Thursday, May 3, 2012

अ हैंडफुल ऑफ़ राइस


कल शाम को एक छोटी सी बात ने उसे परेशान किया और उसकी चुप्पी से जून भी उदास हो गया. दोनों ही कुछ देर करवटें बदलते रहे पर वह जानती है कि वे एक दूसरे की खुशी से खुश होते हैं और एक दूसरे के दुःख से दुखी...जैसे प्यार की कल्पना उन्होंने की है वैसा ही स्वच्छ, निर्मल, स्नेहिल, उदार प्यार उनके मध्य बहता है. हर क्षण वे साथ साथ जीते हैं. तो थोड़ी ही देर में सारी दूरी मिट गयी थी और हँसी लौट आयी थी. उन्होंने वादा किया कि भविष्य में ऐसा नहीं होने देंगे. उनके बीच कोई गलतफहमी नहीं रहेगी. होगी सिर्फ स्नेह की अटूट धारा व हँसी की डोर. जून जब हँसता है उसकी आँखें भी हँसती हैं और नूना को बहुत अच्छी लगती हैं.
आज उसके ऑफिस जाते ही उसने वह किताब उठा ली जो पिछले सात-आठ दिनों से पढ़ रही थी. A handful of rice  अंतिम अध्याय रह गया था. स्नान में देर हुई पर पढ़कर खत्म किया, किचन में झाड़ू लगाया. बाकी  घर की सफाई करने तो सफाई कर्मचारी आता है. कल जून को फिर तिनसुकिया जाना है और उसे कुछ घंटे अकेले रहना होगा पर गए बिना गुजारा भी तो नहीं है. उसने रोड टैक्स भी जमा नहीं किया है वैसे तो वह छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखता है, इसके लिये भी डिब्रूगढ़ जाना होगा यानि आधा दिन और लगेगा.  

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