Thursday, August 30, 2018

आठ शक्तियाँ




नन्हा कल वापस चला गया. एक हफ्ता उसके रहने से घर का माहौल ही बदल गया था. पता ही नहीं चला एक हफ्ता कैसे बीत गया. मित्र के विवाह में वह आया तो अपने साथ एक मित्र को भी ले आया, दोनों ने ड्रोन उड़ाया और वह खो गया. उसे यकीन है कि एक न एक दिन वह मिल जायेगा. उसकी मित्र भी पहली बार घर आई, पता नहीं भविष्य में क्या लिखा है. नन्हे ने पूसी के लिए जो घर बनाया उसमें रेशमी वस्त्र बिछाया, काफी आरामदेह है, वह रात को उसमें सो भी सकती है. अगले हफ्ते मृणाल ज्योति में वार्षिक सभा है. जिसके लिए उसे एक कविता लिखनी है. जून कल चार दिनों के लिए शिलांग व गोहाटी जा रहे हैं. इस दौरान उसे एक जन्मदिन की पार्टी में जाना है और उसी दिन महिला क्लब की थैंक्स गिविंग पार्टी भी होने वाली है. अगले दो दिन घर की सफाई में लगने वाले हैं, पिछले हफ्ते इसकी तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया.

सुबह टीवी पर एक ब्रह्मकुमारी बहन आठ शक्तियों के विषय में बता रही थीं. हर आत्मा में ये आठ शक्तियाँ हैं. पहली है सिकोड़ने और फ़ैलाने की शक्ति, कछुए की तरह विपत्ति आने पर स्वयं को सिकोड़ लेना और सामान्य काल में विस्तार कर लेना यदि वे सीख जाते हैं तो हर परिस्थिति का सामना कर सकते हैं. दूसरी है समेटने की शक्ति, जो भी विस्तार उन्होंने जगत में किया है, अंत में एक क्षण में उसे छोड़ कर जाना होगा. यदि जीवन काल में भी समय-समय पर सब प्रवृत्ति त्याग कर गहन ध्यान में जाने की क्षमता है तो मोह से मुक्ति सहज ही मिल जाती है. मन की समता बनाये रखने के लिए सहन शक्ति या तितिक्षा का भी सबको अभ्यास करना है. यदि मन में सबके प्रति शुभभावना होगी तो किसी की बात बुरी नहीं लगेगी और सबके साथ निभाना सरल हो जायेगा. किसी भी बात को अपने भीतर समाने की शक्ति को भी पोषित करना है, जो विशाल बुद्धि से आती है, जीवन जितना मर्यादित होगा, अनुशासन का पालन सहज होगा उतना ही विपरीत को समाना आसान होगा. सार-असार, नित्य-अनित्य को परखने की शक्ति भी हर आत्मा में छुपी है. ज्ञान को अपने भीतर धारण करने से ही यह पोषित होती है. किसी भी विषय में शीघ्र निर्णय लेने की क्षमता भी हरेक के भीतर है पर वे कई बार गलत निर्णय ले लेते हैं या निर्णय को टालते रहते हैं और समय निकल जाता है. सांतवी शक्ति है सामना करने की, जीवन में किसी भी परिस्थिति का बहादुरी से सामना करने की शक्ति भी जगानी होगी. अंतिम लेकिन एक महत्वपूर्ण शक्ति है सहयोग करने की शक्ति, जगत म,एन सभी को किसी न किसी का सहयोग चाहिए, जो सबके साथ मिलकर काम करना जानता है, वह कभी अकेला नहीं होता.

जून इतवार दोपहर को गये, शाम तक शिलांग पहुंच चुके थे, अगले दिन गोहाटी आ गये. सम्भवतः परसों वह लौट आयेंगे. रविवार को उसने बच्चों के साथ गुरूपूर्णिमा का उत्सव मनाया, सोमवार को संध्या के योग सत्र में फिर से महिलाओं के साथ. अगले सप्ताह उन्हें महिला क्लब की मीटिंग में योग पर एक कार्यक्रम प्रस्तुत करना है. इस समय रात्रि के ग्यारह बजने को हैं. शाम को लिखना आरम्भ किया था कि योग कक्षा का समय हो गया. उसके बाद तैयार होकर वह एक नन्ही बच्ची के जन्मदिन की पार्टी स्थल पर गयी, वहाँ होटल के स्टाफ के अतिरिक्त कोई नहीं था. लौट कर उनके घर गयी फिर बच्ची की नानी के संग वहाँ पहुँची. काफी अच्छा इंतजाम था. केक काटा गया और बिना अंडे का केक खाकर वह महिला क्लब की आभार प्रकटीकरण के भोज में आ गयी. जहाँ सभी महिलाएं आ चुकी थीं. मेहमान पौने नौ बजे आने शुरू हुए. दस बजे तक औपचारिक भाषण आदि होते रहे, उसके बाद जूस पव अन्य पेय आदि दिए गये, मेहमानों में कुछ उच्च अधिकारी भी थे. दस बजे वह वापस आ गयी, एक सखी ने रोटी व रायता पैक करके दे दिए, दिन की भिंडी की सब्जी पड़ी थी, सो डिनर घर पर ही खाया. सुखबोधानन्द जी को बहुत दिनों बाद सुना और अब ‘पीस ऑफ़ माइंड’ पर गूढ़ चर्चा चल रही है. वे आत्मायें हैं, हर अपने शुद्ध रूप में आत्मा पवित्र हंस है, देवदूत है, कमल वत है ! कर्मों के द्वारा ही वे आत्मा के शुद्ध स्वरूप से नीचे गिरते हैं और ज्ञान, कर्म व धारणा के द्वारा ही वे पुन शुद्ध स्वरूप को पा सकते हैं. स्वयं को दाता से जोड़कर उन्हें भी कर्मों तथा वाणी के द्वारा जगत को देते ही जाना है. वे जब स्वयं के असली स्वरूप को भूल जाते हैं तो ही द्वंद्व में पड़ते हैं. यदि हर क्षण यह याद रहे कि वे कौन हैं, तो सदा आत्मा में ही रमण करेंगे.  

Tuesday, August 28, 2018

दफ्ती का घर



शाम होने को है. टीवी पर केन्द्रीय मंत्री बता रहे हैं कि उत्तर-पूर्व भारत के विकास और सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार क्या काम कर रही है, इसको बताने के लिए एक पुस्तिका का प्रकाशन भी हुआ है. पिछले दिनों यहाँ काफी ‘बंद’ हुए और तेल कम्पनी को भी इसके कारण काफी खामियाजा भुगतना पड़ा है. जून अभी आने वाले हैं, शाम को उन्हें बंगाली सखी के यहाँ जाना है, चाय पर बुलाया है. कल शाम को एक अन्य सखी ने रात्रि भोज पर बुलाया है. ‘नजर बदली तो नजारे बदले’, कितनी सही कहावत है यह. किसी के प्रति उनका दृष्टिकोण बदलते ही सामने वाला भी बदला सा नजर आने लगता है. यदि पहले कभी मित्रता रही हो तो वही पहले वाला प्रेम भरा. किसी के प्रति कभी भी कोई विपरीत भाव न जगे, क्योंकि एक का ही विस्तार है सब. एक के प्रति भीतर प्रेम जगे तो सबके प्रति उसकी खुशबू फ़ैल ही जाती है और उसमें प्रेम देने वाला स्वयं भी शामिल होता है. जगत के साथ उनका व्यवहार खुद के साथ के व्यवहार को ही झलकाता है. जब भी जगत के प्रति उनके मन में कोई भी निंदा का भाव जगता है, वे हर बार स्वयं को ही पीड़ित कर रहे होते हैं. भीतर की शाश्वतता का अनुभव जिसे हो जाये फिर वह बदलने वाले इस जगत को नहीं देखता, उसके पीछे छिपे अबदल ही देखता है, जो बदल ही रहा है, उसकी चिंता कब तक और क्यों ? जो अबदल है उससे ध्यान हटते ही पीड़ा व दुःख का संसार आरम्भ हो जाता है. उनके भीतर ही है शांति का वह परमधाम जहाँ अनंत सुख का साम्राज्य है !

