आज सुबह से दो बार असमिया सखी का फोन आ चुका है, अच्छा
लगा, मित्रता की बेल मुरझा भले ही जाये पर सूखती नहीं, कभी-कभी खिल उठती है और अब
तो उसके मन में सिर्फ उसके लिए ही नहीं सभी के लिए असीम स्नेह और शुभकामनायें हैं,
जहाँ आनंद है, प्रेम है वहाँ दुःख और द्वेष रह ही कहाँ सकते हैं. भगवान बुद्ध भी
कहते हैं, मन में उठे विकार को यदि कोई ग्रहण करे तभी उसका भागी होगा. यदि साक्षी
भाव में रहे तो वह खुदबखुद समुद्र में उठी लहर की तरह नष्ट हो जायेगा. न दुःख के
प्रति द्वेष न सुख के प्रति आसक्ति, मध्यम मार्ग का अनुसरण ही किसी को हर पल हल्का
रख सकता है. कल बहुत दिनों बाद माँ-पिता का पत्र मिला, पिता ने लिखा है, अच्छी
किताबें पढ़ने से मन का विस्तार होता है और विस्तृत मन में सभी कुछ समा सकता है.
संकीर्ण मनोवृत्ति और अहम् की तुष्टि ही सारे विकारों की जड़ है. संसार में जहाँ भी
दुःख है, अहम् के कारण है और जहाँ भी सुख है वह निस्वार्थ भावना के पोषित होने पर
है. जब मानव मन समग्रता को सत्य माने, टुकड़ों में बंटे नहीं, सम्पूर्ण जीवन को और
मृत्यु को भी एक अनंत की यात्रा समझे तो कहीं विछोह नहीं, कहीं पीड़ा नहीं, दुःख
नहीं, सभी एक ही मंजिल के यात्री हैं. उसने प्रार्थना की यह सद्शिक्षा उसके जीवन
को सदा प्रफ्फुलित रखे.
उसने पढ़ा, “हम लोग आत्मसुख
रूपी विशाल सागर से निकल कर इन्द्रिय सुख रूपी छोटी-छोटी नदियों में आ जाने वाली
मछलियाँ हैं, सागर में हम ज्यादा सुखी व संतुष्ट थीं पर मूढ़तावश उथले-गंदले पानी
वाली इन नालियों में तड़प रही हैं, जीवन में प्रत्येक क्षण हमारे पास चुनाव का अवसर
आता है, चुनना हमारे हाथ में है पर हर बार हम सागर को छोड़ उथला पानी ही चुनते हैं”. उसे याद आया, बचपन में उसने अध्यापिका की डांट
से बचने के लिए अपनी भूगोल की कापी में उनके हस्ताक्षर स्वयं कर दिए थे, जिसका
अफ़सोस उसे आज तक है और अभी तक वह स्वयं को क्षमा नहीं कर पायी है. इसके अलावा एक
बार किसी का खत पढ़ा था, पर तब वह बड़ी थी सो उसका दुःख ज्यादा नहीं है. सम्भवतः बच्चा
जब बड़ा होता है, अपने इर्दगिर्द होते झूठ, बेईमानी और असत्य के कार्य-कलाप को दखकर
उसका मन भी उसे ही ठीक मानने लगता है और अबोध अवस्था में वह कोई गलत कार्य कर देता
है जिस पर बड़ा होने पर उसे पछतावा होता है.
It is raining cats and dog
since last night, every plant, leaf and each flower is quenching her thirst of
water. It was so hot yesterday, they all were dry and needed water and lo.. God
gave them enough ! similarly God fulfills their wishes all big and small. He takes
care of his creation. She is grateful to Him, for giving her shelter, food and
clothes, for immense love, for understanding, for desire to know Him, for the
search of TRUTH, sky like nature of mind, for the inner sense, for attractions
in the world which deviate her from path of truth, but He helps her on
keeping on the right path. The one and only aim of life is to attain Him, after
knowing the true nature of mind. Ahankar is illusion and to pamper it, is great
hindrance on the way of truth. Let going is freedom, freedom from habits of
many life and deaths. Freedom from anxious mind, worries and tension. When GOD
is always with one in the heart of his heart then who cares about trivialities
of life.
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