कल चचेरे व फुफेरे दोनों भाइयों के पत्र आये, फूफा जी
की अस्वस्थता के बारे में लिखा था, उसे याद आया बचपन में बच्चे बुआ के कहने पर
उनकी सिगरेट छिपा देते थे, पर वे किसी न किसी तरह ढूँढ ही लेते थे. उसने जून की
नीली पैंट ठीक कर दी है, पहले भी एक बार की थी, उसने सोचा कि उसे एक और पैंट जरूर
ही सिलवानी चाहिए, आज वह तिनसुकिया गया है,
वाराणसी से सभी जन आ रहे हैं उन्हें लाने. नूना ने कितना कहा कि हेलमेट पहन कर
जाओ, रास्ता लम्बा है, मोटरसाइकिल पर तय करना है पर माना ही नहीं, बच्चों की सी
जिद करता है कभी कभी. रात बेहद गर्मी थी पर इस वक्त बादल हैं, वह जरूर भीग गया
होगा.
घर कितना भरा-भरा सा है, कल वे आ
गए थे. ट्रेन सिर्फ ढाई घंटा लेट थी. जून बिल्कुल भीग गया था पर स्टेशन पर पहुंचने
के बाद वर्षा रुक गयी थी. दिन भर वह व्यस्त रही न अपनी सुध थी न उसकी. बातों में
घूमने में टीवी देखने में समय सबके साथ कैसे बीत जाता है पता ही नहीं चलता. जून को
बहुत काम करना पड़ता है पर वह चेहरे पर जरा भी शिकन लाए बिना बिना थके सब करता है. प्याज की रोटी के लिये माँ प्याज काटते-काटते
बातें भी करती जा रही थीं. उनकी तबियत पूरी तरह ठीक नहीं है.
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