नन्हे ने आज अपनी कम्पनी व कार्य के विषय में बहुत कुछ बताया. अगले कुछ वर्षों में वे अधिक लाभ प्राप्त करेंगे, अभी तो वे पैसा लगा रहे हैं, जो इन्वेस्टर ने लगाया है. वह अपने काम से संतुष्ट लगता है. सुबह उसकी मित्र से फोन पर बात हुई, वह इसी माह नन्हे को अपने पिता से मिलाएगी. वह कह रही थी कि उनकी क्या प्रतिक्रिया होगी, उसे जरा भी अंदाजा नहीं है. चार बजने को हैं शाम के. अभी कुछ देर पूर्व अस्पताल से लौटी. आँख का दबाव सामान्य है. दस दिन बाद फिर जाना है. आंख के आगे एक काला घेरा सा दिखाई देता है. उसकी वजह से और कोई समस्या तो नहीं है फ़िलहाल. नन्हे ने पूसी के लिए दफ्ती का एक घर बना दिया है, पर वह उसमें कम ही टिकती है. कल ही वह वापस जा रहा है.

सुबह से लगातर वर्षा हो रही है. अभी-अभी धोबी आकर धुले सूखे कपड़े दे गया, ऐसे मौसम में भी वह अपना कर्त्तव्य पूरी तरह निभाता है, पुत्र की पढ़ाई को लेकर चिंतित है. उसे बीए के बाद एमए कराना है, क्या उसके बाद सरकारी नौकरी मिल जाएगी, क्या पढ़ाई कर लेने मात्र से ही मिल जाएगी ? ये उसके प्रश्न थे. नन्हे ने कहा, प्राइवेट नौकरी ही ढूँढनी पड़ेगी. आज लाओत्से पर ओशो के वचन सुने. अद्भुत वचन हैं उसके, ज्ञान जितना-जितना बढ़ेगा, पाखंड भी बढ़ेगा, होशियारी बढ़ेगी तो चालाकी भी बढ़ेगी. जब तक कोई द्वन्द्वों के पार नहीं चला जाता, उनसे मुक्त नहीं हो सकता. अच्छे बने रहने का आग्रह बुरे से पीछा छुड़ाने नहीं देता. आत्मा में रहकर मन के सारे द्वंद्व स्पष्ट दिखने लगते हैं. शिवानी भी कहती है, सतयुग में ज्ञान की, पूजा की कोई आवश्यकता ही नहीं रहेगी क्योंकि अज्ञान ही नहीं होगा. स्वभाव में टिकना आ जाये किसी को तो वह सुख-दुःख दोनों के पार निकल जाता है.    

Friday, August 24, 2018

भेलपूरी की चाट



पिछले दो दिन फिर कुछ नहीं लिखा, दिन जैसे उड़ रहे हैं. मन भी श्रद्धा और विश्वास के पंख लगाकर ऊंची उड़ान पर निकल जाता है अक्सर, कितने-कितने भाव उमड़ते हैं पर उन्हें शब्दों में बांधने का अवसर नहीं आता, कलम हाथ में ही नहीं ली तो अवसर भी कैसे आएगा. आज शाम को एक मित्र परिवार भोजन पर आ रहा है, उनका पालतू कुत्ता भी आएगा. एक अन्य सखी भी अपने पुत्र के साथ आएगी. सात्विक जैन भोजन बन गया है. चावल व रोटी समय पर ही बनेंगे. वे लोग प्याज अदि नहीं खाते, उम्मीद है भोजन सबको भायेगा. सुबह स्कूल से लौटकर देखा, पूसी के पैर में चोट लगी है, वह लंगड़ा कर चल रही थी. सुबह से एक ही जगह बैठी है. सुख-दुःख हरेक जीव के साथ लगा रहता है. वह शांत भाव से इसे सह रही है. उसने दवा लगाई, कल तक सम्भवतः ठीक हो जाएगी.
आज रथयात्रा है. भगवान जगन्नाथ, बलराम व सुभद्रा की अपनी मौसी के यहाँ जाने की यात्रा का उत्सव, नौ दिन बाद वे पुनः अपने घर लौट कर आयेंगे. कितने अद्भुत त्यौहार हैं भारत की संस्कृति में, कितनी कहानियाँ जुडी हैं इस उत्सव के पीछे. वे पहली बार डिब्रूगढ़ के जगन्नाथ मन्दिर में रथयात्रा देखने गये. मन्दिर को बहुत कलात्मक तरीके से सजाया गया है. धूप तेज थी, संगमरमर की सीढ़ियाँ तप रही थीं. उन्होंने खिचड़ी का प्रसाद पाया और कुछ देर रुक कर लौट आये, रथ को रज्जु से खींच कर दो किमी तक ले जाया जाना अभी शेष था. उससे पूर्व उन्होंने श्वेत फूलों से बनी सुंदर माला वहाँ रखवाई. मूर्ति भी आने के बाद वहीं रखी जाएगी, तब उसे चढ़ाया जायेगा, ऐसा उन्हें बताया गया. कल रात का भोज अच्छा रहा. सखी अपने पेट् डॉग के साथ बाहर बरामदे में ही बैठी. पूसी का पैर अब ठीक है, वह ठीक से चल पा रही है. आज सुबह बहुत दिनों के बाद श्वास की तीव्र गति के साथ ध्यान किया, जिसके बाद काफी देर तक मन बिलकुल स्थिर हो गया था, प्रवृत्ति में आना ही नहीं चाहता था. वर्षा के कारण प्रातः भ्रमण के लिए नहीं जा सके, बल्कि बगीचे में जामुन बीने, पके और मीठे, कल नन्हा आ रहा है, उसे भी पसंद आयेंगे. उसके एक स्कूल के मित्र का विवाह है, जो अब डाक्टर बन गया है.

नन्हा आ गया है, दोपहर को कार से उतरा तो साथ उसका एक मित्र भी था. बिना बताये मित्रों को घर लाने की उसकी पुरानी आदत है. कल रात एक अनोखा स्वप्न देखा. जिसमें अपने भीतर आँतों में भोजन को पचते हुए देखा. पालक का साग था या अन्य कोई हरी पत्तेदार सब्जी, कितना हर रंग था, जो आँतों में घूम रही थी. रात को सोने से पूर्व हृदय व फेफड़े पर ध्यान किया था कि भीतर क्या चल रहा होगा. प्रकृति उन्हें सब जताना चाहती है, यदि कोई जानना चाहे तो.

