अभी तक जून को नये वर्ष की डायरी नहीं मिली है, वह पुराने साल की डायरी के पीछे
के नोट्स के पन्नों पर लिख रही है. मौसम ठंडा है, जनवरी के महीने में बादल छाये
हैं नभ पर. कल क्लब का वार्षिकोत्सव था, वे गये थे दोपहर के लंच में. हर साल की
तरह शाकाहारी टेबल पर उसकी ड्यूटी भी थी. भोज आरम्भ हुआ ही था कि वर्षा आरम्भ हो
गयी, फिर सुरक्षित स्थान पर सब कुछ ले जाना पड़ा. चार बजे घर लौटे. शाम को प्रेस
गयी, उसके लेख के साथ पुराना फोटो दिया गया था, उसने बदलवा दिया, यानि अब भी निज
लाभ ही दृष्टि में है. यह कितना स्वाभाविक है न, ‘सहज रहो’ यही तो साधना का लक्ष्य
है. कल जून ने दो-तीन समूह बना दिए हैं व्हाट्सएप पर, सामाजिक आदान-प्रदान का
कितना अच्छा साधन है यह “व्हाट्सएप”.
पिछला सप्ताह व्यस्तताओं से घिरा था. आज ‘मकर संक्रांति’ है, अगले दो दिन जून
का दफ्तर बंद है. लेडीज क्लब का कार्यक्रम अच्छी तरह सम्पन्न हो गया. उस दिन दोपहर
को जैसे किसी ने उसे कहा, क्लब जाना चाहिए, जहाँ कई सदस्याएं काम में व्यस्त थीं,
लगा जैसे वे उसका इंतजार ही कर रही थीं. वे रात्रि को एक बजे वापस आये. अगले दिन
विवाह की वर्षगांठ थी, शाम को बाहर खुले में अग्नि जलाकर दो मित्र परिवारों के साथ
यह दिन मनाया. उसके अगले दिन तबियत नासाज थी, शायद ठंड लग गयी थी. दो दिन विश्राम
किया, अगले दिन वे अरुणाचल प्रदेश स्थित ‘परशुराम कुंड’ नामक एक तीर्थस्थल देखने गये,
यह यात्रा एक सुखद स्मृति बनकर उनके अंतर में अंकित हो गयी है. वापसी में एक रात सर्किट
हाउस में रुककर घर लौटे, जिसके अगले दिन क्लब में उन सभी सदस्याओं के लिए आभार
प्रदर्शन के लिए भोज का आयोजन किया गया था, जिन्होंने कार्यक्रम में किसी न किसी
तरह का काम किया था. उसके बाद मृणाल ज्योति में ‘बीहू’ मनाया गया और आज फिर जून ने
बाहर लोहड़ी की आग जलाने का प्रबंध किया है.
आज बीहू का प्रथम अवकाश बीत गया. सुबह दही+गुड़+चिवड़ा का नाश्ता किया, जून ने
ब्रोकोली की विशेष सब्जी भी बनाई थी. दोपहर को लॉन में धूप में बैठकर देर तक
किताबें पढ़ीं, तथा मोबाईल से कई तस्वीरें व वीडियोज हटा दिए, ज्यादा कुछ संग्रह
करके रखना अब नहीं भाता, मन भी खाली रहे और फोन भी. शाम होने से कुछ पहले बैडमिंटन खेला फिर एक मित्र परिवार
से मिलने गये. आज डिनर में मटर की भरवा तंदूरी रोटी बनानी है. सप्ताहांत में पहले
दिन राजगढ़ जाना है और इतवार को पिकनिक. निकट स्थित एक इलाके ‘राजगढ़’ में मृणाल
ज्योति की एक शाखा खुल रही है. इस इलाके में दिव्यांगों के लिए कोई स्कूल नहीं है,
सर्वे करने पर पता चला, लगभग पचास बच्चे आस-पास के गांवों में हैं जिन्हें कोई
शिक्षा या इलाज नहीं मिला है. कल वे लोग जायेंगे, राजगढ़ के पुलिस अधिकारी व आर्मी
के मेजर को भी बुलाया है. अगले महीने कोलकाता जाना है, जून की ट्रेनिंग है पूरे दस
दिन की, सो ‘विपासना कोर्स’ करने का उसका बहुत दिनों का स्वप्न पूरा हो जायेगा.
दूसरा अवकाश भी बीत गया. सुबह की साधना अब सहज ही होती है, परमात्मा ही करा
रहा हो जैसे. आज एकादशी है, कुट्टू की रोटी व सागू की खिचड़ी खाने का दिन. नन्हा आज
पिलानी में है, कल रांची में था, उसे अपनी कम्पनी के लिए नये लोग चाहिए. कैम्पस
इंटरव्यू के लिए गया है.
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