Wednesday, May 15, 2013

चांगलांग - अरुणाचल प्रदेश का सुंदर शहर



नये वर्ष का शुभारम्भ हुए तीसरा दिन है, पिछले दो दिन वे सभी मित्रो से मिलकर नये वर्ष की मुबारकबाद देने में व्यस्त रहे, कल दो गुलाब के पौधे अपने बगीचे में लगाये, मैरून और हल्का नारंगी रंग का गुलाब, अब छह रंगों के गुलाब उनके बगीचे की शोभा बढ़ा रहे हैं. डहेलिया में हल्के पीले रंग का पहला फूल खिला है लाल बस खिलने को है. सर्दियां अपनी चरम सीमा पर हैं इन दिनों, पानी इतना ठंडा कि हाथ लगाने से डर लगता है. नन्हे का स्कूल क्रिसमस के अवकाश के बाद आज खुला है. घर कितना शांत लग रहा है इस समय. ईश्वर की दया का, कहना चाहिए स्नेह का एक और उदाहरण अज ही सम्मुख आया, वह हर वक्त सबकी सहायता करता है बस एक पुकार ही काफी है. कल उसकी उड़िया सखी चली जाएगी फिर न जाने कब मिलना हो, अपने उस दिन के व्यवहार से उसके पतिदेव ने उनलोगों के जाने का दुःख हल्का कर दिया है, इसके लिए उन्हें धन्यवाद देना चाहिए. जून ने कल फोन पर दोनों घरों में सभी से बात की, उनके घर फोन लग जाने पर कितना आसन होगा सभी के समाचार लेना.

सुबह दस बजे की सुनहली धूप में बालों को सुखाने के लिए कुछ वक्त चुरा लेना कितना भला लग रहा है, अभी किचन में आधे घंटे का काम शेष है. कल शाम जून को वह टोपी, जो उसने अपने दिल का सारा प्यार पिरोकर बुनी है, बहुत पसंद आई. अब उनके लिए वुलेन बूटीज शुरू की हैं. कल शाम उन्होंने ‘पपीहा’ फिल्म का शेष भाग देखा, अच्छी लगी सई परांजपे और उनकी बेटी विनी की यह फिल्म. कल माँ का नन्हे के लिए बनाया स्वेटर व हैट मिल, दोनों बहुत सुंदर हैं, जादू है उनके हाथों में. छोटी बहन का कार्ड और छोटा सा खत भी. मंझले भाई का पत्र भी आया है, नये वर्ष के कार्ड्स भी हर दिन आते ही जा रहे हैं.

  कल शाम वे क्लब गये, वहाँ की साज-सज्जा काफी बदल गयी है, पहले से ज्यादा सुंदर लग रहा है. इस बार क्लब मीट में वे नहीं जा पाएंगे. उसी दिन नन्हे को लेकर डिब्रूगढ़ जाना है एडमिशन टेस्ट दिलाने. सुबह-सुबह नाश्ते के लिए सब्जी काटने से खास तौर पर आलू काटने से उसके दायें हाथ का अगूँठा कितना मैला सा लग रहा है, अचानक उसका ध्यान जब हाथ पर गया तो उसने सोचा अबसे दस्ताने पहन कर सब्जी काटेगी. जून ने बताया, ‘चांगलांग’ जाने के लिए इनर लाइन परमिट तथा गेस्ट हाउस में बुकिंग के लिए कह दिया है, बीहू की छुट्टियों में वे वहाँ जायेंगे.    

2 comments:

  1. अरे वाह, आपने तो पूर्वोत्तर खूब अच्छी तरह देखा है। जानकार अच्छा लगा। आज के समय में तो हम भारतीयों को अपने देश की विविधता समझने की और भी अधिक आवश्यकता है।

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  2. हाँ, आपने सही कहा है, हमने बोमडिला, तवांग और देवांग का भ्रमण भी किया, दर्शनीय स्थल हैं सभी.

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