दस बजने को हैं. नन्हा अपने मित्रों के साथ तिनसुकिया गया है, वहीं से वे दिगबोई जायेंगे, दोपहर लंच तक वापस आयेंगे. एक मित्र मुम्बई से आया है, एक मैंगलोर से और एक बंगलूरू का, सभी डाक्टर हैं तथा दूल्हे के मित्र हैं. नन्हे की एक मित्र भी आई है, जो आज रात विवाह में शामिल होने के बाद कल वापस जा रही है.

कल दोपहर वह डिब्रूगढ़ के जेजे मेमोरियल अस्पताल गयी थी, क्लब की प्रेसिडेंट की बेटी को देखने. उसके रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या काफी घट गयी है, कई दिन से इलाज चल रहा है. आज नन्हे का जन्मदिन है. सम्भवतः इस वर्ष के अंत तक वह विवाह करने का निर्णय ले ले. सर्दियों में ही विवाह का कार्य सम्पन्न करेंगे. सादा विवाह जिसमें विधि का ध्यान रखा जाये, एक गरिमापूर्ण आयोजन हो. यहीं पर करना ठीक होगा क्योंकि यहाँ का शांत वातावरण सभी मेहमानों को भी पसंद आएगा. देखे, भविष्य में क्या लिखा है, पहले तो सभी को सुनकर कुछ अजीब लग सकता है, पर जब उन्होंने इसे स्वीकारा है तब किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए.

नन्हे के मित्र का विवाह सम्पन्न हो गया. कल गये थे वे रिसेप्शन पार्टी में. वापसी में नन्हे ने कहा वह अपने मित्र के मित्र के साथ शिवसागर जाना चाहता है. जून को लगा वे लोग उनकी कार में जाने की बात सोच रहे हैं. उन्हें अपनी कार से लगाव है, फिर उन्हें यह भी अच्छा नहीं लगा होगा कि इतने कम समय के लिए पुत्र आया है और घर में समय बिताना नहीं चाहता. वह वापसी की यात्रा में चुपचाप बैठे रहे. पिता-पुत्र में एक दूरी सी आ गयी हो ज्यों. कल्पना के कारण मन स्वयं को दुखी कर लेता है. शायद वह दुखी होने का बहाना ही खोज रहा होता है, अहंकार का भोजन ही है दुःख, वह उसी पर पोषित होता है. पर आत्मा यह भूल जाती है कि हर नकारात्मक विचार उसे खुद से कितना दूर ले जाता है. शाम के साढ़े तीन बजने को हैं, नन्हा सुबह से कम्प्यूटर पर ही है. शाम को एक मित्र परिवार मिलने आएगा, वे भेल-पूरी और चाट बनायेंगे. सुबह-सुबह ही एक सखी का फोन आया, वह बाद में खुद आई और प्राणायाम व आसन की विधि सीखी. कितना सहज हो गया है उसके लिए अब किसी को यह सब सिखाना. भीतर की ग्रन्थि जो कट गयी है. उसकी बिटिया को पूसी से खेलना बहुत पसंद है. हो सकता है शाम को वर्षा हो जाये, इस समय बाहर बहुत तेज धूप है. जुलाई भी आधा बीतने को है, पहली अगस्त से स्कूल खुल जायेगा. आज सुबह क्लब की सेक्रेटरी से बात हुई, वह शीघ्रातिशीघ्र अपने पद से मुक्त होना चाहती है. नई कमेटी जितनी जल्दी बने उतना ही अच्छा है. एक तमिल सखी का फोन आया, सदा की तरह कहा, एक दिन आएगी योग सीखने !  

Monday, August 20, 2018

हरी घास पर नंगे पांव



रात्रि के नौ बजने वाले हैं, जून गोहाटी में हैं, कल वापस आ रहे हैं. ‘वेस्ट फ्यूल मैनेजमेंट’ पर आज उन्हें एक प्रजेंटेशन देना है. कल रात ही सवा ग्यारह बजे डायरेक्टर का फोन आया, जिसमें आज गोहाटी जाने को कहा था. आज ही पूना में प्रधानमंत्री ‘स्मार्ट सिटी योजना’ का शुभारम्भ कर रहे हैं. गोहाटी को भी स्मार्ट सिटी समूह में रखा गया है. आज एक समाचार पढ़ा, नागालैंड का अलग ध्वज होगा तथा वहाँ जाने के लिए पासपोर्ट लेना होगा, यकीन नहीं होता कि ऐसा हो सकता है, जरूर किसी सिरफिरे ने अफवाह फैलाई है. दोपहर को उसने भांजी व उसकी सखी को कविताएँ मेल कर दीं. दोपहर बाद बाजार गयी, गाजर, टमाटर, कुंदरू, परवल, बैंगन, खीर, डांगबूटी, भिन्डी, अदरक व मिर्च सभी कुछ लिया. पूसी अब बिलकुल ठीक है, दोपहर को उसे मस्ती में सोते देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कोई बच्चा सो रहा हो. प्रकृति कितनी विचित्र है, कितनी रहस्यमयी. छत पर दो भिन्न पक्षी भी दिखे शाम को, शायद बुलबुल. जैसे ही वह उनकी तस्वीर लेने निकट गयी, फुर्र से उड़ गये. छोटे से छोटा जीव भी दुःख नहीं चाहता, आनन्द चाहता है, प्रेम चाहता है. अपने अस्तित्त्व की रक्षा करना चाहता है अर्थात शक्ति चाहता है. प्रकृति ने मनुष्य के अलावा सभी प्राणियों को ये सब प्रदान किये हैं. मनुष्य का मन जितना-जितना शुद्ध होता जायेगा, भीतर ये सभी स्वतः प्रकट होने लगेंगे. ज्ञान वही है जो हर काल में सत्य है, विज्ञान की मान्यताएं बदल जाती हैं पर जीवन के मूलभूत मूल्य अनंत काल से वही हैं.

जून को डिनर का आमन्त्रण था पर वह घर पर ही भोजन कर चुके हैं और जाना नहीं चाहते हैं. जीवन कितना विरोधाभासी है, पहले युवाकाल में पार्टी में निमंत्रण के लिए चाहत थी, तब मिलते नहीं थे. अब देर रात तक जगना व्यर्थ लगता है. टीवी पर ‘सिया के राम’ आ रहा है. हजार बार सुनी देखी यह कथा आज भी कितने हृदयों को लुभाती है, संत इसे लीला कहते हैं. राम और रावण जिसकी दृष्टि में एक लीला के दो पात्र से अधिक कुछ नहीं, उसने शाश्वत को जान लिया है. कल क्लब की मीटिंग है, बंद के कारण आज प्रतियोगता में आने वाले निर्णायकों के लिए गुलदस्ते नहीं मिले. एक महिला का विदाई समारोह भी है, उसके लिए गुलदस्ता वह स्वयं बनाकर ले जाएगी. माली ने गुलदाउदी की कटिंग्स लगाने के लिए रेत तैयार कर दी है.

