सोमवार की सुबह वे तेजपुर के लिए रवाना हुए. नन्हे के इन्टरव्यू के बाद परसों, मंगल की
शाम को वापस आये. कल सुबह घर व कपड़ों की सफाई में गुजर गयी. जून को पूरा विश्वास
है, दाखिला हो जायेगा. उन्हें स्कूल की इमारत काफी शानदार लगी, अभी फर्नीचर वगैरह
नहीं थे कक्षाओं में. पहली अप्रैल से स्कूल शुरू हो रहा है. इतने कम समय में कैसे
होगा और अभी टीचर्स का इन्टरव्यू भी होना शेष है. लेकिन ये सब स्कल वालों की समस्याएं
हैं. उनके सामने है, नन्हे की कक्षा तीन
की वार्षिक परीक्षा. जिन बातों का कोई हल नहीं उन्हें वक्त पर छोड़ देना ही बेहतर
है. नन्हे ने कल पहली बार स्वयं बोर्डिंग स्कूल जाने को कहा, वे जानते हैं,
वह वह खुश रहेगा और कक्षा में अच्छे
विद्यार्थियों में से भी. तीन महीने शुरू में रहने के बाद दो महीने की छुट्टियाँ
होंगी. जिन्दगी में परिवर्तन होगा, पिछले नौ-दस सालों से चली आ रही जिन्दगी में.
आज फिर कुछ दिनों के अन्तराल के बाद डायरी खोली है.
कुछ दिन अस्वस्थता और फिर अव्यवस्था, यानि ओढ़ी हुई व्यस्तता. आज माह का अंतिम दिन
है. सुबह से वर्षा के कारण मौसम काफी ठंडा
हो गया है. कल शाम नन्हे को जून ने किस बात पर डांटा तो वह बहुत रोया, उसके डांटने
पर वह इतना परेशान कभी नहीं होता. कल शिवरात्रि का व्रत था, जून ने भी उसका साथ
दिया और उन्होंने सिर्फ फलाहार किया, शाम को मन्दिर गये पर विधि के अनुसार पूजा
करना उसे आता ही नहीं है, सिर्फ दर्शन करके आ गये. पिछले कई महीनों से उसने कोई
कविता नहीं लिखी, अपने आप से सम्बोधित होते हुए अपने करीब जाते हुए कतराने लगी है,
कविता तभी उपजती है जब अपने अंतर में झांक कर पूरे दिल से कुछ महसूस करें, ऊपर –ऊपर
से शान्त दिखने वाल मन रूपी सागर के अंदर जो खलबली मची है उसे देखना होगा, एक दर्द
से दो चार होना पड़ेगा, पिछले दिनों जून धर्मयुग की कई प्रतियाँ एक साथ लये, क
कविताएँ उनमें अच्छी थीं. छोटी बहन ने उसके खत का जवाब नहीं दिया, अपनी जिन्दगी की
बागडोर जब तक वह स्वयं अपने हाथ में नहीं लगी, खुश नहीं रह पायेगी, जितनी जल्दी यह
बात समझ ले अच्छा है. ‘ऊर्जा संरक्षण’ पर लिखी कविता के लिए उन्हें पुरस्कार मिला
है, हिंदी दिवस पर एक नारे के लिए भी एक पुरस्कार घोषित हुआ था. एक स्वेटर पूरा हो गया है, अब दूसरा शुरू किया है.
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