Thursday, May 31, 2012

नामकरण संस्कार


इस समय टीवी पर ‘गंगा प्रदूषण मुक्ति’ अभियान दिखाया जा रहा है, जो वाराणसी में राजीव गाँधी द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया जा रहा है. प्रधानमंत्री इस परियोजना के प्रतीक का अनावरण कर रहे हैं. उसे याद आ रहे हैं वे दिन जब पूरे परिवार के साथ वह गंगा भ्रमण के लिये जाती थी, जो भी मेहमान उनके यहाँ आते थे, उन्हें भी गंगा दर्शन के लिये ले जाना होता था. पानी तब इतना दूषित नहीं था.
आज इतवार है, अभी तक का समय खट्टा-मीठा बीता है और यह इस बात का प्रतीक है कि अभी जीवन में स्पदंन है. बिना कोई परेशानी आये, सीधे-सीधे जीवन का पथ तय होता जाये तो आनंद ही क्या. कल शाम वे नवजात शिशु से मिलने गए थे जो कल ही घर आया है, अभी तक उसका नाम नहीं रखा गया है, नामकरण संस्कार होने पर ही नाम रखेंगे उसकी माँ ने बताया, नूना को थोड़ा आश्चर्य हुआ, उसने तो अभी से नाम सोच रखा है. कल वह फिर जायेगी उसके लिये उपहार लेकर, आज तो बाजार बंद है. वे घर लौटे तो दो परिवार उनसे मिलने आये हुए थे. रात को स्वप्न में वह अमेरिका पहुँच गयी थी, और छोटी बुआ को भी देखा. सुबह नींद देर से खुली, पर जून ने बिना कोई जल्दबाजी किये आराम से ही ऑफिस जाने की तैयारी कर ली. उसकी यही बात नूना को बहुत भाती है, वह कभी भी घबराता नहीं है, न दूसरे को ही इसका अनुभव करने देता है.

कल टीवी पर व्ही. शांताराम की प्रसिद्ध फिल्म देखी, ‘झनक झनक पायल बाजे’ उसे तो बहुत अच्छी लगी, पर जून को ऐसी फ़िल्में अच्छी नहीं लगतीं शायद, वह बीच-बीच में उठ कर चला जाता था. रात दस बजे फ़्रांस में हुए ‘इंडिया फेस्टिवल’ की समाप्ति पर एक विशेष कार्यक्रम था, कितना मन था उसका देखने का पर यह जून है न जो, उसे नींद आती है दस बजे ही, बेड में आने के बाद चाहे ग्यारह, बारह बजे तक जगता रहे.
   

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