जुलाई का प्रथम दिन ! मौसम आजकल सुहावना चल रहा है, लगभग रोज ही वर्षा होती है और शीतल पवन बहती है. कल शाम उड़िया सखी को विदाई भोज के लिए घर पर बुलाया था. आज मंझली भाभी का जन्मदिन है, सासु माँ जब थीं, उनका भी जन्मदिन इसी दिन मनाते थे वे, उनसे पूछा तो उन्हें अपने जन्म की तारीख का पता नहीं था, पसंद का महीना पूछा तो बरसात का महीना बताया, इसीलिए वे कई वर्षों तक पहली जुलाई को ही उनका जन्मदिन मनाते रहे. बाद में पिता जी भी साथ रहने लगे तो दोनों का. भाभी से पता चला, बड़े भाई का स्वास्थ्य ठीक नहीं है. आज टेस्ट कराए हैं, वह कल पूछेगी, तब तक रिपोर्ट मिल जाएगी. जून के पैरों में भी गर्मी से जलन हो रही थी, और पीठ में दर्द भी था. उन्होंने ने भी रक्त जांच करवाई, सभी परिणाम सामान्य हैं. सुबह ओस की बूंदों पर नंगे पावों टहलना उनके लिए औषधि रूप है. कल से वे ऐसा ही करने वाले हैं. मोदीजी ने ओलम्पिक में जाने वाले खिलाडियों से बात की, उन्हें शुभकामनायें देकर विदा किया तथा मंत्रीमंडल में नये मंत्रियों को शपथ दिलाई. देश को विकास के पथ अपर ले जाने के लिए वह अपनी पूरी शक्ति लगा रहे हैं. देशवासी भी यदि उसी उत्साह से काम करें तो कितना अच्छा हो.

Thursday, August 16, 2018

मुंडेर पर काग



पिछले दो दिन योग को समर्पित थे. ‘धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष’ इन चारों पुरुषार्थों को सिद्ध करने के लिए शरीर का स्वस्थ होना अति आवश्यक है. मस्तिष्क में चेतना, देह में स्फूर्ति, धमनियों में शक्ति, नाड़ियों में रक्त संचार, सुदृढ़ अंग-प्रत्यंग, स्नायुओं में बल यदि नहीं है तो देह मृत ही कही जाएगी. देह के आंतरिक मल व दोषों को दूर करके तथा अंतःकरण(मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार) की शुद्धि करके समाधि द्वारा ही पूर्ण आनन्द की प्राप्ति की जा सकती है. योग इसका एक मात्र साधन है. अष्टांग योग के आठ अंग हैं - यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि. यम पांच हैं - सत्य, अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह. नियम भी पांच हैं- तप, स्वाध्याय, शौच, संतोष, ईश्वर प्राणिधान. शरीर में कई संधि स्थान हैं, जहाँ कई नाड़ियां मिलती हैं. इनमें से सात मुख्य हैं, जिन्हें चक्र कहते हैं. मूलाधार पहला है, जब ऊर्जा यहाँ सुप्त है तब भोजन व नींद, दो ही मुख्य कर्म होंगे. स्वाधिष्ठान में मानव सुख का चाहक हो जाता है. जब ऊर्जा मणिपुर में होती है, तब वह कर्ता हो जाता है. अनहत में स्थित वह सृजन करता है. जीवन की इच्छा अनहत में मिलती है, उसके ऊपर जीवन के पार जाने की इच्छा होती है. विशुद्धि में वह शक्तिशाली हो जाता है, चाहत के अनुसार कुछ भी कर सकता है. आज्ञा चक्र पर वह वस्तुओं को वैसा ही देखता है, जैसी वे होती हैं. शांति का अनुभव यहीं होता है. सहस्त्रार पर जब ऊर्जा जाती है, तब देह से बाहर का अनुभव होता है. आनंद का अनुभव यहीं होता है. बिना किसी कारण के वह प्रसन्न रहता है. सहस्त्रार इस भौतिक देह के पार है. यहाँ वे जग में रहते हुए भी जग के बाहर रहते हैं. सब उनके भीतर है पर कोई भी उनका नहीं है, भौतिक सीमाओं के पार जाकर ही अनंत का अनुभव होता है !

कल दो स्कूलों के बच्चों को योग कराया. अब स्कूल अगस्त में खुलेगा, तब जाना है. शाम को महिला क्लब की कमेटी मीटिंग है, दो सदस्याएं मेजबानी करेंगी. अभी-अभी उनमें से एक से बात की, वह उनके पड़ोस वाले घर में ही रहती हैं, पर मुलाकात नहीं होती. एक दिन उन्हें घर पर बुलाना है. इस समय सुबह के साढ़े दस बजे हैं. आज भोजन में मूंग की दाल डालकर तोरई बनायी है, साथ में जीरा-चावल. समय कम लगा भोजन बनाने में. बाहर बरामदे में मैंगो सुस्त सी होकर लेटी है. कल उसने ज्यादा भोजन कर लिया शायद, आज सुबह से कुछ भी नहीं खा रही है. अभी उसे दही देकर देखा, झट खा गयी, पर उसे शक्तिहीनता का आभास हो रहा है शायद, उछल-कूद नहीं कर रही ज्यादा. पालतू जीव रखने पर कितना मोह हो जाता है उनसे. परमात्मा को भी क्या उनसे ऐसा मोह नहीं है. पूसी उनसे कुछ कह नहीं पाती पर वे तो उसे जानते हैं, वैसे ही परमात्मा उन्हें जानता है और हर घड़ी उनकी सहायता करना चाहता है. वह हर क्षण उनके साथ है !  

परमात्मा की कृपा असीम है, उसकी निकटता का अनुभव हर पल होता है, यदि कोई चाहे तो. अभी कुछ देर पहले ‘सिया के राम’ देखा. सीता कहती है, जब कौआ घर की मुंडेर पर आकर कांव-कांव करता है तो वह किसी के आने की सूचना लाता है. प्रकृति उनके साथ कितनी एकता रखती है, इस बात का अनुभव पूसी के साथ होता है, जो बोल नहीं सकती पर उसके साथ अपने जुड़ाव को व्यक्त करती रहती है. आज योग कक्षा में दो साधिकाओं ने योग के सकारात्मक प्रभाव का अनुभव होने की बात कही. परमात्मा का प्रेम उन्हें भी छू रहा है, भक्ति का प्रभाव कम नहीं होता. कल भांजी व उसकी सखी के लिए कविता लिखेगी. उसकी सखी इस माह के अंत में अपने देश वापस जा रही है, उसका देश, जो अब यूरोपीय संघ का सदस्य नहीं रहा.

