Friday, September 22, 2017

काले अंगूर और चीकू











जीवन कितना सुंदर हो सकता है किसी के लिए और कितना भयावह भी किसी के लिए ! परमात्मा के संग-साथ से इसे सुंदर बना रहे हैं लाखों लोग और उससे दूर होकर कुछ लोग नर्क का निर्माण के रहे हैं, अपने लिए भी और दूसरों के लिए भी. आज सुबह सामान्य थी. शनिवार की विशेष सफाई भी हुई घर में और दोपहर को बारह बजे दंत चिकित्सक के पास गयी, दांत निकलवाया है आज पहली बार. दर्द जरा भी नहीं हुआ और उसकी बताई सावधानियों का पालन करने से अब तक भी कोई दर्द नहीं है. जून ने उसके लिए काले अंगूर, चीकू तथा केले की प्यूरी बनायी, बाद में सूप बनाया. सेब भी कस करके दिया. रात्रि के आठ बजे हैं. शाम को नन्हे से बात की. वह दो रातों से घर नहीं गया. परसों ऑफिस में था कल एक मित्र के यहाँ. काम बहुत है इसलिए, पर यदि घर पर कोई इंतजार कर रहा हो, तभी तो घर जाने का आकर्षण भी रहता है. ईश्वर ही उसे सद्मार्ग पर बनाये रखेगा. उसकी कृपा सब पर बरस ही रही है. सुबह फिर एक स्वप्न देखकर नींद खुली जो अब याद नहीं है, पर दोपहर को भी अजीब सा स्वप्न देखा. एक बड़ा सा मकान है पुराने ढंग का. जिसमें कई महिलाएं काम कर रही हैं. एक हॉल की पूरी दीवार उनके बनाये रंग-बिरंगे सामानों से सजी है. कुछ कमरों में कुछ मजदूर काम कर रहे हैं. कुछ मुस्लिम भी हैं पर वे माँ, माँ का सुमधुर जाप कर रहे हैं. मुस्लिम समुदाय में एक पन्थ माँ को मानने लगा है, ऐसा भी स्वप्न में मन में स्पष्ट था. फिर उसका फोन खराब हो जाता है, उसका सिम कार्ड कोई ले गया, वह कुछ ढूँढ़ रही है, पर्स या फिर फोन ही..स्वप्न में कब क्या होगा कोई नहीं जानता, पर वे जगाने के लिए ही आते हैं.

आज दोपहर बच्चों की योग कक्षा में दो बच्चों की माएँ भी आई थीं. एक ने बताया वह महिलाओं का एक क्लब बनाना चाहती है. एक ने बताया उनका घर काफी टूट-फूट गया है, घर के आदमी को इसकी फ़िक्र ही नहीं है. उनकी मदद करने की इच्छा है उसकी. परमात्मा ने उन्हें इतना कुछ दिया है, जितना हो सके दूसरों की मदद करनी चाहिए. बगीचे में इस समय बहुत सब्जियां हो रही हैं. पत्ता गोभी, मूली, शलजम, तथा चुकन्दर भी. इसी तरह सभी समर्थ हों, संतुष्ट हों. परमात्मा उनके साथ हर घड़ी है. आज सुबह मुरारी बापू को सुना, अनोखे कथाकार हैं वह. प्रेम से छलकते हुए, राम के प्रति समर्पित..

आज स्कूल में बच्चों को सूर्य नमस्कार का अभ्यास कराया. इस समय सात बजे हैं शाम के, सुबह से  नभ पर बदली बनी हुई है. उत्तर भारत में असमय की वर्षा के कारण जान-माल का काफी नुकसान हुआ है. जलवायु परिवर्तन का असर स्पष्ट दिखने लगा है. कल रात वे सोने के लिए लेटे ही थे कि पीछे सर्वेंट क्वाटर्स में से झगड़ने की आवाजें आने लगीं. नर्क जैसा जीवन है इनका. अशिक्षा, निर्धनता और ऊपर से नशा, काश वह इनके लिए कुछ कर पाती. परसों उन्हें गोहाटी जाना है. बड़ी भाभी अभी भी अस्पताल में हैं, सम्भवतः अगले महीने वे उनसे मिलने जाएँ.

       

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