आज छोटे भांजे का जन्मदिन
है, अभी तक उससे बात नहीं हो पायी. तीन द्वारों से उसे खटखटाया अवश्य, फोन, sms
तथा फेसबुक. आजकल संवाद के जितने ज्यादा साधन हैं, बात करना भी उतना ही कठिन, सभी
व्यस्त हैं सो अपनी ओर से बधाई दे दी, इस पर ही संतोष करना होगा ! आज नुमालीगढ़ की
तस्वीरें लगाई हैं फेसबुक पर. वह तितलियों का पार्क और नदी, सभी जीवंत हो गये
जैसे. इस समय भी बगीचे में धूप है, बोगेनविलिया, गुलाब, जरबेरा और गुलदाउदी के फूल
खिले हैं, पीठ पर मध्यम आंच देती सूर्य रश्मियाँ भली लग रही हैं. आज अक्षर अपने आप
ही छोटे-छोटे बन रहे हैं डायरी पर, शायद कुछ है भीतर जो छोटा कर रहा है. कल जो
कविता लिखी थी शायद इसी कारण..पर यह आवश्यक तो नहीं कि हर बार कविता अच्छी ही बन
पड़े, हाँ, यह तो देखना चाहिए, पोस्ट करने लायक है या नहीं. खैर, आज बहुत दिनों बाद
पुनः ‘पतंजलि योग सूत्र’ उठाई है, वही जो नन्हे ने खरीदी थी उसके लिए बंगलूरू में.
परसों मलाला को टीवी पर
नोबल पुरस्कार प्राप्त करते देखा व सुना और कल लाइब्रेरी में उसकी पुस्तक भी मिल
गयी. एक दिन पाकिस्तान की प्रधानमन्त्री बनेगी यह लडकी. कल पत्रकारों को जवाब देते
हुए उसने स्वयं ही यह बात कही थी. मलाला ने इतनी छोटी उम्र में इतना साहस दिखाया
है, लोग मरते दम तक भयभीत रहते हैं. परमात्मा ऐसे ही लोगों के रूप में धरा पर आता
है. सुबह आज उठने में देर हुई, कल रात नींद देर से आई. कल शाम वे जिम गये, पहली
बार अभ्यास किया, शरीर में हल्का खिंचाव महसूस हो रहा था, शायद न सो पाने में यही
कारण रहा हो; अथवा उससे भी बड़ा कारण था मन का पूरे होश में आ जाना, सोने के लिए
थोड़ी सी बेहोशी तो चाहिए. ध्यान के अभ्यासी को नींद पहले से कम होना स्वाभाविक ही
है. कल से यात्रा की तैयारी भी आरम्भ करनी है. कुछ उपहार खरीदने हैं. नन्हा भी आज
रात यात्रा पर निकल रहा है, दिल्ली, मुम्बई, हैदराबाद आदि जगहों पर जायेगा, उन्हें
अपनी कम्पनी के लिए कैम्पस इंटरव्यू करने हैं. कल बड़ी भतीजी का जन्मदिन है, उसे
शुभकामना के रूप में कविता लिखी है, शाम को जून उसकी तस्वीर लगायेंगे. आज सुबह
नैनी कुछ उदास थी, उसका दुःख देखकर आँख भर आयीं. दिल बहुत नाजुक शै होती है आखिर..और
वह भी साधक का दिल..वह साधक है यह भी कैसे कहे, हाँ, उसके दिल में खुदा जरूर है,
पर खुदा तो हरेक के दिल में है, हर जगह है, वही जानता है खुद को और वही जनाता है
खुद को, उसका इसमें कुछ भी तो नहीं.
आज यात्रा की तैयारी के
लिए कुछ और काम किये. जून भी बहुत उत्साहित हैं इस यात्रा को लेकर. सुबह उन्होंने
कुछ धनराशि भी दी, कल कहा, झोली भर कर उपहार ले जाओगी तो झोली भरकर लाओगी. सचमुच
एक बैग पूरा भर गया है, अभी भी शेष हैं. बुआ, चाची, मामी सभी को फोन किये पर किसी
से बात नहीं हुई, अब घर जाकर ही सबसे बात होगी. कल पाकिस्तान में तालिबान ने
पेशावर के एक आर्मी स्कूल के बच्चों पर बर्बरता पूर्वक गोलियां चलायीं. कितनी दहशत
फैलाती हैं ऐसी घटनाएँ. निर्दोष बच्चों पर ऐसा अत्याचार हो रहा है और पाकिस्तान की
सरकार बेबस है, अपने ही खोदे हुए गड्ढे में गिरने के लिए.
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