Friday, April 11, 2014

अंकल चिप्स कहाँ हैं


कल नन्हा स्कूल से आया तो प्रसन्न था. वे बहुत दिनों बाद शाम को घर से निकले. एक मित्र के यहाँ भी जाना था, उनके बेटे की जीभ घर में खेलते वक्त गिर जाने से कट गयी थी. रात की तेज वर्षा के कारण मौसम आज ठंडा है, उसने खिड़की से देखा, माली सिल्विया और गुलदाउदी के पौधों के लिए क्यारी बना रहा है. कल्पना में उसने खिलते हुए फूलों को देखा और एक मुस्कान अंतर को भर गयी. कल दोपहर उसकी पड़ोसिन आई थी, आज सम्भवतः फिर आयेगी, उसका मिठाई तोड़ना, गिलास में हाथ डालकर धोना, बिना बात ही हँसना और...उसकी ग्रामीण बैक ग्राउंड का परिचायक लगा, खैर...अपना-अपना स्वभाव है. कल रात जून ने अपनी बचत का रिकार्ड उससे डायरी में लिखवाया, उसके पूर्व शाम को बाहर जाते समय साड़ी पहनने पर (एक पुरानी सिंथेटिक साड़ी) जून और नन्हे ने उसे जब टोका तो उसने व्यक्ति की आजादी पर छोटा सा भाषण सुना दिया फिर रात को जब नन्हे को जून ने अपने कमरे में जाने को कहा तो वह चुप हो गया और सोने जाने तक कोई बात नहीं की, नूना को अच्छा नहीं लगा और फिर बाल मनोविज्ञान पर कुछ बातें उसने जून को बतायीं, वह चुपचाप सुनते रहे, नन्हे का उदास हो जाना उन्हें भी खलता है सुबह उसके स्कूल जाने तक वह बहुत प्यार से उससे बातें करते रहे, प्यार करना ज्यादा आसन है बजाय गुस्सा करने के क्योंकि गुस्सा करने वाला खुद ज्यादा परेशान होता है.

पिछले दो दिन कुछ नहीं लिख सकी, शनि की सुबह कपड़ों की सिलाई (पुराने कपड़ों की) में व्यस्त रही, इतवार का दिन तो कई और कामों में कैसे गुजर जाता है पता ही नहीं चलता. कल रात बेहद गर्मी थी, उसके सर में हल्का दर्द हुआ अभी भी हल्का-हल्का सा भारी है सर. ptv की एंकर ने अपना ख्याल रखने व मुस्कुराते रहने की हिदायत के साथ अपना कार्यक्रम समाप्त किया है. वहाँ शरीयत का कानून लागू होने से ptv के कार्यक्रमों पर अभी तक तो कोई असर नहीं पड़ा है. उसने शाम को मीटिंग में साथ जाने के लिए पड़ोसिन से बात की, मोज़े बन गये हैं यह भी उस सखी को बताया. कल वे बाजार गये, नैनी के लिए साड़ी खरीदी वायलेट रंग की फिर कादम्बिनी ली, प्रवेश में अपनी कुछ कविताएँ भेजना चाहती है.

Today is first day of Sept ! Jun went to Moran this morning to come back at 6 in the evening. She is feeling a sense of freedom to do any thing at any time till Nanha comes from school. There are so many things to do- music, letter writing, TV, stitching,  exercise and cooking, also she can do some new things like painting if time permits. she  learned two beautiful lessons from the two books which she reads these days after bath. One is – Don’t expect gratitude, it is rare like rose and ingratitude is like weed, it is everywhere. Second is – Do whatever you like with whole heart otherwise not do it. Yesterday’s meeting was successful . Dance drama cultivated by DR Sharma  was very good and she liked the tea also. Today she talked to ma-papa, they are going to sister’s place this month. She will be meeting them in year end.


आज सुबह अलार्म बजते ही जून रोज की तरह फौरन उठ गये और बहुत पहले जैसे वह करते थे फिर पांच मिनट लेटे रहकर उठे. वह खुद भी उठकर बिस्तर के पैताने पर बैठ गयी यूँ ही, रात को देखे सपनों का जायजा लेने, फिर उठी तो ब्रश करने के बजाय बाथरूम में ही दिमाग में आई इधर-उधर की बातों को सोचती रही. सुबह सोकर उठो तो दिमाग एकदम खाली होना चाहिए, साफ-स्वच्छ, पर नहीं, बीती रात की कोई बात पता नहीं क्यों किसी छेद से घुसकर कुरेदती रहेगी फिर एक बार जो ब्रश किया तो सुबह के कामों में व्यस्त हो गयी, बस सुबह के वे ५-७ मिनट यूँ ही गंवा दिए. कल से इस बात का ध्यान रखेगी, फिर जून ने जब कहा कि कल वह ऑफिस की चाबी ले जाना भूल गये तो बजाय उस बात को सुन लेने के उन्हें नसीहत देने लगी जबकि इसकी कोई जरूरत नहीं थी, नन्हे के स्कूल चले जाने के बाद जून जब तक कार की प्रतीक्षा कर रहे थे वह वहीं बैठी रही अपना कर्त्तव्य समझकर, तभी उसमें स्नेह नहीं था, सो उन्हें कह भी दिया कि उसका काम छूट रहा है. togetherness की फीलिंग नहीं थी जिसमें मात्र साथ रहना ही भला लगता है, ड्यूटी समझ के कोई किसी का ख्याल रखे तो उसे विवशता ही कहा जायेगा न, सो अभी सुबह के मात्र पौने नौ ही हुए हैं और दिल है कि इतनी सारी खताएं कर चुका है या वह करवा चुकी है. आज शाम को एक सखी आ रही है उसकी माँ भी, जो उसी की तरह दुबली-पतली ही होंगी गोरी और नाजुक या...? नन्हा आजकल स्वस्थ व खुश है इतवार की शाम वह फिर रूठ गया था क्योंकि अंकल चिप्स नहीं लाकर दिए थे ! 

3 comments:

  1. पढते हुये मैं भी गिन रहा था ख़ताएँ... लेकिन शायद उसे याद है कि Do whatever you like with whole heart otherwise not do it. इसलिये वो ख़ताएँ भी whole heartedly ही करती है.. रोज़मर्रा की सोच और उनकी तारतम्यता देखकर चकित होता हूम कि इनको सिलसिलेवार लिखना कितना कठिन होता होगा आपके लिए..
    कभी यह भी सोचता हूम कि इन्हीं परिस्थितियों को जून की जानिब से लिखा जाए तो कैसा हो?? बस एक सोच!!
    और अब एक मज़ाक जो हम स्कूल/कॉलेज में किया करते थे. आपने लिखा है -

    "उनके बेटे की जीभ घर में खेलते वक्त गिर जाने से कट गयी थी."

    बेटा गिर गया था या जीभ.. हम कहते थे उस समय -

    "अम्मा आलमारी में अख़बार बिछाकर सो गईं!"

    आलमारी में सो गईं कि अख़बार बिछाया आलमारी में और फिर जाकर सो गईं!!

    इस मज़ाक के लिये अग्रिम क्षमा!!

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  2. वाह, सही कहा है, आपका कमेंट पढकर तो बरबस हँसी आ रही है..क्षमा नहीं धन्यवाद...आपकी सोच अच्छी है कुछ जून की तरफ से भी कहा जाना चाहिए , दस-बारह दिनों के लिए हम यात्रा पर जा रहे हैं तब तक सम्भव हो तो पुरानी पोस्ट पढ़िये

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