आज जबकि उसे भोजन में
सिर्फ दाल ही बनानी थी, पौने ग्यारह बज गए हैं, और अब जाकर वह सुबह के कामों से
निवृत्त हुई है. अभी भी सलाद आदि का काम है जो जून के आने के बाद ही करेगी, थोड़े
से पल ये जो मिले हैं इनका उपयोग कर ही लेना चाहिए. कल जून ने भगवद्गीता के दो
कैसेट और रिकार्ड कर दिए. इस समय भी एक बज रहा है, “जो स्थिरवान पुरुष
सर्दी-गर्मी, मान-अपमान, सुख-दुःख में सम है, जो ममता से रहित है, वह मुझे प्रिय
है” इतने उच्च आदर्शों तक पहुंच पाना असम्भव नहीं तो कठिन अवश्य है, किन्तु वह
किसी सीमा तक इन बातों पर अमल कर सकती है. मन को शांत रखने के लिए यह रामबाण है
यानि सर्वोत्तम उपाय. कल उसकी एक उड़िया सखी अपनी नवविवाहिता ननद और उसके पति जो डॉ
हैं, को लेकर आई थी, दोनों बहुत शांत स्वभाव के लगे, अच्छा लगा उनसे मिलकर, उसने
उन दोनों को एक पेन सेट व दो पेन दिए जो पिता ने उसे बरसों पहले दिए थे. कल दोपहर
बाद उसने सात पत्र लिखे, भाइयों को भाईदूज का टीका भेजना था, और दो कार्ड्स भी जो
उसकी पड़ोसिन ले आयी थी तिनसुकिया से, शाम को उसे एक सखी के यहाँ जाना है, ‘जूनून’
देखने के बाद, उसे लगा कि वह इतनी छोटी-छोटी बातों को इतना महत्व देने लगी है कि
उन्हें लिख रही है, शायद घर गृहस्थी के इस ताने-बाने में उलझ कर रह गया है उसके मन
का वह कोना भी जो किसी और तरह सोचता था..पर यह घर संसार उसे इतना प्रिय है कि इसके
बदले स्वर्ग भी मिले तो तुच्छ है. नन्हे के भोले-भाले से सवाल और शरारतें, जून का
झूठमूठ का गुस्सा, सभी कुछ तो मोहक है. लेकिन उसके पास और भी बहुत कुछ है जो
महत्वपूर्ण है.
परसों रात
की तरह कल स्वप्न में बिल्ली को फिर देखा, एक बार लगा गला घुट रहा है, शायद उसकी
चेन फंस गयी थी. दीवाली की सफाई अभी बहुत शेष है. कल दोपहर बाद वे पड़ोसी के यहाँ
गए, लगभग शाम को ही उनके यहाँ कम्यूनिटी फीस्ट था, अच्छा लगा, लोगों को बेहिचक
मिलते-जुलते देखना उसे हमेशा ही अच्छा लगता है.
कल दोपहर
से ही उसे वही हर बार वाला सिर दर्द था, जून ने ऑफिस जाने से पहले दवा दी, फिर चाय
बनाकर भी. कुछ देर सोयी. शाम को वह बाम लगाकर लेटी थी और जून साइकलिंग करके आये ही
थे कि एक मित्र परिवार आ गया, और वे लोग जा ही रहे थे कि एक दूसरा परिवार. कल सुबह
से ही बैठक की शक्ल बिगाड़ दी थी सारे कुशन कवर आदि धोबी को दे दिए थे, खैर, आज अभी
रेडियो पर कमेंट्री आ रही है, वेस्टइंडीज और न्यूजीलैंड के बीच मैच हो रहा है. कल
नन्हा दोनों घुटनों में चोट लगाकर आया, बहादुर है, इतनी चोट पर भी रोया नहीं, शायद
रोया भी हो उसे बताया नहीं. ही इज सच अ स्वीट ...जेम ऑफ हर हार्ट. उसे अपने से दूर
भेजने की हिम्मत कैसे आयेगी. कल जून ने घरों पर फोन से बात की, वे लोग भी पीएंडटी
फोन के लिए अप्लाई कर रहे हैं. जून उसका व नन्हे का पासपोर्ट भी बनवा रहे हैं,
इसका अर्थ हुआ कभी न कभी वे विदेश यात्रा पर जायेंगे ही.
नवम्बर
माह का पहला दिन, “विश्व संचार सप्ताह” का भी पहला दिन. दीवाली में सिर्फ एक दिन
बाकी है, कल शाम उन्होंने नमकपारे बनाये आज नारियल के लड्डू बनाएंगे. उसकी उड़िया
सखी का फोन आया था, उसे कैलेंडुला के पौधे चाहिए थे, वे उनका इंतजार करते रहे, जब
वे नहीं आए तो वे एक मित्र के यहाँ चले गए, असमिया सखी ने आलू क्रश करके पकौड़े
बनाये, जून को बहुत पसंद आये, कभी वह भी बनाएगी उनके लिए. कल शाम से ही वे एकदूसरे
के साथ निकटता महसूस कर रहे थे, जैसे पहले-पहल किया करते थे, और जो कभी- कभी
दुनिया भर के कामों में कहीं खो सी जाती थी. नन्हे की चोट अब ठीक हो रही है, आखिर
उस दिन जून ने अन्ताक्षरी में भाग ले ही लिया, उन्हें गानों का शौक है और व गानों
की धुन भी जानते हैं, लेकिन झिझक के कारण अपने इस शौक को बढ़ा नहीं पाते हैं, वह तो
काम करते-करते ही गुनगुनाती रहती है. यकीनन गाना गाना थोड़ा बहुत तो आना ही चाहिए.
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