Tuesday, February 21, 2012

बंद खिड़कियों वाले मकान


आज सुबह बस का हॉर्न सुनाई दिया तो जून बाहर निकला, मोटरसाइकिल ठीक करानी थी सो उसे ही ले गया. नूना के लिये दस्ताने लाया है कपड़े धोने में उसके हाथ खराब न हो जाएँ इसलिए. उसका मन यहाँ नहीं लग रहा है कितना बंद-बंद लगता है खिड़की से बाहर देखने पर मकान ही मकान दिखाई देते हैं, बंद खिड़कियों वाले मकान. नूना ने ऐसा कहा तो जून भी उदास हो गया पल भर को, फिर वे शेष कामों में लग गए. शाम को सब कैलेंडर भी लगाये, अभी पर्दों के रिंग लगाने बाकी हैं. जोशीमठ से छोटे भाई का पत्र आया है. पड़ोस के किसी घर से ‘रजिया सुल्तान’ फिल्म के गाने बजने की आवाज आ रही है.
वह जानती है कि उसे यहाँ रहना अच्छा लगने लगेगा. सुबह के नौ बजे हैं वर्षा हो रही है जो टिन की छत पर गिरकर एक अद्भुत संगीत उत्पन्न कर रही है. कल रात जून ने प्रेमचन्द की पुस्तक 'अहंकार' पढ़नी शुरू की पर तीन-चार पेज पढ़ते ही सो गया. स्वप्न में वह लगभग रोज ही माँ, छोटी बहन व दीदी को देखती है. भाई की शादी की तिथि तय नहीं हुई है, वे उसमें जायेंगे.

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