आज की सुबह बेहद व्यस्त थी, नन्हे को स्कूल भेजा, उससे
पहले जून का फोन आया, उन्होंने उसके लिए ड्रेस तो खरीद ली है पर महंगा होने के
कारण दूसरी फरमाइश पूरी नहीं की, अब चाँदी का होगा तो महंगा तो होगा ही...खैर ! नाश्ता
कर रही थी कि टीचर का फोन आया, आने को कह रही थीं. नैनी, स्वीपर दोनों का पता नहीं
था सो घर बंद करके गयी. एक घंटे बाद लौटी तो दोनों आये, सब मैनेज हो गया और अभी
कपड़े प्रेस करके ‘पाठ’ किया, ‘ध्यान’ अभी शेष है. इसी बीच दो फोन आये. एक में पता
चला असम के मुख्यमंत्री ‘श्री तरुण गोगोई’ शनिवार को आ रहे हैं सो इस हफ्ते उन्हें
विशेष पुष्प सज्जा भी करनी होगी, आज शाम पांच बजे वह एक और महिला के साथ जाएगी, एक
नया अनुभव होगा उस दिन भी, क्लब में कितनी ही बार कितने कलात्मक ढंग से पुष्प
सज्जा देखी है, पर इस बार स्वयं करने का अनुभव होगा. जून ने कहा है वहाँ रोज शाम
को छह बजे से रात दस बजे तक बिजली गायब रहती है, जब सबसे ज्यादा बिजली की जरूरत
होती है. परसों वह चल रहे हैं और सोमवार सुबह उनके साथ होंगे !
Jun called in the morning,
he was so loving and caring on phone as always. Last evening they went to club
and then to book exhibition. She bought “Tulsi Ramayan” it is nine a.m., two
friends called then she talked to two friends, could not concentrate what Guru
ma and babaji were saying in today’s discourse but she knows they were talking
about God, values and love. She loves this world and its maker, she loves all
around her, her friends, relatives, country and its citizen, her son and
husband and also she loves herself. She is grateful to God and all which bear
her, she is grateful that this beautiful world has been the source of
inspiration, joy and love.
पिछले दो दिन डायरी नहीं
खोल सकी, शनिवार को सुबह संगीत कक्षा में गयी वहाँ से लौटकर क्लब. शाम को एक सखी
के यहाँ. कल सुबह इतवार की विशेष सफाई करने में बीती, दोपहर को ‘यादें’ देखी, शनि
की दोपहर भी एक फिल्म चल रही थी. आज सुबह जून आ गये, उसकी नींद चार बजे से भी पहले
खुल गयी थी, बाहर के गेट का ताला खोलकर पुनः सोने की कोशिश की, वह ठीक पांच बजे आ
गये, उनके वस्त्रों से ट्रेन की गंध आ रही थी, जो दो-तीन दिन की यात्रा के बाद भर
जाती है. फिर उन्होंने उसके लिए लाये वस्त्र दिखाने शुरू किये, पहले गुलाबी, फिर
नीला और फिर पीला - बेहद सुंदर और बेहद भव्य ! गुलाबी पर सफेद से कढ़ाई है, उसने
उन्हें कहा यह उसे पसंद नहीं है पर जब बाकी दो देखे तो वह भी भा गया. उसके मन की
वह इच्छा जो उस दिन डायरी के पन्नों पर जाहिर की थी अपने आप ही पूरी हो गयी. ईश्वर
हर क्षण उनके साथ है यह विश्वास और भी पक्का होता जाता है. जून समय से दफ्तर भी
चले गये पर थोड़ा पहले आ गये, खाना जरा कम खाया, सफर से आकर एकाध दिन तो एडजस्ट
होने में लगेगा ही. आज नन्हा अपनी क्लास-सिस्टर्स के लिए चाकलेट्स ले गया है, कल नौ
लडकियों ने उसे राखी बाँधी थी. आज सुबह ढेर सारे कपड़े प्रेस करने थे सो अभ्यास
नहीं हुआ. अभी करेगी, दो बजे हैं, नन्हा तीन बजे तक आता है, पर जून हिंदी की दो
पत्रिकाएँ भी लाये हैं, ‘हंस’ और ‘उदय जागरण’, एक साहित्यिक है तो दूसरी राजनीतिक.
छोटी ननद की राखी आ गयी है, अच्छा सा पत्र भी लिखा है.
अपने जीवन का सिंहावलोकन कितने पाठ पढ़ा जाता है। इनमें से कितने तो हमने उसी समय सीख लिए थे, तब शायद एहसास नहीं था।
ReplyDeleteसही कहा है आपने, जीवन हर क्षण कितने पाठ पढ़ाता है, कुछ हम सीख लेते हैं कुछ सीख कर भी भुला देते हैं और कुछ सीखना ही नहीं चाहते, पर जीवन हर नहीं मानता, सिखा कर ही दम लेता है...चाहे कितने जन्म क्यों न लग जाएँ..
ReplyDeleteबहुत ही व्यस्त सुबह... मेरे लिये सुबह की कभी कोई व्यस्तता नहीं होती. काश उसकी तरह मुझे भी जल्दी सोने और जगने के साथ पाठ करना, ध्यान करना, प्रणायाम का अभ्यास करना आता. लेकिन अब इस उम्र में क्या ख़ाक सुधरेंगे हम.
ReplyDelete"यादें" कहाँ देखी?? सुनील दत्त साहब की फ़िल्म, मुझे दुबारा देखने की बहुत इच्छा थी!!
यादें सुनील दत्त ने बनाई है, नहीं पता था, ये तो नई वाली थी जिसमें ऋतिक रोशन है..
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