Monday, May 28, 2012

अमलतास के फूल


आज मौसम कितने दिनों बाद अपने सुन्दरतम रूप में है. सुबह पांच बजे ही वे उठ गए थे. अमलतास के फूल जो वे लाए थे अपने साथ प्रातः भ्रमण से लौटते समय, उनसे बैठक कैसी खिल गयी है. कल इतवार था सुबह सबने मिलकर सफाई की, सबसे कम काम उसने किया. जून के अनुसार इन दिनों में ज्यादा थकान होना अच्छा नहीं उसके लिये..उसका स्नेह दिन-प्रतिदिन उसके लिये बढ़ता ही जा रहा है. कल रात वे अपने कॉलेज के दिनों की स्मृतियाँ बाँट रहे थे कि जून ने ऐसा कुछ कहा, वह खो गयी उसके सच्चे मोती के समान स्वच्छ निर्मल स्नेह में. स्वयं भी तो उसे एक क्षण के लिये नहीं भूलती, वह घर पर हो या बाहर उसका मन उसकी ही बात सोचता रहता है सब कार्य करते हुए, सबसे बातें करते हुए भी.

कल उसने सब पत्रों के जवाब लिख दिये, आज हो सकता है, माँ का पत्र आये. आज भी मौसम अच्छा है सुबह जून जब ऑफिस गए तो वर्षा तेज हो गयी थी अब थम गयी है. कल संध्या वे अस्पताल गए थे, कितना छोटा और प्यारा सा था उसकी सखी का बेटा, उसके सिर पर रेशमी, काले, घने बाल थे. घर आकर वह कितनी देर उसके बारे में सोचती रही, और सोचती रही कि उसके घर आने वाले नन्हे मेहमान के बारे में, जैसे-जैसे दिन नजदीक आ रहे है, मन में एक अजीब सी उत्सुकता व बेचैनी बढ़ती जा रही है. पर एक विश्वास है उनके मनों में, कि जो भी होगा, अच्छा होगा, सब ठीक होगा.

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