रात्रि के सवा दस बजे हैं, जून अभी तक नहीं आये हैं, किसी ऑफिशियल
मीटिंग में भाग लेने गये हैं. आज ‘विश्व योग दिवस’ है. सुबह समय पर उठे, योगा प्रोटोकाल
के अनुसार प्रैक्टिस की. जून कम्पनी की तरफ से आयोजित सामूहिक योग सम्मेलन में भाग
लेने बीहुताली गये. वह ‘पूर्वांचल कारिकारी स्कूल’ गयी जहाँ बच्चों को योग कराया.
वापस आकर मृणाल ज्योति में भी योग सेशन का आयोजन किया. शाम को पौने चार बजे संगिनी
गयी, जहाँ गायत्री समूह की महिलाओं के साथ चार घंटे तक आर्ट ऑफ़ लिविंग के ‘बेसिक
कोर्स’ में भाग लिया. इस तरह आज का पूरा दिन ही योग के नाम था. सुबह से ही आज मौसम
अच्छा था. शाम को कोर्स में बहुत दिनों बाद ‘सुदर्शन क्रिया’ की, वर्तमान का क्षण
ही वास्तव में जीवन का अवसर देता है, वरना वे अतीत की स्मृतियों को ही ढोते रहते
हैं, कभी भविष्य की आशंकाओं को. अब नींद आ रही है. उसने सोचा, जून को संदेश कर
देती है, दरवाजा खुला है, आ जायेंगे !
आज कोर्स में कुछ महिलाओं को देखकर लगा, वे सभी कुछ शीघ्र चाहते
हैं और जल्दी से बिना कुछ किये चाहते हैं. संसार में कुछ भी पाना हो तो प्रयास करना
होता है प्रतीक्षा करनी पड़ती है. अध्यात्म में कुछ पाना है तो कुछ करना नहीं, केवल
प्रतीक्षा करनी होती है. जाने अनजाने जो भूलें वे कर बैठते हैं, उनका खामियाजा एक
न एक दिन भुगतना ही पड़ता है.
आज कोर्स का चौथा दिन है. अभी तक तो सब ठीक चल रहा है. सभी
महिलाएं कोर्स में पूरे उत्साह से भाग ले रही हैं. एक महिला के सिर में कल से दर्द
था, आज सुबह फोन आया. अब तक ठीक हो गया होगा. अभी-अभी एक सखी से बात की, सोमवार को
‘सदिया पुल’ देखने जाने का कार्यक्रम है. ब्रह्मपुत्र की उपनदी लोहित नदी पर बना भूपेन हजारिका सेतु या ढोला-सदिया सेतु
भारत का सबसे लम्बा पुल, जिसका उद्घाटन मोदी जी ने पिछले महीने ही किया है. रविवार को डिब्रूगढ़ में जगन्ननाथ पुरी की
यात्रा है. सम्भवतः कोर्स के बाद वे भी जाएँ, जहाँ पुरी की तरह एक नया विशाल
मन्दिर वहाँ बना है. कल शाम को सोनू से बात हुई, उसके दफ्तर में एक लड़की की मानसिक
अवस्था ठीक नहीं है, वह काफी परेशान लग रही थी. दीदी ने लिखा है भीतर की शांति का अनुभव योग से हुआ है उन्हें,
समय निकालकर अपने साथ बैठना, फिर स्वयं को भीतर तक पहचानना कितना जरूरी है स्वस्थ
रहने के लिए.
कोर्स की समाप्ति पर उसने कुछ पंक्तियाँ कहीं
अभय की चट्टान पर घर
बनाना है
प्रीत का दिल में
सदा दिया जलाना है
दिल के आइने को सदा सच
से चमकना है
ज्ञान का दीपक सदा
आगे दिखाना है
बाँट देना है जगत
में पास जो कुछ भी है निखारें
यम-नियम को साध कर
वे पूर्ण जीवन को संवारें !
पठनीय संस्मरण ।
ReplyDelete