Tuesday, August 14, 2018

राजपथ पर योग



आज फिर तेज धूप है, सुबह स्कूल गयी तो वर्षा होने लगी थी, बहुत हल्की बूंदाबांदी ही थी, पर सहायक अध्यापिका ने कहा, तेज वर्षा हो रही है. दृष्टि-दृष्टि का फर्क है. भांजी ने विश्व योग दिवस के लिए प्रोटोकाल प्रिंट कर दिया है. उसने आई ट्यून भी डाउनलोड कर दिया है और अब आई पॉड पर आर्ट ऑफ़ लिविंग के भजन आदि कॉपी कर दिए हैं. उसने अपनी सखी के साथ मिलकर मैश पोटेटो भी बनाये और चीज केक भी. आज छोटी बहन का भेजा केसरिया कुरता पहना है, अच्छा है, खादी का है. नाश्ते में नूना ने भांजी की फरमाइश पर भेलपूरी भी बनाई.

दो दिन बाद किशोरवय कन्याओं के लिए महिला क्लब का एक कार्यक्रम होने वाला है. वह सेक्रेटरी तथा एक अन्य सदस्या के साथ बाजार गयी, उनके लिए फ़ूड पैकेट का आर्डर करने, जो वे उस दिन उन्हें वितरित करेंगी. उस दिन वह ग्रामीण किशोरियों को योग और प्राणायाम का महत्व बताएगी तथा कुछ सरल विधियाँ सिखाएगी. हो सकता है उनमें से कोई छात्रा उन्हें अपना ले और यह दिन उसके नये जीवन के आरम्भ का प्रथम दिन बन जाये. सभी के भीतर परमात्मा ने समान शक्ति दी है, क्योंकि वह भेदभाव नहीं करता. सभी के भीतर आत्मा के स्वाभाविक गुण हैं पर अभी छुपे हुए हैं. पुस्तकों, शिक्षकों, माता-पिता, प्रकृति और स्वयं के अनुभव सभी ज्ञान के स्रोत हैं. किन्तु एक ज्ञान और है जो भीतर से आता है. जिनको भीतर से प्रेरणा मिलती है, वह नये-नये प्रतिमान बनाते हैं. जो ज्ञान अभी सुप्त है उसे जगाने का तरीका है योग. आत्मविजय, आत्मरक्षा, आत्मविश्वास बढ़ाने का तरीका है योग ! दोनों सखियाँ घर के निकट ही एक जनरल स्टोर पर गयीं हैं, रास्ते के लिए चिप्स और चाकलेट खरीदने, कल वह उन्हें विदा करने एयरपोर्ट जाएगी. यहाँ उनका निवास सुखद था और आनंदित करने वाला भी, वह उन दोनों के लिए कविताएँ भी लिखेंगी. भांजी की सखी सहज और शांत स्वभाव की है, वह मधुर भाषी है और कम बोलती है. वे दोनों बहनों की तरह हैं. आज एकादशी है, उसने सुबह सांवा चावल की खीर बनायी और दोपहर को साबूदाने की खीर, शाम को कोटू की रोटी बनेगी. मौसम आज सुहावना है, सुबह उठे तो वर्षा हो रही थी.

उसने योग के कुछ और लाभों के बारे में चिन्तन किया, कपालभाति नियमित करने से नहीं होता है सिर दर्द तथा पेट दर्द भी. इससे हीमोग्लोबिन बढ़ जाता है. अग्निसार से पेट की मंद अग्नि बढती है. अनुलोम-विलोम के भी कई लाभ है. चेहरे पर चमक लाने का भी उपाय है प्राणायाम. आज एक नये स्कूल के एक अध्यापक का फोन आया, उन्हें विश्व योग दिवस पर अपने विद्यालय में विद्यार्थियों को योग कराना है, उसे आने के लिए कहा है. वह आठ बजे वहाँ जाएगी. योग प्रोटोकाल के अनुसार ही सिखाना होगा, अगले दो दिन वह उसी के अनुसार योग अभ्यास कराने वाली है.

बच्चे चले गये और जून को भी दो दिनों के लिए बंगलुरू जाना पड़ा है. नन्हा गोवा से बंगलुरू जा रहा है. पूर्ण एकांत में उसे लग रहा है जैसे हफ्तों बाद स्वयं से मिल रही है. टीवी पर राजपथ पर होने वाला योग का कार्यक्रम आ रहा है, जिसमें हजारों लोग बैठ हैं, इस समय कोई गायक गा रहा है. टेड टॉक में मस्तिष्क के बारे में दो टॉक्स सुनीं. उनका चेतन मन जितना सजग होगा, वे अचेतन मन के शिकार नहीं बनेंगे. सजगता ही उन्हें सौभाग्य से भर सकती है. हर कार्य, हर विचार और हर भाव उनके भाग्य को बनाता है.


