दोपहर के पौने एक बजे हैं, वह पीछे वाले बरामदे में चटाई पर धूप में बैठी है, हल्की
खुमारी वातावरण में है. भोजन के बाद उन्होंने धूप में ही विश्राम किया रोज की तरह
और झपकी लग गयी, दही, खिचड़ी व मीठी गाजर की सब्जी का भी योगदान रहा होगा इस नींद
में. जून ने कहा है, उनका मोजा आज पूरा कर दे, शाम को वह पहनना चाहते हैं, वह संडे
मैगजीन पढ़कर ही बुनना शुरु करेगी. धूप एकाएक चली गयी है, शायद बादल का कोई बड़ा
टुकड़ा सूरज के सामने आ गया है. नन्हा आज सुबह ठंड से बहुत डर रहा था, पर स्नान के
बाद ठीक हो गया. उसने सोचा, अपने आप होस्टल में सभी काम कैसे कर पायेगा. कल शाम
उन्होंने स्क्रेम्ब्लर खेला, वह जीत गया बहुत खुश था जीतकर.
आज सुबह कुछ वक्त “फिरदौस” देखने में गुजरा, और कुछ
जमीन-आसमान. आयशा की हालत देखकर ही अशरफ को समझ आयेगी. उधर स्मृति को एक बार फिर जुगल
धोखा देकर जा रहा है, बेचारा जुगल अपनी अब तक की करनी का फल भुगत रहा है. आज जून
उसके लिए एक चॉकलेट लाये और बहुत स्नेह से शुभकामनायें भी दीं, उसे उम्मीद थी कि
एक कार्ड भी लायेंगे, उसने शिकायत भी कर दी मजाक में ही सही कंजूस कहकर, पर उनके
जाने के बाद सोचती रही, फूल, कार्ड आदि उतने महत्वपूर्ण नहीं जितना मन का प्यार.
महीनों पहले से इस दिन के बारे में सोचती आ रही थी की विवाह की दसवीं सालगिरह कुछ
विशेष होगी, पर रोज की तरह ही आज का दिन भी बीत जायेगा और जिन्दगी यूँ ही चलती चली
जाएगी. यदि कल नन्हे का टेस्ट न होता तो आज शाम वे एक छोटी सी पार्टी का आयोजन
करते. माँ-पिता और मंझले भाई की शुभकामनायें मिली हैं. अभी थोड़ी देर बाद वे शादी
का अलबम देखेंगे फिर टहलने जायेंगे जनवरी
की ठंडी शामों को स्कार्फ, स्वेटर से लदे-फदे टहलने जाने का अपना ही आनन्द है.
जून की फरमाइश है, मैदे के नमकपारे बना कर रखे, अभी
शुरू करने से दो बजे तक बन जायेंगे.
उसी दिन जिस दिन नमकपारे बनाये थे शाम को गिरकर
नन्हे ने अपना सामने वाला दांत तोड़ लिया पूरा नहीं सिर्फ एक कोना, पर वे तीनो ही उस
शाम बेहद उदास हो गये थे. जिसका असर अगले दिन भी रहा, पर शाम को लोहड़ी मनाते मनाते
वे उसका दर्द भूल गये. शनी और इतवार अरुणाचल की अलौकिक सुन्दरता को निहारते गुजरे.
कल यानि बीहू का अंतिम अवकाश, आराम करते हुए. आज नन्हा स्कूल गया है और जून दफ्तर.
कल शाम खांसी से नन्हे को वमन हो गया, नागमणि अच्छी है रजाई का खोल खंगाल कर गयी
है. अब बाकी का काम जून करेंगे, आज उसका रेस्ट डे है इस तरह के कामों के लिए. वर्षों
पहले स्कूल में थी तब डायरी में यह बात लिखी थी तो उसकी सखी कितना हंसी थी, जाने
कहाँ होगी अब वह ?
No comments:
Post a Comment