Monday, May 6, 2013

पालतू बिल्ली



आज फिर कुछ दिनों बाद डायरी खोली है, नन्हा पूजा की छुट्टियों के बाद आज स्कूल गया है, यूँ कारण यह नहीं है. कल दीदी को खत में लिखा कि लिखने का शौक बस डायरी लिखने तक ही सीमित रह गया है, लिखना चाहिए था कि कभी-कभार लिखने तक, पर स्वयं के प्रति ईमानदार रह सके इतनी हिम्मत अभी तक नहीं आयी है. हर बार छला है स्वयं को शब्दों से, सही-सही मन की बात बाहर आने से कतराती रही है. खैर अब उसकी फितरत यही है तो यही सही, ज्यादा भावुक होने की जरूरत नहीं, हाँ, अपनी बात को सच साबित करने के लिए कल से नियमित लिखना चाहिए. जून आज नन्हे को छोड़ने गए हैं, उसे प्रोजेक्ट वर्क लेकर जाना था. जिसमें पूरी छुट्टियों भर वे व्यस्त रहे. एक दिन दो अन्य परिवारों के साथ दिगबोई गए पिकनिक मनाने. पूजा देखने गए एक दिन, कुल मिलाकर पूजा का यह अवकाश अच्छा रहा. शाम को उनका एक मित्र परिवार घर जा रहा है, उनकी बिल्ली कुछ दिन यहाँ रहेगी, कुछ दिनों तक पेट् पालने का अनुभव भी हो जायेगा, पहले वह घबरा रही थी पर अब लगता है वे उसे आराम से रख पाएंगे. कल उसने पांच खतों के जवाब लिखे जो बहुत दिनों से पेंडिंग थे.  

  आज सुबह उठी तो सबसे पहले बिल्ली का ध्यान आया, दरवाजा खोल कर देखा तो बड़ी-बड़ी ऑंखें खोले वह रात वाली जगह पर ही बैठी थी, शायद रात को उसके लिए रखे बोरी के बिस्तर पर गयी ही नहीं. मालकिन को बहुत मिस कर रही है शायद, दिन भर बहुत थोड़ा सा ही खाया उसने. समय पर नैनी तो आ गयी पर सारा रूटीन अस्त-व्यस्त हो जाने के कारण दोपहर तक उसे काफी थकान लग रही थी, जून के जाने के बाद पढ़ना शुरू किया कि नींद आ गयी तेज और गहरी नींद. जो पौने तीन बजे खुली, फिर मशीन चलाई, कपड़े यूँ ही पानी में भीगे हुए थे, सुबह लाइट गायब हो गयी थी. नन्हे की सोशल की टीचर नहीं आयीं, उसे मॉडल और चार्ट सब वापस लाने पड़े. शाम को कुछ देर बगीचे में काम किया, कुछ देर बैडमिंटन खेला, फिर कुछ देर फिल्म देखी, और इस समय एक फिल्म के गाने बज रहे हैं, जो उसकी सखी ने बड़ी तारीफ करके दिया है, बेतुके से गाने हैं, वह पहला गाना जो उसे ज्यादा पसंद है अभी नहीं बजा, शायद वही अच्छा हो. जून भी कई दिन की छुट्टियों के बाद ऑफिस गए हैं उनका काम भी बढ़ गया है, विभाग में एक अधिकारी ने त्यागपत्र दे दिया है, उनकी पत्नी की अनुपस्थिति से लेडीज क्लब का आकर्षण भी कम हो जायेगा.

  आज सुबह बिल्ली जून की कार के नीचे छुप कर बैठ गयी और बहुत बुलाने पर भी नहीं निकली. वे दोनों जब सारे प्रयत्न करके हार गए तो नन्हे ने बिस्किट देकर उसे बाहर निकाला, उससे पहले जून ने बताया कि वह गेट से बाहर चली गयी थी, उसे हमेशा बाँध कर ही रखना होगा. उसकी मालकिन ठीक ही कहती थी, चीजलिंग शौक से खाती है, कोर्नफ्लेक्स कभी खाती है कभी सूंघ कर छोड़ देती है. लेकिन उसके कुछ दिन यहाँ रहने से बिल्लियों के प्रति उनके नजरिये में काफी बदलाव आ जायेगा.

 अभी साढ़े दस ही हुए हैं, यानि आधा घंटा तो है ही अपने आस-पास रहने का, सुबह साढ़े पांच बजे से लगातार कुछ न कुछ करते रहने से इस वक्त बैठना सुकून से भर गया है. मौसम आज भी पिछले कई दिनों की तरह अच्छा है, गर्म और खुला खुला सा दिन. सुबह उसकी पड़ोसिन ने सोमवार को उससे बड़ा पतीला देने को कहा, और फौरन ही उसने ग्रीटिंग्स कार्ड्स लाने का काम उसे थमा दिया, उसे शायद अच्छा न लगा हो. परसों कार्तिक का पहला सोमवार है, उनके यहाँ बहुत सारी महिलाएं आएँगी. उड़िया लोग त्योहारों को मिलजुल कर  मनाना पसंद करते हैं. कल नन्हे का न ही स्टोरी कम्पीटिशन हुआ न ही असेम्बली कार्यक्रम. बच्चों को निराशा का अनुभव कैसा लगता होगा, स्कूल से आया तो एक क्षण उदास था फिर सब भूल गया, यही तो बचपन कई सबसे बड़ी विशेषता है. इस हफ्ते उसे दो पत्र लिखने हैं, दीवाली तक चादर भी पूरी करनी है, दीवाली आने में सिर्फ बारह दिन शेष हैं, हो ही जायेगी, अर्थात होनी ही है.

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