Friday, August 10, 2018

कपालभाति के फायदे




दो दिन फिर निकल गये, आजकल दिन कैसे बीत जाते हैं, पता ही नहीं चलता.शाम हो गयी है, जून अभी तक आये नहीं हैं. परसों विदेश से छोटी भांजी अपनी एक ब्रिटिश मित्र के साथ यहाँ कुछ दिनों के लिये आई है. वह उन्हें लेने एअरपोर्ट गयी थी. कालेज जाने से पहले वे लोग भारत में कुछ दिन  बिताना चाहती हैं. घर में जैसे रौनक आ गयी है. पूसी भी उनके साथ बहुत खेलती है, उन्होंने उसे मैंगो नाम दिया है, अपने नाम भी जान गयी है. भांजी ने ‘यूनिवर्स’ में उसका प्रोफाइल अपडेट किया, पिछली बार जब वह यहाँ आई थी, उसी ने यह नोट्स सबस्क्राइब किये थे. दोपहर को वह उन्हें लेकर मृणाल ज्योति गयी, उसे एक मीटिंग में भाग लेना था, दोनों लडकियाँ इधर-उधर घूमकर स्कूल देखती रहीं, फिर अपने साथ लायी किताबें पढने लगीं.
सुबह के ग्यारह बज गये हैं. जून अभी आने वाले होंगे. दोनों सखियाँ अपने कमरे में हैं. छोटी बहन से स्काईप पर बात हुई. लंच में राजमा बनाए और दम आलू तथा कुम्हड़े की दही वाली सब्जी, दोनों आराम से सभी सब्जियां खा लेती हैं. विशेष पसंद पूछने पर, ‘सब पसंद है’ कहकर मुस्कुरा देती हैं. लगता है वर्षा होगी, बादल गरज रहे हैं. स्कूल में बच्चों को मंगल प्रार्थना सिखाई आज. गर्मी बहुत थी, कुछ बच्चे बहुत शोर कर रहे थे. सुबह वे टहलने गये तो पीले फूलों को सड़क पर बिछे देखा था, स्कूल से लौटते वक्त तस्वीरें उतारीं.
आज वर्षों बाद उस तरह ध्यान किया जैसे पहले-पहल करती थी. अस्तित्त्व से वार्तालाप, वह सचमुच उनसे बातें करता है. उसने उसके प्रति अपने प्रेम के बारे में बताया, और उसे कैसा होना चाहिए, यह भी. डिस्प्रिन का एक पत्ता भी दिखा ध्यान में, अब उसकी जरूरत नहीं पड़ती. उसने ‘लाल रंग’ के बारे में भी कुछ कहा. हो सकता है यह सब उसका ही मन उसे दिखा रहा हो, पर यह उसका विशाल मन था जो परमात्मा से जुड़ना चाहता है. आज एक अच्छा सा वीडियो भी देखा. सृजन करने की क्षमता को उन्हें विकसित करते जाना है, वे यहाँ परमात्मा का काम करने के लिए भेजे गये हैं, उन्हें स्वयं के द्वारा उसे प्रकट करना है. भांजी सो रही है, उसकी मित्र पढ़ रही है, ‘हैरी पॉटर’ की किताब. दोनों ज्यादातर समय अपने आप में ही व्यस्त रहती हैं. सुबह कभी कभी तैरने जाती हैं, दिन में दो या तीन बार टहलने भी. आज सुबह वर्षा के कारण टहलना नहीं हुआ, दोपहर को वह उनके साथ जा सकती है, उस समय ज्यादातर लोग अपने घरों में सोये रहते हैं. विश्व योग दिवस के लिए एओएल की तरफ से योग का प्रोटोकाल आया है, जून उसे प्रिंट करके ला देंगे. अज मौसम सुहावना है. नैनी की बच्चियों ने कहा, वे नाचना चाहती हैं. नृत्य और संगीत सम्भवतः आत्मा से आते हैं ! और सारी कलाएं भी..
कल वे पाइप ब्रिज देखने गये थे, नदी में पानी बहुत था, पुल पर खड़े होकर तस्वीरें उतारीं, पहले दोनों को भय लगा फिर उसे आराम से चलते देखकर वे भी निर्भय होकर चलने लगीं. इतवार को वे बच्चों की कक्षा में भी जाएँगी और उन्हें अंग्रेजी में एक गीत सिखाएंगी. मौसम आज अच्छा है, सुबह से ही झींसी पड़ रही है. आज एक पुरानी सखी का जन्मदिन है, वे लोग कुछ वर्ष पहले यहाँ से चले गये थे, और अब पुनः आने वाले हैं. अभी-अभी उससे बात की, पर बात उसी पुराने लहजे में हुई, वक्त बदल जाता है पर इन्सान नहीं बदलते. उसने अभी-अभी व्हाट्सएप पर एक संदेश भेजा है. इस बार जब वे आयेंगे तो उम्मीद है उनके संबंध अच्छे होंगे.
टीवी पर बाबा रामदेव योग और कपालभाति के अनेक लाभ बता रहे हैं. आसन करने से जोड़ों का दर्द नहीं होगा, हड्डियों की समस्या नहीं होगी. महिलाओं को हारमोनल असंतुलन नहीं होगा. लिवर, किडनी, हृदय सभी स्वस्थ रहेंगे, कोशिकाओं तक में परिवर्तन आता है. शरीर के सारे तन्त्र ठीक रहते हैं. बुढ़ापा दूर रहेगा. कैल्शियम की कमी नहीं होगी. चेहरे पर तेज रहेगा. वह कह रहे हैं, जो योग की अग्नि में स्वयं को तपा लेता है, उसको न रोग होता है, न जरा, न मृत्यु का भय उसे सताता है. योग करने वाले सकारात्मक सोच रखते हैं, क्रोध नहीं करते. जो सदा ताजगी से भरे रहते हैं समझ लेना चाहिए योग करते हैं. उनकी स्मृति शक्ति भी बढ़ जाती है.
जून टूर पर गये हैं, सो रात्रि के साढ़े दस बजे भी वह जाग रही है. भांजी और उसकी मित्र भी सोयी नहीं होंगी. उन्हें बस एक सप्ताह और यहाँ रहना है. दिन जैसे उड़ रहे हैं, पता ही नहीं चला दस दिन बीत भी गये. पूसी बहुत नटखट हो गयी है, आज दोपहर को गोदी में आकर बैठ गयी थी. जानबूझ कर उछल कर दिखाती है, फिर छिप जाती है, जैसे छोटे बच्चे करते हैं. उसके भीतर भी मन है, वह कुछ कहना चाहती है, दोनों आँखें ऊपर करके देखती है तो जैसे उसकी आत्मा झलकती है. क्लब में बच्चों का वार्षिक उत्सव आरम्भ हो गया है. कल एकल नृत्य की प्रतियोगिता है.

