Friday, September 11, 2015

ऍफ़ एम् रेनबो रेडियो चैनल


आज शाम को उसे एक युवा महिला से मिलने जाने के लिए तैयार रहना है. वह आर्ट ऑफ़ लिविंग की टीचर है, यहाँ तथा आस-पास के क्षेत्र के लिए. उससे ज्यादा परिचय तो नहीं है, ऊपरी-ऊपरी ही बातें हुई हैं, गहरा परिचय हो सके इसीलिए आज वह जा रही है. पर क्या थोड़ी सी देर की बात में वे एक-दूसरे को जान सकते हैं..वह तो उसे अपने प्रेम का पात्र मानती है और टीचर भी सदा प्रेमपूर्ण भाषा बोलती है, तो उनकी निभ जाएगी, उन दोनों के मध्य सद्गुरु हैं जो दोनों के आराध्य हैं तो दूरी रह ही नहीं सकती. उसने कल रात को जो सोचा वह आज तोड़ दिया, सबसे अच्छा तो यही है कि वह स्वयं को मुक्त रखे, कोई नियम स्वयं पर न लादे. आत्मा सर्वदा मुक्त है, वह शुद्धात्मा है तो फिर बंधन उसे रास नहीं आएगा. आज सुना सच्चाई सैकरीन की तरह है, ऐसे ही इसका उपयोग किया तो कड़वी लगेगी, पर अन्य गुणों जैसे नम्रता, प्रेम के साथ घोलकर प्रयोग करें तो मीठी लगेगी. अहंकार रूपी अंधकार में उसकी आत्मा का सूर्य छिपा हुआ है. सद्गुरु कहते हैं, अस्त्तित्व प्रेम से बना है और सारी समस्याओं के मूल में प्रेम का विकृत रूप ही है. भक्ति इसी प्रेम की पराकाष्ठा है जब कोई इस सारे ब्रहमांड से एकत्व अनुभव करता है, मन जब भेद नहीं करता, आत्मवत देखता है सभी को. आत्मा में जब सब कुछ समा जाता है, वैसे भी सब कुछ वहीं से उपजा है, आत्मा प्रेम ही है, प्रेम ही परमात्मा है. प्रेम में रहे कोई तो समाधान मिलने लगता है.
ऍफ़ एम् रेन बो पर दिल का गीत आ रहा है, वे दिल के गुलाम बन जाते हैं तभी तो दर्द का अनुभव करते हैं. गानों में भी कितनी सच्चाई होती है, जिद्दी है, गिरता है, सम्भलता नहीं.. कभी हल्का, कभी भारी, कभी तोला ही नहीं..अपनों को कोई मन के आगे दुर्बल माने तो उसकी ही गलती है. वे जो अनंत शक्ति के पुंज हैं.
मन कैसा तो हो रहा है, ध्यान के बाद मन बचता ही कहाँ है, जो बचता भी है तो वह भीगा-भीगा सा होता है, शांत बिलकुल सोये बच्चे की तरह ! मन को कोई देख पाता है उसके सारे रूपों में तो चकित रह जाता है, वह राजा भी है और सेवक भी, वही देवता है वही दानव !

 वक्त सदा एक सा नहीं रहता, परिस्थितियाँ बदलती हैं, हालात बदलते हैं. इस बदलती हुई दुनिया में एक ही चीज निश्चित है और वह है परिवर्तन. कुछ हफ्ते पहले उसने सोचा भी नहीं था कि अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ेंगे. आज कुछ टेस्ट कराए, कल भी बाकी सारे टेस्ट होंगे. कुछ दिनों से पैरों में दर्द हो रहा था. देह को वे कितना ही नकारें, वह अपनी उपस्थिति दर्ज करा ही देती है. मन शान्त है , वह तो इस सबको साक्षी भाव से देख रही है. कल उन्होंने बैंक में लॉकर भी खुलवाया, आज वहाँ सामान रखा. अभी एक छात्रा पढ़ने आएगी, मौसम ठंडा है, पिछले हफ्ते विश्वकर्मा पूजा के दिन जून के एक मित्र को कमर में दर्द हुआ अभी तक बेड पर हैं. कभी-कभी शरीर सजग रहने की हिदायत इतनी देर से देता है..शायद वे पहले समझ नहीं पाते, या समझना नहीं चाहते. ईश्वर सदा न्याय करता है, उन्हें ज्यादा सजग रहने की जरूरत है. आज नीरू माँ ने कहा कि जो कुछ स्थूल रूप में किसी के साथ घटता है वह सब उसके कर्मों का फल है तथा जो भीतर सूक्ष्म रूप में घटता है वह कर्म बंधन बनते हैं. भाव शुद्धि होनी बहुत आवश्यक है तभी कर्म शुद्धि होगी. भीतर का वातावरण ठंडा रहना चाहिए तब बाहर अपने-आप शीतलता ही प्रकट होगी. उसने प्रार्थना की, भीतर सदा प्रभु और सद्गुरु का सत्य रहे !   

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