आज बाबाजी ने मन को एकाग्र करने की एक सरल युक्ति
बतायी, ध्यान के समय जब मन किसी वस्तु का चिन्तन करने लगे तो यह भाव करें कि उस
वस्तु को देखने वाला मानस-चक्षु और सोचने वाला मानस भी उसी आत्मा का अंश है ! कल
शाम को वे टेक्निकल फोरम में गये थे, श्री राय ने काफी दक्षता से अपने विषय पर
व्याख्यान दिया. एक विधि ETP भी सिखायी जो शरीर में होने वाले दर्द अथवा मानसिक
परेशानी को दूर करने में सहायक थी. उनके अनुसार श्वास तथा विचारों में बड़ा गहरा
संबंध है. साँस को नियंत्रित करके भावनाओं को नियंत्रित किया जा सकता है. इसी तरह
शरीर में होने वाले रोग आदि भी नकारात्मक भावनाओं/विचारों का परिणाम हैं. यदि सोच
सकारात्मक हो और नियमित प्राणायाम का अभ्यास करें तो सभी प्रकार के रोगों से
मुक्ति मिल सकती है ! जून ने तीन दिनों की ट्रेनिंग ली जो उनके लिए बेहद उपयोगी
है. वह पहले से ज्यादा संवेदनशील हो गये हैं, अधिक सचेत हो गये हैं. उसे भी अपने
ध्यान को बढ़ाना होगा और प्राणायाम नियमित करना होगा. आज दोपहर सिर्फ पुस्तक पढ़ते हुए
ही नहीं बितानी है बल्कि कुछ लिखना भी है. कल ‘अपने अपने राम’ पूरी पढ़ ली, राम कथा
को कहने का यह एक नया अंदाज है लेकिन प्रभावशाली है. कल माली ने गमलों के लिए
मिट्टी खोदकर गैराज में रख दी है, गुलदाउदी के पौधों से कटिंग्स लगाने का काम भी
इतवार तक हो जायेगा. रात को वर्षा हुई पर वातावरण में उमस पहले की तरह ही है.
आज सुबह भी जून ने उठकर
अपना अभ्यास ( प्राणायाम+सुदर्शन क्रिया ) पूरा किया तो वह उठी. जून जैसे ही गये
संगीत अध्यापिका का फोन आ गया, वहाँ से लौटते-लौटते साढ़े आठ हो गये. आज राग विहाग
सिखाया. अभी तक सफाईवाला नहीं आया तो नैनी को आवाज दी है. जिसकी बेटी को कई दिनों
से बुखार है, उस सखी से फोन पर बात की, वे लोग शायद सोमवार को उसे डिब्रूगढ़ ले
जायेंगे. बुखार अभी भी है. आज गर्मी बेहद है, रात को भी वर्षा नहीं हुई. आज उसने शनिवार
का विशेष भोजन ‘सिन्धी कढ़ी’ बनायी है, जून देर से आएंगे, दफ्तर के किसी काम से तिनसुकिया
गये हैं. नन्हा अपने हॉउस का कैप्टन बना है इस साल, अगले हफ्ते उसका जन्मदिन है और
उसके अगले दिन से उसके दांत का इलाज शुरू होगा.
कल रात वे जल्दी सोने गये
जिससे सुबह जल्दी उठकर जून अपना अभ्यास कर सकें पर आधे घंटे बाद ही उनके एक सहयोगी
ने फोन करके जगा दिया, पुनः सोये हुए अभी दो घंटे भी नहीं बीते होंगे कि
आंधी-तूफान की आवाज ने नींद खोल दी, रही-सही कसर बिजली गुल हो जाने से पूरी हो
गयी. उमस इतनी ज्यादा थी कि खिड़की व बरामदे का दरवाजा खोला, आधा घंटा जगे ही रहे
फिर बिजली आ गयी, इसी बीच बादलों की गर्जन-तर्जन व बिजली का चमकना जारी रहा. सुबह
उठे तो बगीचा, पेड़-पौधे तूफान की गवाही दे रहे थे, यूँ कल की भीषण गर्मी के बाद वर्षा
राहत बनकर आयी है, हवा ठंडी हो गयी है, पर सुबह जल्दी नहीं उठ पाए. दलिया जल गया
उसकी लापरवाही के कारण, उस दिन परसों ही तो चावल पतीले में लग गये थे, उसे ज्यादा
सचेत होना है न कि रही-सही सुधबुध भी खो देनी है. जून आजकल शांत हो गये हैं, वह
पहले की अपेक्षा ज्यादा स्थिर दीखते हैं, जैसे हर वक्त उन्हें पता हो क्या कहना है,
क्या करना है. आज नन्हे के लिए केक बनाना है, उसने काले चने बनाने को कहा था पर वह
भिगोना भूल गयी, एक और लापरवाही. उसने अभी तक स्नान-ध्यान नहीं किया है, कपड़े
प्रेस करते समय बाबाजी को सुना, उन्होंने कहा ध्यान सुप्त शक्तियों को उजागर करने
में मदद करता है.कल दोपहर बाद जून का सिरदर्द रेकी( ध्यान की ही एक विधि ) से
हल्का हुआ, शनिवार को बांह का दर्द भी इसी तरह ठीक हुआ था, शक्ति पास ही है स्वयं
को ठीक करने की भी और अन्यों की सहायता करने की भी ! जरूरत है वे ध्यान में ज्यादा
से ज्यादा उतरें !
आजतक मुझसे कोई भी योगाभ्यास नहीं हो पाया.. प्राणायाम आदि के विषय में कई लोगों ने सलाह दी.. लेकिन हो नहीं पाया. नैनी के बच्चे की तबियत और उसे डिब्रुगढ ले जाना जानकर दु:ख हुआ!
ReplyDelete'सिन्धी कढी' सामान्य कढी से किस प्रकार भिन्न है?
ननहे को बधाई!! और उसकी अन्यमंस्कता पर हँसी आ रही है!!
योग साधना का लक्ष्य तो प्रभु प्रेम है है और जिसके जीवन में यह घटित हो चुका है उसे इसकी जरूरत भी नहीं है..सिन्धी कढ़ी में दही का प्रयोग नहीं होता, बेसन से ही बनती है और इसे खट्टा करने के लिए कूकम का प्रयोग किया जाता है.
ReplyDeleteजी
DeleteGood one
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