कल वह मृणाल ज्योति की प्रिंसिपल के साथ कम्पनी प्रमुख से
मिलने गयी, कम्पनी स्कूल की कई तरह से सहायता करती है. उन्होंने इस संस्था को एक
ट्रस्ट बनाने का सुझाव दिया. आज मौसम अच्छा है, धूप तेज नहीं है. कल जून टूर पर जा
रहे हैं. हिन्दयुग्म को एक कविता भेजी. जीजाजी का जन्मदिन आ रहा है, उन्हें भी एक
उनकी पसंद की कविता भेजे, ऐसा मन है. उसका मन कितनी दिशाओं में भाग रहा है पर उसको
देखने वाली आत्मा स्थिर है, गुरूजी कहते हैं, आत्मारामी सदा रहने वाली मुस्कान को
प्राप्त होता है, वह सत्य और सुन्दरता का उपासक होता है. वह चाहता है..जीवन एक उत्सव
बने जिसमें सभी शामिल हों.. आज से माओवादियों
ने अड़तालीस घंटों का बंद घोषित किया है.
जून का फोन आया है,
उन्होंने नया कैमरा खरीदा है. नन्हे को लड्डू मिल गये, फोन पर उसने बताया. आज
ब्लॉग पर ढेर सारी रचनाएँ पोस्ट कीं, कहानी, कविता, लेख सभी कुछ. आज नन्हे का
जन्मदिन है. सुबह आठ बजे उसने फोन किया, उसे कविता भी मिली. इस बार ध्यान से पढ़ी
ऐसा उसने कहा. आज माँ सुबह से कुछ अस्वस्थ हैं, उन्हें सम्भालना कठिन होता जा रहा
है. वह अकेले रहने से घबराती हैं, काल्पनिक जीवों से उन्हें भय लगता है. सड़क पर
चलते हुए लोग भी उन्हें ठीक नहीं लगते. दवा भी छिपा देती हैं, शायद दवाई खाते-खाते
ऊब गयी हैं. नाश्ते के समय कहने लगीं, सब कुछ चार की संख्या में चाहिए, उनका मन
उनके नियन्त्रण में नहीं है न ही उनकी वाणी, क्या यही है मानव जीवन के संघर्ष का अंत.
पिताजी कभी-कभी झुंझला जाते हैं.
उसे गुरू पूर्णिमा के लिए
कविता भी लिखनी है. अगले हफ्ते छोटी बहन अपनी दो बेटियों के साथ आ रही है. सोचकर मन
में हर्ष का, उत्साह का भाव पनप रहा है. सभी के लिए वे आठ-नौ दिन मंगल मय हों, यही
कामना है. पूरे घर में सफाई का काम भी शुरू किया है. थोड़ी देर बगीचे में काम किया,
पौधे भी उसे पहचानने लगे होंगे, चेतना तो उनके भीतर भी वही है, सारी सृष्टि उस एक
का पसारा है, यहाँ दो हैं ही नहीं और उस एक में वह भी है, कितना अनोखा है यह आत्मा
का ज्ञान..क्या नैनी के पति में वह चेतना नहीं है, वह सुप्त है, घोर तमस में सोयी
है उसकी चेतना, एक न एक दिन तो जागेगी..उसे उस दिन की प्रतीक्षा है. शांतला की कथा
समाप्त होने को है. बहुत दिनों से उसे छोड़कर कुछ भी नहीं पढ़ा. आज जून आने वाले
हैं.
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