कल दोपहर उसने टमाटर
प्यूरी बनाई, उनके घर में उगे टमाटर अब साल के उन दिनों में भी उनका साथ देंगे जब वे
बाजार में नहीं मिलते. परसों शाम उन्होंने ‘अलादीन’ फिल्म देखी. बहुत अच्छी लगी.
कल शाम उसकी बंगाली सखी ने खाने पर बुलाया था, उसे अच्छा लगा, उसकी बातें अच्छी
लगती हैं, और वह जानती है कि वह भी उसका साथ पसंद करती है. उसने शाम को क्लब में
होने वाले “संगीत कार्यक्रम” में जाने के लिए कहा है, उसने सोचा यदि जून और नन्हा
मान जाएँ तो वह जा सकती है.
अज भी ठंड ज्यादा है, उसने सारे काम निपटा लिए और
हीटर के सामने आ गयी, जून का कहना है कि उसके घर आने से पूर्व खाना बिलकुल तैयार
होना चाहिए. छह खतों के जवाब लिखे. जून एक स्वास्थ्य पत्रिका भी लाये हैं, जो वह
तभी लाते हैं जब घर में कोई अस्वस्थ होता है.
आज मन में एक विचार आया है क क्यों न धूप में कुछ देर टहल
आया जाये, इस समय सडकें भी खाली होती हैं. कल शाम वे एक मित्र परिवार से मिलने
गये, उनके पिता आए हुए थे, उसने सोचा तेजपुर से लौटकर वे भी उन्हें अपने घर बुलायेंगे,
इतना लिखकर वह गोल्फ फील्ड तक टहलकर आयी है, कुछ दूर फील्ड के अंदर भी गयी, सूखी
घास पर, सूखे पत्तों पर चलना अच्छा लग रहा था. कल रात वर्षा के साथ तूफान भी आया,
उनके बगीचे में कई नाजुक पौधे जमीन पर गिर गये हैं, उसने सहारा देकर उन्हें खड़ा तो
कर दिया पर बाद में माली ही उन्हें ठीक से सम्भालेगा. आज धूप में कई दिनों बाद तेजी
है, वह चटाई पर बैठी है पिछले बरामदे में.
कल शाम
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार उनकी ‘असमिया क्लास’ हुई. उसके कुछ देर बाद
उसकी असमिया सखी आ गयी, उसके साथ वह बहुत अपनापन महसूस करती है. नन्हा कल शाम फिर
कह रहा था, बोर्डिंग स्कूल नहीं जायेगा, पर बाद में उनके समझाने पर मान गया, यदि
उसका दाखिला हो जाता है तो उसके भविष्य के लिए बहुत अच्छा होगा. वह कहाँ रहकर
पढ़ेगा यह तो भविष्य ही बतायेगा.
अभी अभी उसकी हमराशि पुरानी पड़ोसिन का फोन आया,
लिखने का क्रम टूट गया तो अब कुछ मुश्किल हो रही है विचारों को पकड़ पाने में, मन
कितना तेज भागता है. इस एक पल में जब वह एक वाक्य लिखती है, मन में एक पूरा विचार
अंकित होकर जा चुका होता है. ऐसी कोई मशीन कभी न कभी बनेगी जो मन के एक एक भाव को
पकड़ सके. ऋषि-मुनियों ने इसी भागते हुए मन को लगाम लगाने का प्रयास तपस्या के बल
पर किया था. उसका सारा प्रयास उस वक्त व्यर्थ चला जाता है जब वह मन ही मन गीता पाठ
करती है. उस दिन उसकी सखी ने ठीक ही कहा था, बोल कर पाठ करने से मन जल्दी एकाग्र
होता है.
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