Sunday, August 21, 2016

मिट्टी का पात्र


आज बहन को उन पर लिखी कविता भेज दी, उनकी लगभग सभी गतिविधियाँ उसमें लिखी हैं, पेंटिंग वाली बात रह गयी, दोनों भाजियों ने मिट्टी के पात्र पर सुंदर चित्रकला का अभ्यास किया था. दोपहर का वक्त है, धूप चमकती हुई सी. माँ-पिताजी अभी सो रहे हैं, माँ तो शायद काफी पहले उठ चुकी होंगी, यूँ ही लेटी होंगी. उनकी मानसिक स्थिति डांवाडोल हो गयी है, वैसे देखा जाये तो किसका मन नहीं डोल रहा है, बस मात्रा का अंतर है. डाक्टर बहन ने उनसे ज्यादा प्रोटीन युक्त भोजन लेने को कहा है, किन्तु इससे भार बढ़ गया है. कल शाम वे सेंटर में रूद्र पूजा में सम्मिलित होने गये. सद्गुरू इस पूजा के द्वारा वातावरण को शांत व हिंसा मुक्त बनाना चाहते हैं. कर्मकांड थोडा बहुत रहे तो चलता है पर बहुत ज्यादा हो और उसके पीछे कोई भावना न हो तो दिखावा लगता है. जून कल कोलकाता जा रहे हैं.

आज सुबह मूसलाधार वर्षा हुई, कड़ाकेदार बिजली चमकी, बिजली चली गयी और अभी बिजली विभाग के लोग आये हैं. माँ को डर लग रहा है, कह रही हैं, बिजली काट रहे हैं, पानी न काट दें. उनके मन में कहीं गहरे में जो बिजली, पानी जाने का डर छुपा है, वह उभर कर सामने आता है आजकल. दोपहर को किताब पढ़ते-पढ़ते आँख लग गयी, स्वप्न में बड़े भाई, छोटी बुआ और छोटी ननद को देखा, सभी कैरम खेल रहे हैं. कल उन बुजुर्ग आंटी से बात हुई, उन्होंने अपने पुत्र के जन्मदिन पर बुलाया जो जून के साथ काम करते हैं, तथा उनके पारिवारिक मित्र हैं. कई दिनों से उन लोगों से भेंट नहीं हुई, कविता लिखने के लिए कुछ तो जानकारी चाहिए, या फिर कल्पना से ही शुभकामना के साथ चंद पंक्तियाँ लिखना ठीक रहेगा. जन्मदिन किसी के भी जीवन में एक खास दिन होता है. बचपन से उसको स्मरण कराया जाता है कि वह कुछ विशेष है और वह उस दिन तो राजा होता है. वैसे तो हर कोई अव्यक्त बादशाह है पर उस दिन तो सचमुच का बादशाह हो जाता है. उस दिन सागर के एक जलीय अंश ने अपना स्वतंत्र अस्तित्त्व बनाया होता है. एक लहर उठी होती है चेतना के सागर में. जून के उन सहकर्मी को फोटोग्राफी का शौक है. धैर्यपूर्वक प्रकृति के जीवों के चित्र उतारना, सौन्दर्य की परख तथा सौन्दर्य का सृजन करना, एक कलाकार की पारखी नजर, चीजों को सम्भाल कर रखना, उनकी कद्र जानना, बाजार की समझ रखना तथा माँ का ध्यान रखना, नपा-तुला भोजन. ऐसे व्यक्तित्त्व पर कविता सहज ही बन सकती है. इसी तरह जून का जन्मदिन भी अगले महीने है, उनकी ढेर सारी खूबियों पर एक कविता लिखेगी.

जून आज वापस आ रहे हैं. कल शाम फोन पर उसका नाप पूछा. नये वस्त्र (आधुनिक परिधान) ला रहे हैं जबकि वस्त्र बहुत हैं उसके पास. अभी नन्हे से बात की वह शाम को छोटी मासी के जन्मदिन में जायेगा, वह अपने ज्येष्ठ के घर में है. सुबह उससे बात की, बहन धीरे-धीरे बोल रही थी, वहाँ अभी तक सहज नहीं हो पायी है. परमात्मा का प्रेम मिले बिना कोई सहज हो भी कैसा सकता है. उसने बच्चों को कविता भी पढ़कर नहीं सुनाई, वापस घर जाकर सुनाएगी.

मृणाल ज्योति जाना है, उससे पूर्व कुछ आवश्यक कार्य करने हैं. सेक्रेटरी तथा कन्वेनर को फोन करके योगराशि लेनी है, डोनर सदस्याओं के घर जाकर उनसे भी मिलना है. शिक्षिकाओं के लिए उपहार खरीदने जाना है. पुराने वस्त्र व प्लास्टिक का सामान भी एकत्र करना है, दो परिचारिकाओं के लिए भी कुछ लेना है. वार्षिक सभा के लिए कुछ लिखकर रखना है. भविष्य में स्कूल कैसा बने इसके लिए एक सुंदर कविता लिखनी है. रक्षा बंधन भी इसी माह है. मंझला भाई शिलांग में है. बड़ा चचेरा भाई हरिद्वार में है, छोटा अंबाला में है. सभी को राखी भेजनी है. जून आज शिवसागर गये हैं, उसे समय है, प्रकृति पहले से ही सब इंतजाम कर देती है, उन्हें बस सही कदम उठाना होता है. परमात्मा हर श्वास में उनके भीतर प्रवेश कर रहा है. उसके बिना कुछ भी नहीं हो सकता, कितना सही कहा है परमात्मा के बिना एक पत्ता भी नहीं हिल सकता. वह कण-कण में हैं, वह वर्तमान में है, श्वासों में उसकी गंध उसे आने लगी है. वह नशा है, वह खुमारी है, वह बेमोल बिकता है, वह सहज ही प्राप्त है, वह तो लुटा रहा है स्वयं को, कितना अनोखा है यह सब..उसका मन अब बचा ही नहीं है. छोटी भतीजी के लिए भी एक कविता लिखनी है, परसों जिसका जन्मदिन है

2 comments:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "सबसे तेज क्या? “ , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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