आज उसे डॉक्टर के पास जाना था. सामान्य जाँच के लिये.
हो सकता है अब हर दो हफ्ते बाद जाना पड़े. सुबह किचन की सफाई भी की. कल बाकी घर की
सफाई की थी, हमेशा की तरह जून ने दीवारों, छत के कोनों की और उसने फर्श की. कमरे
की सजावट में थोड़ा फेरबदल भी किया. आज बरामदे में हैंगिग फ्लावर पॉट लगाने के लिये
हुक लगाने कुछ लोग आये थे. उसने कल्पना में उनमें लटकते फूल देखे और फिर कल
लाइब्रेरी से लाई किताब पढ़ने लगी.
होली आयी और चली भी गयी. हर वर्ष
की तरह यादें छोड़ गयी, कुछ खट्टी कुछ मीठी. आज गुड फ्राइडे है, इसी दिन ईसा को
सूली पर चढ़ना पड़ा था. दो हजार से अधिक वर्ष हो गए इस घटना को पर आज भी व्यथित होते
हैं लोग इसे याद करके.
सहगल का गीत, ‘कहो न आस निरास भई’ सुनते
हुए उसने अधूरी चादर पुनः काढ़नी शुरू की है. अच्छा लगता है उसे फूल काढ़ना और सहगल
के पुराने गीत सुनना भी. अभी कुछ देर पूर्व जून आया था, उसके स्नान के लिये गर्म
पानी रख कर जाना भूल गया था, इसीलिए आया था. कितना ध्यान है उसे नूना का.
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