Wednesday, August 16, 2017

जगन्नाथ मंदिर - डिब्रूगढ़


आज शाम को क्लब में मीटिंग है, वार्षिक उत्सव आने वाला है, सो देर तक चल सकती है मीटिंग. भोजन बना कर जाएगी, उसने सोचा. जून ने बताया, कल वे लोग डिब्रूगढ़ जायेंगे, भगवान जगन्नाथ का एक नया मन्दिर बन रहा है, दर्शनीय है, हूबहू उड़ीसा के पुरी मंदिर जैसा. उसमें प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम है. धीरे-धीरे यह मंदिर भी विशेष दर्शनीय व पूजनीय स्थल के रूप में प्रतिष्ठित हो जायेगा. नैनी ने आज बताया वह गर्भवती है, पर जितना काम करेगी उतना ही उसके लिए अच्छा है, जैसे पहले कर रही थी वैसे ही करेगी. उसकी हिम्मत देखकर अच्छा लगा. उसे लगा, वे लोग व्यर्थ ही डर जाते हैं, उसे खुद भी तो शुरू-शुरू में बहुत तकलीफ हुई थी, अपनी-अपनी समझ की बात है. उनके सारे दुःख वे स्वयं ही बनाते हैं.

आज सुबह मृणाल ज्योति गयी. ‘वर्ल्ड रिटार्डेशन डे’ था, झंडा फहराया गया. बच्चों के खेल हुए. वहाँ एक टीचर ने एमवे का कैटेलौग दिया, वह कुछ समय से यह काम कर रही है. एक अन्य टीचर ने बताया, उसकी चचेरी बहन अचानक ही गुजर गयी. अस्थमा था उसे, अपने जॉब में व्यस्त रहती थी, पति भी व्यस्त थे, ठीक से इलाज नहीं कराया. आजकल शहरों में जो लोग बारह-बारह घंटे काम करते हैं, अपने लिए समय निकालना कठिन होता है उनके लिए. इसी महीने यात्रा पर जाना है. दिल्ली होते हुए वह घर जाएगी और जून अपने दफ्तर के कार्य से राजस्थान. पिताजी का स्वास्थ्य अब पहले का सा नहीं रहा, वह यात्रा करना नहीं चाहते, उनसे मिलना अच्छा रहेगा. एक वर्ष पूर्व उनसे मिली थी. एक वर्ष में वृद्धावस्था में काफी परिवर्तन आ जाता है. तीनों भाभियों से बात की, सभी से मुलाकात होगी. उससे पूर्व गोहाटी जाकर पासपोर्ट का नवीकरण भी करवाना है. जून उसके लिए एक सुंदर जूता लाये थे, जो छोटा है, उसने हिंदी पढ़ने आने वाली छात्रा को भेजा है, उसे अवश्य पसंद आएगा.

आज मौसम अपेक्षाकृत ठंडा है. सूर्य देवता के दर्शन नहीं हुए, बदली बनी हुई है. कल ही वे इस वर्ष ठंड न पड़ने की बात कह रहे थे. दोपहर को ब्लॉग लिखा. कहानी अब नये दौर में आ चुकी है. सचमुच जीवन तो ज्ञान के बाद ही शुरू होता है, उससे पूर्व तो वे अंधकार में भटकते रहते हैं, बाद में उनके पास मशाल होती है. हिंदी के लेखों की प्रूफ रीडिंग करके उसने भिजवा दिए, पर सामने बैठकर गलतियाँ दुरस्त कराने के लिए बाद में एक दिन प्रेस जाना पड़ सकता है. ‘बाल्मीकि रामायण’ में भी नई पोस्ट लिखी., अभी बहुत कार्य शेष है पर एक  एक दिन तो पूरा होगा ही. नन्हे की कम्पनी तरक्की कर रही है, दिल्ली में उसके विज्ञापन लगे हैं. प्रैक्टो अब जाना-पहचाना नाम बनता जा रहा है. उसकी मित्र की माँ का फोन आया, उसे चिंतित न होने के लिए कहकर उन्होंने अपनी कविताएँ पढ़ने को भी कहा. पढ़ी हैं उसने, कई बहुत अच्छी हैं. उसे बाहर से बच्चों की पिटाई और उनके रोने की आवाजें आ रही हैं, बच्चों पर कितने अत्याचार होते हैं, इसकी कोई सीमा नहीं है, और बच्चे अभिनेता भी होते हैं, इतनी जोर से रोते हैं जैसे जान ही निकल जाएगी..कोमल तन और कोमल मन वाले बच्चे...!


4 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 17-08-17 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2699 में दिया जाएगा
    धन्यवाद

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    1. हृदय से आभार दिलबाग जी !

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  2. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन सुभद्रा कुमारी चौहान और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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    1. बहुत बहुत आभार हर्षवर्धन जी !

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