जीवन कितना अनोखा है, तितलियों और पुष्पों के रंगों सा अनोखा,
आकाश के विस्तार सा और सागर की गहराई सा..इसका हर पल एक नये विश्वास से भरा है. आज
की सुबह एक नया संदेश लेकर आई लगती है. कल रात्रि भगवद् गीता का अठारहवां अध्याय
पढ़ा. अनोखी पुस्तक है गीता अर्थात ग्रन्थ है, भगवान की वाणी है और इस युग में भी आज
के समय में भी भगवान की वाणी मौजूद है सद्गुरू के रूप में. आज नैनी को एक काम न
करने पर याद दिलाया तो आवाज में हल्का सा रोष था, जो बाद में स्वयं को ही चुभने
लगा. आत्मा जो हिमशिखरों सी शुद्ध है, गंगाजल से भी पावन है, जरा सा धुआं भी नहीं सह
सकती, और वे अज्ञानवश उस पर कितने कुठाराघात करते रहते हैं. कुम्हला जाती होगी
आत्मा, पर अब और नहीं, भीतर-बाहर की पूर्ण शुद्धि करनी है. धी, स्मृति और धृति को मजबूत
करना है. परमात्मा की कृपा हर क्षण उसके ऊपर है, आज भी स्कूल में एक तितलीनुमा कीट
उड़ते-उड़ते उसके पास आया, मानो अस्तित्त्व उसे आश्वस्त करना चाहता है. उसका प्रेम
अहैतुक है. उसे उसका मान रखना चाहिए. जीवन सत्य की साक्षी दे, उसका हर पल परम की
खुशबू से ओत-प्रोत रहे, जीवन की सार्थकता इसी में है. शाम को नियमित ध्यान करना
होगा, समय का सदुपयोग यदि सेवा में नहीं हो पा रहा है तो ध्यान में ही होना चाहिए.
अभी भी भीतर कई संस्कार हैं जिन्हें ध्यान में दूर होना है.
कल से उन्होंने ‘भारत
एक खोज’ के अंक देखने आरम्भ किये हैं. जून के एक सहकर्मी ने इसके सभी एपिसोड दिए
हैं. वर्षों पहले देखी यह श्रृंखला बहुत अच्छी लगी थी उस समय. आज दोपहर छोटी भांजी
से स्काईप पर बात की, विपासना के बारे में उसे बात करके अच्छा लगा. शाम को जून के
एक सहकर्मी व उनकी पत्नी आए, उन्हें भोजन के लिए कहा, पर वे देर से खाते हैं, दोनों
सब्जियां टिफिन में पैक कर उन्हें दीं, साथ ही केन का बना वह बैग भी जो शिलांग से
उनके लिए खरीदा था. नन्हे का फोन आया, वह काफी उत्साहित है. उसके यहाँ हैकाथन चल
रहा है, एक सौ बीस लोग हैं जो रात भर जागकर कोई नयी प्रोग्रामिंग करेंगे.
सुबह के सात्विक
वातवरण में परमात्मा की निकटता का अहसास कितना स्पष्ट होता है, यूँ तो वह हर वक्त ही
निकट है. आज स्कूल गयी तो बादल छाये थे, पर बरसे दोपहर को जाकर. शाम को गुलाब
वाटिका के निकट भ्रमण पथ पर टहलने गये तो हवा में फूलों की सुवास छायी थी. दीदी से
बात हुई, वे लोग आस्ट्रेलिया से अगले महीने भारत लौटेंगे. व्हाट्सएप पर रुमाली
रोटी बनाने का एक वीडियो देखा, कमाल का हुनर है.
पिछले दो दिन कुछ
नहीं लिखा. शनिवार को दिन भर मेघ बरसते रहे और इतवार को तेज धूप निकली. जैसे बाहर
का मौसम बदलता है वैसे ही भीतर का मौसम भी बदला करता है, वे न जाने कितनी बार गर्म
होते हैं न और कितनी बार ठंडे. उनका दिल समता में नहीं रह पाता. आज सुबह उठी तो
चार बजे थे, कोई समझा रहा था, ‘अहम् को गलाओ’. जून कितना ध्यान रखते हैं, दफ्तर से
फोन करके दवा लेने के लिए याद दिलाया और उसने उन्हें उलाहना दिया. अहंकार ही तो है
यह, फिर दो बर्र दिखाई दिए. उसे कुछ जताने के लिए अस्तित्त्व जैसे उनका रूप धर कर
आया था. कितना जीवंत है वह, हर घड़ी, हर पल वह है, यहीं है, साथ है उनके. आज सुबह
स्कूल से लौटते समय छोटी बहन व छोटे भाई से बात की. बड़ी भाभी अस्पताल से घर आ रही
हैं, दो दिन रहकर वापस जाएँगी. उसके अगले दिन उनका आपरेशन होगा. कल जून से उसने
कहा, उन्हें जाना चाहिए. वह भी तैयार हैं. सम्भवतः अगले सप्ताह वे जायेंगे.
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