दिन पूर्व हृदय के पास दर्द हुआ, उसके बाद उन्हें डाक्टर के पास ले गये. आज भी सुबह चक्कर आया तो डाक्टर ने दस दिनों की दवा दी है. दीदी व बड़े भाई से बात हुई, डाक्टर ने उन्हें ठंड से बचकर रहने  को कहा है.

पौने छह बजने वाले हैं शाम के, जून अभी तक नहीं आये हैं. वर्ष का अंतिम माह आ गया है, ठंड अभी तक नहीं बढ़ी है. यह पूरा वर्ष नन्हे और सोनू के विवाह की तैयारी में तथा विवाह समारोह मनाने में ही बीत गया. कल यहाँ के क्लब तथा दिगबोई क्लब की वार्षिक पत्रिका के लिए लेख व कविताएँ भेजी हैं. आज तीन पोस्ट्स भी प्रकाशित कीं. गुलदाउदी की तस्वीर फेसबुक पर डाली. सुबह पिताजी से बात हुई. अपने स्वास्थ्य को लेकर वह काफ़ी सकारात्मक लगे.

शाम के सात बजे हैं. सुबह तारों की छाँव में भ्रमण के लिए गये. नाश्ते में बनारसी चिवड़ा-मटर बनाया. साप्ताहिक सफाई का भी दिन होता है शनिवार. दोपहर को तिनसुकिया गये, शेष बची क्यारियों के लिए फूलों की पौध खरीदी, ग्लैडियोली के बल्ब भी. आज बड़े भाई ने पिता जी के लिए व्हाट्स एप पर एक अकाउंट बनाया है, जिसमें सभी परिवार जनों को शामिल किया है, ताकि उनका हालाल सभी को नियमित मिलता रहे. नन्हे से बात की पता चला वे अपने दफ्तर में हैकाथन करवा रहे हैं, वह आज रात भर दफ्तर में ही रुकने वाला है. उसने बताया, सोनू के घर पर मेहमान आने शुरू हो गये हैं, बहुत बड़ा परिवार है उनका.   
 

4 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (17-06-2019) को "पितृत्व की छाँव" (चर्चा अंक- 3369) (चर्चा अंक- 3362) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    पिता दिवस की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बहुत बहुत आभार !

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  3. व्‍यस्‍तता और दिनचर्या के बीच ग्‍लेडियोलाई के बल्‍बों कीी मौजूदगी...जैसे जिंदगी झांक रही हो रिश्‍तों के बीच बीच में से कोई....

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  4. वाह ! कितनी सुंदर टिप्पणी..स्वागत व आभार अलकनंदा जी !

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