आज होली है, हर बार से कुछ अलग रही आज की होली ! रंग को छुआ
भी नहीं, पर अंतर रंग गया हो तो बाहर के रंग और क्या करेंगे. दोपहर को स्वयं को
सोते हुए देखा, बिलकुल स्पष्ट, भीतर कोई जाग रहा था और देह शांत थी, श्वास भी गहरी
हो गयी थी. बाद में कोई स्वप्न चलने लगा. जब स्वप्न नहीं रहेंगे तभी पूर्ण मुक्ति
का अनुभव होगा. इस समय टीवी पर क्रिकेट विश्वकप का मैच चल रहा है. भारत बहुत विषम
परिस्थिति में है. पांच विकेट गिर गये हैं. शाम को नाश्ते में लिट्टी चोखा बनाया, होली
का विशेष भोजन. बड़ी भाभी अब पहले से बेहतर हैं, भाई शांति से उनकी देखभाल कर रहे
हैं.
आज सुबह उठी तो एक स्वप्न की स्मृति बनी हुई थी. वे नन्हे के घर गये हुए हैं. उसे अपने मित्रों के साथ एक विवाह में जाना है. मित्र पहले ही आ गये हैं पर वह स्वयं अभी आया नहीं है. आता है तो कहता है वह नहीं जायेगा, बिलकुल तटस्थ लग रहा है. एक दिन स्वप्न में गुरूजी को कितना स्पष्ट देखा था. एक में तो वह दूर से निकल जाते हैं तेज-तेज चलते हुए, दूसरे में वे उनके निकट हैं, उनका स्नेह बरस रहा है. अज दोपहर को भी बहुत जीवंत स्वप्न थे. एक अनोखी दुनिया उसके भीतर खुल गयी है, जागृत से भी अधिक जीवंत दुनिया. विपासना केंद्र में एक दिन ध्यान के वक्त ऐसा अनुभव हुआ जैसे हाथ में काला पेन आ गया है निब वाला और पलक झपकते ही सारा बांया हाथ काला हो गया, आश्चर्य करे इससे पूर्व ही सामान्य हो गया. एक क्षण में कोई पूर्व कृत्य जैसे सम्मुख आया हो. एक बार तो किसी के खांसने की आवाज ऐसे लगी जैसे कोई वृक्ष गिर गया हो. एक दिन तो स्वयं को देह से पृथक महसूस किया. आज सुबह चार बजे एक बाद उठी. प्रतिदिन की भांति रही दिनचर्या. इतवार था और महिला दिवस भी, सो इडली का नाश्ता जून ने बनाया. शाम को एक विवाह उत्सव में जाना है. कल लेडीज क्लब की मीटिंग है और डेंटिस्ट के पास भी जाना है. नीचे के दातों की स्केलिंग कर दी है, कल शेष करेगा.
आज घर में गुरू पूजा
है. तैयारी लगभग हो चुकी है. बड़ी भाभी के लिए प्रार्थना करने का मन होता है. ईश्वर
उन्हें शक्ति दे. आज प्रातः भ्रमण से लौटते समय भीतर का वासी कितना मुखर हो गया
था. कितने स्पष्ट शब्दों में अपने होने का अहसास दिला रहा था. अब लग रहा है कितने
दूर की बात है. सुबह वाकई सतयुग होता है, मन कैसा खिला-खिला सा. दोपहर तक उसी भाव
में डूबा रहा मन. तितली पर एक कविता भी लिखी. बगीचे में सुंदर फ्लौक्स खिले हैं, देर
से खिले पर बहुत सुंदर हैं. फूलों की बहार है इस समय उपवन में. नन्हे से बात की, वह
अपने काम से खुश है, काम ज्यादा है पर उसे कोई शिकायत नहीं है. यू ट्यूब पर श्री
श्री के विचार सुने. परमात्मा की उपस्थिति को हर पल अपने होने से अभिव्यक्त करने
वाले सद्गुरू कितना बड़ा योगदान समाज, देश और दुनिया को दे रहे हैं.
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 21 - 09 - 2017 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2734 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
बहुत बहुत आभार दिलबाग जी !
Deleteआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विश्व अल्जाइमर दिवस : एल्जाइमर्स डिमेंशिया और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार हर्षवर्धन जी !
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