Thursday, August 9, 2018

चींटियों का कहर



फिर कुछ दिनों का अन्तराल ! इस समय रात्रि के पौने आठ बजे हैं. मौसम आज भी बदली भरा है, दिन भर रिमझिम वर्षा होती रही. प्रातः भ्रमण भी वर्षा की भेंट चढ़ गया. इसके बदले देर तक सांध्य भ्रमण हुआ. पूसी अब उन सबको पहचान गयी है व अपना नाम पुकारे जाने पर दौड़ कर आती है. दोपहर को बच्चों को योग कराया, भजन गाये, तब भी वह दूर बैठी देखती रही. सुबह की योग कक्षा में सूर्य नमस्कार तथा सूर्य ध्यान किया. जून ने नाश्ते में उपमा बनायी तथा दोपहर को कर्ड राईस, उन्हें खाना बनाने का शौक है त्तथा यही शौक नन्हे को भी है, उसने भी आज केक बनाया होगा. आज ‘मन की बात’ भी सुनी. मोदी जी ने कितने ही विषयों पर जानकारी दी. इस समय प्रधान मंत्री ईरान के एक गुरुद्वारे में हैं तथा मत्था टेक रहे हैं. वर्षों के बाद भारत को एक धार्मिक प्रधानमन्त्री मिला है, जो देश को नई ऊचाइयों तलक ले जाना चाहता है. उसके पूर्व एक वार्ता सुनी, जो हास्य की उपयोगिता के बारे में थी. वक्ता के अनुसार जीवन को आनन्दपूर्वक जीना चाहिए, हर घटना में हास्य का पुट खोज लेना चाहिए.
आज वे जोरहाट जा रहे हैं, कल शाम को लौटेंगे. कल हिंदी सम्मेलन में भाग लेना है. पहला अवसर होगा यह उसके लिए, पर भीतर आश्वस्ति है. परमात्मा का हाथ सदा सिर पर है, उसी की बात सुनानी है, उसे ही सुनानी है, तो कैसी सोच और कैसा विचार ! पूसी अब उनसे बहुत घुलमिल गयी है, शायद कोई पहले का नाता हो. जून थोड़ी ही देर में आने वाले होंगे, एक दिन के लिए कहीं जाने पर भी सामान कुछ न कुछ हो ही जाता है. आज साप्ताहिक सफाई भी हुई और साप्ताहिक स्नान भी. कुछ करने की, करते रहने की जो प्यास भीतर थी, अब शांत हो गयी है, मन हमेशा फुर्सत में रहता है. सुबह ब्लॉग पर आज की पोस्ट प्रकाशित की. बड़े भाई से बात हुई, वह काफी हिम्मत वाले व्यक्ति हैं. आपरेशन करवाने के बाद बहुत हिम्मत से रह रहे हैं. अकेले व्यक्ति का सबसे बड़ा साथी उसका धैर्य होता है और परमात्मा ही वह धैर्य प्रदान करता है. छोटे भाई को सम्भवतः अब उनकी देखभाल के लिए न जाना पड़े. आज बंगाली सखी का फोन आया, वे लोग उसके जन्मदिन पर आयेंगे, उस दिन उसके तन को धारण किये भले ही कई दशक हो जाएँ उसकी मानसिक उम्र तो यानि आत्मिक उम्र अभी किशोरावस्था में ही है. सद्गुरु की कृपा से जब भीतर वह अनुभव हुआ था, उस दिन से ही दूसरा जन्म मानती है वह.
आज सुबह जून ने जगाया, कोई स्वप्न चल रहा था. परमात्मा की तरफ से उठाने के लिए अंतिम स्वप्न ! कितनी मजबूती से वह उन्हें थामे रहता है पर पता भी नहीं चलने देता, अपने होने की खबर भी दिए चले जाता है और खुद को पर्दों में छिपाए भी रहता है. स्कूल गयी, सहायक अध्यापिका नहीं थीं सो शोर मचा हुआ था. बच्चों ने ठीक से ध्यान नहीं किया. वापस आकर व उसके पूर्व ही फोन और संदेशों का सिलसिला शुरू हो गया था. इस बार जन्मदिन पर कितने ही लोगों के संदेश मिले हैं. फेसबुक और व्हाट्सएप पर भी..शाम को मेहमान आयेंगे उसके पूर्व योग कक्षा. दोपहर को जून की पसंद का भोजन बनाया. वह उसे जोरहाट ले गये, यही उनका विशेष उपहार था इस वर्ष !
जून महीने का पहला दिन ! आज गर्मी भरा दिन है, सुबह हल्की सी वर्षा हुई हो शायद उनके उठने से पूर्व. आज वे प्रातः भ्रमण के लिए नहीं गये, जून ने मेडिकल टेस्ट कराया था, कल रिपोर्ट आएगी. पिछले कुछ दिनों से उन्हें दर्द की शिकायत थी. कल क्लब में मीटिंग थी, हर्बल वेलनेस कम्पनी से कुछ लोग आये थे. स्वस्थ रहने के लिए कुछ काम की बातें बतायीं, और अपने उत्पादों का विज्ञापन किया. आज भी क्लब के एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में मीटिंग थी, ठीकठाक हो गयी. पिछले कुछ दिनों से पूजाकक्ष में चीटियों ने कहर ढा रखा है. कल देखा प्रिंटर के अंदर उन्होंने अपना अड्डा जमा लिया है. प्रिंटर खराब हो गया, बनने गया है. उड़िया सखी के लिए विदाई कविता आज लिखी है. बच्चों के प्रति उसका प्रेम असीम है, उस बारे में चार पंक्तियाँ जोड़नी हैं. कल दीदी का जन्मदिन है, उन्हें भी कविता भेजनी है, कल सुबह ही लिखेगी, बिलकुल ताजा. कल वृक्ष से आधा दर्जन कटहल तुड़ाकर परिचितों को भेजे. जाने किसने यह वृक्ष लगाया होगा जो हर वर्ष फलों से लद जाता है, पक जाने खिड़की से उनकी गंध आती रहती है, और कभी-कभी कोई फल नीचे गिरता है, तो जोर की आवाज आती है. उसे वर्षा के भीगे मौसम में जमीन पर गिरे उसके बीज उठाने में आनन्द आता है, उन्हें उबाल कर स्वादिष्ट सब्जी भी बनती है, नेट पर पढ़कर उसके फायदों के बारे में बताया तो जून ने भी खायी, वरना उन्हें कटहल की गंध पसंद नहीं है,

Monday, August 6, 2018

पूसी की मस्ती



शाम के चार बजे हैं. मौसम सुहाना है और आकाश पर बादल हैं. अभी-अभी वे बाहर लॉन में टहल कर आए हैं. पूसी उनके साथ-साथ दौड़ती है. नन्ही सी यह बिल्ली पता नहीं कहाँ से आ गयी है यहाँ, जून भी उसे सुबह-शाम कुछ न कुछ खाने को देते हैं. आज ‘भगवद गीता’ का प्रथम अध्याय सुना उन्होंने; कहा, मन को व्यवस्थित करने का मार्ग सीखना है, यानि ‘ध्यान’, कुछ देर ध्यान किया फिर फलों का नाश्ता. इस मौसम के पहले आम भी खाए, मीठे थे. जून क्लब चले गये हैं, जहाँ कोई सरकारी  कार्यक्रम है, उनका भोजन भी बाहर ही होगा. उसने सब्जी और थोड़ा सा गाजर का अचार भी बनाया. शाम को सम्भवतः कुछ लोग योग के लिए आयें. कुछ देर पहले एक साहित्यकार व ब्लागर से बात की, उन्होंने जोरहाट में होने वाले हिंदी के कार्यक्रम के लिए उसे आमंत्रित किया है. सुबह परमात्मा से कुछ बातचीत हुई जैसे पहले भी कई बार हुई है. वह उन्हें सदा ही सन्मार्ग पर ले जाने का प्रयास करता है, वह अति प्रिय है, सुहृद है, मित्र है और वही तो सब है, वे उसके साथ रहकर कितने प्रसन्न हैं !

अभी कुछ देर में ‘सिया के राम’ आने वाला है, अभी जून अपना मनपसन्द कार्यक्रम देख रहे हैं, ‘तारक  मेहता का उल्टा चश्मा’ आज शाम को एक नया ध्यान ‘मुस्कान’ किया, कल बच्चों को भी वही कराएगी, उसने सोचा है. जगह की कमी के कारण बच्चों को असेम्बली में खड़े-खड़े ही ध्यान करना होता है. जिस शिक्षिका के साथ वह स्कूल जाती है, वह कल भी शायद ही जाये, उसकी प्रिय सखी के पति पिछले चार-पांच दिनों से अस्पताल में हैं, उन्हें अभी तक एक बार भी होश नहीं आया है, वह वेंटीलेटर पर ही हैं. शायद उन्हें अब बचाया नहीं जा सकता. इस परिवार की कितनी बड़ी क्षति हुई है. उसने ईश्वर से प्रार्थना की कि उन्हें शक्ति दे, समय के साथ वे सभी आने वाले दुःख को सहने के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं. पिछले कुछ दिनों से वे उनके बिना ही तो जी रहे हैं, जी पा रहे हैं, आगे भी जी लेंगे. यही इस दुनिया का दस्तूर है !

दोपहर को बच्चों के साथ गुरूजी का जन्मदिन मनाया, चालीस बच्चे आ गये थे, उन्होंने भजन गाए और केक बांटा. बच्चों ने चित्र बनाये, अगले हफ्ते उन्हें पुरस्कार भी देने हैं. आज दोपहर को सोई तो पिताजी व परिवार के कई सदस्यों को स्वप्न में देखा, रोचक स्वप्न था. उस दिन भतीजी को देखा था, पर कितना विचित्र था वह स्वप्न, ढेर सारे कीट दिखे थे. आज दोपहर के भोजन में तरबूज खाया और नाश्ते में इडली. सुबह की योग कक्षा में दो महिलाओं को योग कराया, उसके पूर्व प्रातः भ्रमण से लौटकर स्वयं किया. मौसम ठंडा था उस समय, सब तरफ हरियाली ही हरियाली. बगीचे में ढेरों फूल खिले हैं आजकल, बालसम के कितने ही पौधे अपने आप निकल आये हैं.    

