Monday, May 7, 2012

अप्रैल फूल


उस दिन अप्रैल की पहली सुबह थी. उन दोनों ने एक दूसरे को अप्रैल फूल बनाया और खूब हँसे. पिछली शाम आंधी आयी थी और हल्की बूंदाबांदी भी हुई, लेकिन सुबह वैसे ही गर्म थी. रात वह अजीब-अजीब स्वप्न देखती रही, बीच बीच में नींद टूट जाती थी, उमस भी थी कमरे में, उठकर जून ने पंखा चलाया पर उसके बाद भी असुविधा में थे तन-मन दोनों. संभव है दिन में सो लेने के कारण ऐसा हुआ हो, या जैसे-जैसे दिन नजदीक आ रहे हैं, दिक्कतें कुछ तो आयेंगी ही. वह पिछले कई दिनों से एक नॉवल पढ़ रही थी. कितनी सूक्ष्मता से दो जोड़ों के चरित्र का चित्रण लेखक ने किया है. कल शाम उन्होंने आपने विवाह की एल्बम देखी और एक पुराना खत पढ़ा, बहुत हँसे अपनी उन दिनों की दीवानगी पर. जून आजकल हर वक्त उसका ध्यान रखने का प्रयत्न करता है, वह खुश है और स्वस्थ भी. उसे घर का काम करने का भी शौक है, इतवार को कपड़े धोने में उसे मजा आता है. दोसे बनाने हों तो तैयारी में सिवाय दाल-चावल भिगोने के उसे और कुछ नहीं करना पड़ता. उसे पीसने के लिये व चटनी बनाने के लिये वे अपने दक्षिण भारतीय मित्र के यहाँ जाते हैं, व बनाने के लिये वह तैयार रहता है.

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