आज भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरु की
पुण्य तिथि है. वही रोज का समय है, उतनी ही धूप वैसी ही गर्मी. पता नहीं वर्षा
रानी किस दिन रिमझिम करती आएगीं. कल टीवी पर मौसम का हाल देखा था तो उसमें वर्षा
होने के आसार बताए थे पर अभी तक तो दूर-दूर तक बादलों का कोई पता नहीं है. माँ की
तबियत बेहतर है, उन्हें परहेज करने के लिये कहा है डॉक्टर ने पर वह ऐसा नहीं करती हैं और इसीलिए
अस्वस्थ रहती रहती हैं. उनके साथ मकान मालिक बूढ़े बाबूजी भी आये हैं, जो किताब पढ़
रहे हैं, खुशमिजाज हैं बाबूजी. जून ने कल शाम कई दिनों के बाद किताब खोली, वह स्वयं
को दूसरे कामों में व्यस्त रखता है और उसे पढ़ाई का समय नहीं मिल पाता.
टीवी पर नेहरु जी पर कुछ कार्यक्रम देखे, उन्होंने सोचा कि उनकी आत्मकथा वे अपने घर में रखेंगे और गाँधी जी की भी. पता नहीं उनके ट्रांजिस्टर में क्या खराबी आ गयी है कि डिब्रूगढ़ रेडियो स्टेशन के प्रोग्राम भी नहीं पकड़ता, वह सुबह आठ बजे के समाचार भी नहीं सुन पायी और सीलोन के कार्यक्रम भी स्पष्ट सुनाई नहीं देते हैं, जून से कहकर उसे दिखाना होगा उसने सोचा. आज भी मौसम वैसा है, वर्षा तो जैसे स्वप्न हो गयी है. कल रात उसे अजीब सा अहसास हुआ, सारे तन में गर्मी भर गयी किसी करवट चैन नहीं आ रहा था, फिर धीरे धीरे सब शांत हो गया. जून को भी उसके साथ देर तक जगना पड़ा.
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