मन का भी यह अजीब रवैया है कि जिसको वह सदा आनंदित
देखना चाहता है उसी को पल में उदास भी कर देता है. आज जून को नूना के कारण उदास
होकर जाना पड़ा है, क्या वह समझ पाएगा कि ऐसा उसने क्यों किया. आज सुबह वे पांच बजे
ही उठ गए थे. आज उसने जन्मदिन पर एक कार्ड भी दिया अपने हाथों से बनाया. बहुत
स्नेह छुपा था उसमें और भी कितने उपहार दिए. पर आज उसे अपने कुछ बीते हुए पुराने
जन्मदिन याद आ रहे थे, सुबह स्वप्न में छोटे भाई, बहन को देखा, माँ को भी देखा और
देर तक उस स्वप्न की स्मृति बनी रही और जून ने सोचा कि उसे उसके दिए उपहार अच्छे नहीं
लगे और वह उदास होकर चला गया. बाद में नूना ने सोचा इस समय वह ऑफिस में होगा शायद
कहीं बाहर भी जाना पड़ा हो. जियोलॉजीकल लाइब्रेरी या सेंट्रल स्कूल. उसने सोचा जब
वह घर आयेगा और उसे प्रसन्न देखेगा तो सहज हो जायेगा, वह उसकी प्रतीक्षा करने लगी
उसके जाने के फौरन बाद से ही.
वह बचपन से हर जन्मदिन पर प्रार्थना करती है कि उस दिन वर्षा हो, चाहे दो-चार बूंदें ही गिरें और सदा उसकी इच्छा पूरी होती आयी है. भगवान अब भी उसकी बात सुनते हैं, कल रात हुई वर्षा इसका प्रमाण है, जबकि वह उनकी कही एक भी बात नहीं मानती. कल का दिन बहुत अच्छा रहा, सभी के पत्र व कार्ड मिले.
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