दिन खिला-खिला है आज, दोपहर के लिए उसने कई काम सोचे हुए हैं, शाम नन्हे
को परीक्षा की तैयारी कराते ही गुजरेगी. कुछ देर के लिए टहलते हुए लाइब्रेरी भी जा
सकते हैं. कल दोपहर वे घूमने गए थे पाइप ब्रिज पर, रोमांचक अनुभव था. कल उनकी
असमिया टीचर ने व्याकरण पढ़ाई, और साथ ही कहा अब वे नहीं आ पाएंगी, उन्हें अपने घर
आने का निमंत्रण भी दिया. उनकी याद हमेशा बनी रहेगी और एक दिन जब वे भाषा सीख जायेंगे
उनके घर जायेंगे उनसे मिलने. दीदी का खत नहीं आया न ही छोटी बहन का बहुत दिनों से,
क्या हुआ होगा वह कल्पना कर सकती है, और इसलिए कोई विशेष इंतजार भी नहीं है,
अर्थात बेताबी भरा इंतजार. आज क्लब जाना है, इम्ब्रायडरी किट के साथ, कल दोपहर भर
अभ्यास किया, देखें क्या होता है, फ़िलहाल तो अभी पौने दस हुए हैं, अभी कुछ काम
बाकी है...पेट में कुछ हलचल सी लगती है, लगता है ठंड भी लग गयी है एक नामालूम सी
बेचैनी भी है..पर इतनी नहीं कि रोजमर्रा के कामों में रुकावट पड़े, सो सब ठीकठाक ही
है. जून को सुबह आलू+मकई की रोटी बना कर दी थी, उसने भी खायी थी, शायद उसी का असर हो.
नन्हा आज बिना स्वेटर पहने ही बस में चढ़ गया, फिर पड़ोस के बच्चे के हाथ उसे स्वेटर
भिजवाया.
मौसम आज कल जैसा बिलकुल नहीं
है, कल शाम से ही बदली बनी है, बरसने को तैयार.. ठंडी हवा भी बह रही है. कल शाम से
ही मन में विचारों का बवंडर उठ रहा है, वही खामख्याली...अपने आप से शिकायतें...उसकी
बंगाली सखी ठीक ही करती है कि इन सब से ऊपर रहती है. न पानी में उतरेंगे न डूबने
का डर रहेगा..मगर उसे आजकल ओखली में सर देने का शौक जो हो गया है. खैर, बहुत हो
गया, इस पर और मगजमारी करना ठीक नहीं, जानती है सिर्फ इतना लिख भर देने से ही उस
से मुक्ति नहीं है, वह तो समय ही लाएगा...समय जो सबसे बड़ा मरहम है हर जख्म को भर
देता है. नन्हा आज जल्दी आयेगा, माह का अंतिम दिन है, खाना वे एक साथ ही खायेंगे.
परसों जून एक सुंदर नया जग लाए हैं, प्लास्टिक बॉडी है अंदर स्टील है, शाम को कोई
मेहमान आया तो वे उसे पहली बार इस्तेमाल करेंगे.
दिसम्बर
महीने के दो दिन गुजर गए, वक्त पंख लगाये उड़ रहा है जैसे. कल दोपहर उसकी पुरानी
पड़ोसिन आई अपनी बहन के साथ, अच्छा लगा, पुरानी यादें फोटो देखकर ताजा कीं और शाम को
मिलकर सबने कवितायें भी पढीं, पर रात होते तक इतना थक चुकी थी कि बिस्तर पर जाते
ही नींद ने घेर लिया. कल जून क्लब मीट के सिलसिले में एक नोटिस लाये जिसमें
सोविनियर में हिंदी अनुभाग के लिए उसका नाम भी था, अच्छा लगा पहली बार अपना नाम
कमेटी मेम्बर्स की लिस्ट में देखकर. दो दिन पहले ऊर्जा संरक्षण के लिए स्लोगन व
कविता लिखने का काम भी दिया था जून ने, जो अभी तक शुरू भी नहीं किया है.
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