कल शाम को क्लब में छह सदस्याओं का विदाई समारोह था. उसने
सबके लिए एक-एक कविता लिखी थी. पूरा कार्यक्रम ही अच्छा रहा, पर एक-एक करके क्लब
से सभी वरिष्ठ महिलाएं जा रही हैं. आज आर्ट ऑफ़ लिविंग के एक स्वामी जी गोहाटी से
आये हैं. उन्हें सुबह छह बजे ही आना था, पर उनकी ट्रेन दो घंटे देर से चली फिर
रास्ते में और देर करते हुए साढ़े आठ बजे तिनसुकिया पहुँची, साढ़े नौ बजे वे घर
पहुँचे. सम्भवतः दो दिन यहाँ रहेंगे. गोहाटी के आश्रम में नवीन निर्माण कार्य चल
रहा है, उसी सिलसिले में वे यात्रा कर रहे हैं. वे शाम को महिलाओं की योग कक्षा को
भी सम्बोधित करेंगे. जून अभी-अभी डेंटिस्ट के पास से आये और फिर दफ्तर चले गये.
उनकी दर्द सहन करने की क्षमता काफी बढ़ गयी है, पर जितना-जितना वे दर्द को सहन करना
सीख जाते हैं, उतना-उतना उससे मुक्त होने की कामना घटती जाती है.
दोपहर के साढ़े बारह बजे हैं. वर्षा की टिपटिप सुबह से जारी
है, बल्कि कल रात्रि से ही. कल दोपहर वर्षा रुकी थी, वे डिब्रूगढ़ गये थे. “नमामि ब्रह्मपुत्र” कार्यक्रम देखने.
मोरान, नाहरकटिया व माजुली से कई नृत्य समूह आये थे, जिन्होंने अद्भुत कार्यक्रम
प्रस्तुत किये. एक फैशन शो भी था, जिसमें सुंदर परिधान प्रदर्शित किये गये. कल शाम
को स्वामी जी ने बताया, हर आसन उनके भीतर शुद्धि लाने में सहायक होता है, हर ध्यान
भी और हर मुस्कान भी ! उसने प्रार्थना की, ईश्वर उनके लक्ष्य में उन्हें सफलता प्रदान
करे. अगले हफ्ते उन्हें काशी की यात्रा पर निकलना है. आजकल दिन कितनी सहजता से
व्यतीत हो रहे हैं.
रात्रि के आठ बजने को हैं, अभी कुछ देर पूर्व बाहर टहलकर वे
आये हैं. रात की रानी की खुशबू हवा में घुली थी और सरदारनी आंटी द्वारा दी गये
ओर्किड्स की खुशबू भी ! और एक सुगंध जो आजकल कई बार महसूस होती है, मीठी-मीठी
खुशबू, प्राणायाम करते समय भी और इस समय भी हो रही है नासिका के पास ! आज योग
कक्षा में चार महिलाएं आयी थीं. एक ने कहा, कभी-कभी उसे कुछ आवाजें सुनाई देती
हैं, दूसरी ने कहा, उसे कभी-कभी लगता है, पीछे कोई है, पीछे मुड़कर देखती भी है पर
कोई नहीं होता. एक अन्य ने कहा, उसे रात को नींद नहीं आती, आती भी है तो खुल जाती
है. एक ब्राह्मी पौधा लेकर आयीं, उसे भूमि
में लगवाना है. उन्होंने कहा, प्रतिदिन इसके चार पत्ते खली पेट खाने से बहुत लाभ
होता है. आज क्लब की प्रेसिडेंट से मृणाल ज्योति की सहायता राशि बढ़ाने के लिए कहा,
पर वह अभी इसके लिए तैयार नहीं हैं.
आज टीवी पर अनुशयी आत्माओं के बारे में सुना, जो इस समय
सुप्त हैं, वे किसी को दुःख आदि नहीं दे सकतीं. वे श्वास, भोजन, जल आदि के साथ
उनके भीतर प्रवेश कर लेती हैं. अनुकूल परिस्थिति मिलते ही उन्हें देह मिल जाती है.
कितनी ही शुद्ध आत्माएं प्रतीक्षारत हैं कि उन्हें अच्छे माता-पिता मिलें. एक
स्वाभिमानी आत्मा हरेक के भीतर रहती है. उसे ये बातें कुछ ज्यादा समझ में नहीं
आयीं पर मन आश्चर्य से भर गया. नन्हे से बात हुई, वह कुछ परेशान लग रहा था. कम्पनी
छंटनी कर रही है और उसे अपनी टीम से कुछ लोगों को निकलना पड़ा. कह रहा था कि किसी
को नौकरी जाने की खबर मिलती है तो बेहद दुखद व शॉकिंग होता है. उसे स्वयं भी उनकी
पीड़ा का अहसास हो रहा था. जिन्दगी में कभी-कभी कठोर निर्णय लेने पड़ते हैं. आज छोटी
बहन ने अपने साथ घटी एक घटना बतायी जिस पर एक कहानी लिखी जा सकती है.
ब्लॉग बुलेटिन टीम की और मेरी ओर से आप सब को महाशिवरात्रि पर बधाइयाँ और हार्दिक शुभकामनाएँ |
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 04/03/2019 की बुलेटिन, " महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बहुत बहुत आभार !
ReplyDeleteअलहदा सा अनुभव लिये आलेख।
ReplyDeleteअप्रतिम।