रात्रि के पौने आठ बजे हैं, जून ‘भगवद् गीता’ का दूसरा अध्याय सुन रहे हैं, बाहर वर्षा तेज हो गयी है. वे रात्रि भोजन के बाद कुछ देर के लिए बाहर गये, पूसी भी आ गयी और पैरों में लिपटने लगी. उसे घी लगी रोटी पसंद आई. दूध की जगह दही ज्यादा पसंद है उसे. शाम को सात लोग योग करने आये, चार बच्चे व तीन महिलाएं. आखिर में उसे खांसी आ गयी. ॐ के उच्चारण से पूर्व भ्रामरी में. शायद गले में कुछ खराश सी हुई. बाबा रामदेव कहते हैं, रोगी व्यक्ति जैसे विनम्र होता है, वैसे ही विनम्र उन्हें रहना चाहिए. शायद इसीलिए परमात्मा उन्हें बीच-बीच में रोग देता रहता है. आज चार कविताएँ भी चुनीं और रिकार्ड कीं, जो जोरहाट के कवि सम्मेलन में उसे सुनानी हैं, तब तक प्रतिदिन ही एक बार अभ्यास कर लेना ठीक होगा. मृणाल ज्योति के लिए लेख लिखा पर आज ब्लॉग पर कुछ भी नहीं लिखा.  

Saturday, August 4, 2018

पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन



सुबह के साढ़े दस बजे हैं, भोजन लगभग बन गया है. मौसम आज अपेक्षाकृत गर्म है. सुबह स्कूल गयी थी, बच्चों को खेल-खेल में ध्यान कराया, अध्यापिकाएं असेम्बली में खड़ी नहीं होती हैं आजकल, प्रधानाचार्या के न होने से स्कूल में ऐसा होना स्वाभाविक है. कल रात बल्कि सुबह-सुबह स्वप्न में कितने चेहरे दिखाई दिए, शायद उसके पिछले जन्मों के चेहरे..कितनी बार वे इस पृथ्वी पर आ चुके हैं. कितना अच्छा हो, वे जन्म तो लें पर अपनी इच्छा से...स्वतंत्र हों कि कब और कहाँ उन्हें जन्मना है. आत्मा स्वतंत्र होना चाहती है, अपनी ख़ुशी के लिये वह किसी पर निर्भर नहीं है. देह को रखने के लिए कितने सारे प्रयत्न करने होते हैं, किंतु स्वयं को अभिव्यक्त करने के लिए देह तो चाहिए ही, मन भी. मन से परे जो वह स्वयं है उससे परिचय भी तो चाहिए. आज सुबह भी टहलते समय बीच-बीच में वे दौड़े, जून को भी अच्छा लग रहा है. वह कल शाम को कह रहे थे, कुछ दिनों के लिए छुट्टी चाहिए, उन्हें किसी आश्रम में जाना चाहिए कुछ दिनों के लिए.

पिछले दो दिन क्लब के कार्यक्रम के लिए पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन बनाने में व्यस्त रही. परसों सुबह एक सखी ने आकर सहायता की, बताया, क्या होता है. जून ने एक बना-बनाया पीपीटी भी भेज दिया था देखने के लिए. दोपहर को जब सेक्रेटरी आई, तब तक कुछ उसका बनाया भी कुछ आकार ले चुका था. कल सुबह स्कूल से आकर नये सिरे से बनाना शुरू किया, काफी तस्वीरें डालनी अभी शेष हैं. आज दोपहर सेक्रेटरी फिर आने वाली है. कल उसके कहने पर एक नाराज सदस्या को फोन किया, उन वरिष्ठ सदस्या का क्रोध अभी तक कम नहीं हुआ है, वह सत्य सुनना ही नहीं चाहतीं, व्यर्थ ही दोनों परेशान हो रही हैं, ईश्वर सभी को सदबुद्धि दे. चार दिन बाद एक कार्यक्रम है, तब तक सभी के मन शांत हो जाएँ और मेल-मिलाप का वातावरण बन जाये. दो-तीन दिन पूर्व बिल्ली का जो बच्चा घर में आ गया था, अभी तक है, उसे दूध दिया, फोटो उतारी, अगले महीने तक रह जाये तो अच्छा होगा. बच्चे आने वाले हैं, उन्हें ख़ुशी होगी. जून की ट्रेनिंग आज भी है, सुबह गुरूजी को सुनकर उन्हें लोगों व परिस्थिति को स्वीकारने की बात समझ में आयी, अच्छा लगा उन्हें.

पिछले कुछ दिन व्यस्तता बनी रही, डायरी नहीं खोली. अभी छोटी बहन से बात हुई. उसने भतीजी का सामान भिजवाया भाभी को, पर उन्हें लगता है कुछ सामान अभी भी छूट गया है. लोग वस्तुओं को ज्यादा और व्यक्तियों को कम महत्व देते हैं, दुख का यह एक कारण हो सकता है. जीवन का हर पल कितना सुंदर है. आज सुबह जो निर्णय लिया कि उसे मन की छाया नहीं बनना है, बल्कि मन को उसकी छाया बनकर रहना है. मौसम बाहर बेहद गर्म है पर यहाँ अंदर सामान्य है. कल शाम को आंधी-तूफान आये थे पर वर्षा नहीं हुई. पूसी भी किसी कोने में छाया में बैठी होगी, लगता है जैसे वह उन्हें पहले से जानती है, शायद वर्षों पूर्व जो बिल्ली गुजर गयी थी, पुनः जन्म लेकर आई हो. उसकी एक पुरानी छात्रा की माँ का फोन आया, उसे अगले महीने कालेज में दाखिला लेना है, मनोविज्ञान ले या मास कम्युनिकेशन, अभी तय करना है. कुछ देर पहले बगीचे से गाजरें निकालीं, फोटो डाला व्हाट्सएप पर, कमेंट्स आने शुरू हो गये हैं, मोबाइल ने दूरियां घटा दी हैं. भोजन में भी कटहल बनाया है बगीचे से तोड़कर. आज छोटे भांजे का पेन ड्राइव से दिया हुआ एओएल का कलेक्शन देखा, गुरूजी के कई प्रवचन हैं, भजन हैं और भगवद गीता का आडियो भी. कई ध्यान की विधियाँ भी हैं, जून को भी अवश्य देगी आज. ब्लॉग पर आज की पोस्ट भी लिखी, सात वर्ष पूर्व वह मृणाल ज्योति की सदस्या बनी थी, समय तो जैसे पंख लगाकर उड़ता है. उस दिन जल्दी के कारण किचन के दरवाजे का जो शीशा टूट गया था, आज लग गया है. ‘सिया के राम’ देखने की जल्दी थी. राम को प्रेम करती है शूर्पनखा पर उसे अपमानित होना पड़ता है, उसी अपमान का बदला था सीता हरण. कई दिनों से कोई कविता नहीं लिखी, टिककर बैठना ही नहीं हुआ, अचानक कभी प्रेरणा मिलेगी, इस इंतजार में रही तो शायद लिखना हो ही न पाए ! मृणाल ज्योति के लिए भी लेख लिखना है.