सुबह साढ़े चार बजे नींद खुली, धूप इतनी
तेज थी कि लग रहा था छह बज गए हैं. कल शाम जून इस मौसम में पहली बार तैरने गया.
वापस आकर उसे लग रहा था कि नूना को, दिन भर बाहर रहकर दुबारा उसे छोड़कर जाना अच्छा
नहीं लगा. हो सकता है अनजाने ही उसका मन उदास हो गया हो, उसे संध्या के वक्त घर पर
देखने की आदत जो पड़ गयी है. उसे लगा कि बिना किसी विशेष कारण के उसे उदास नहीं
होना था. वह इतना संवेदनशील है भावुक है कि उसकी आँखें देखकर ही मन की बात पढ़ लेता
है.
आज पांच जून है, विश्व पर्यावरण
दिवस, पहली बार जब यह शब्द सुने थे, तो कितनी बेचैन थी इसके बारे में अधिक से अधिक
जानने को, पर्यावरण का सही अर्थ जानने को भी. आज सुबह उसकी मित्र सुबह साढ़े चार
बजे अस्पताल गयी है, जाने कैसी होगी वह, क्या हाल होगा , कल शाम वह उसे मिली थी,
खुश थी. अगले कुछ हफ्तों में उसे भी एक दिन जाना होगा. जून कल भी तैरने गया था. आज
उसने चौहदवें अध्याय में सत्व, रज और तम गुणों के को धारण करने वाले मानवों की
प्रकृति के विषय में पढ़ा. सत्व गुण की प्रधानता ही ईश्वर के समीप होने का चिह्न है
और तमोगुण की अधिकता उससे विपरीत होने का.
No comments:
Post a Comment