Friday, July 21, 2017

गणपति बप्पा मोरया


कल जून का जन्मदिन है. उनके लिए एक कविता लिखनी है. आजकल वह बहुत खुश रहते हैं. दफ्तर में काम भी ज्यादा है फिर भी नियमित भ्रमण, व्यायाम आदि तो है ही. अपने जूनियर्स के साथ उनका संबंध बहुत स्नेहजनक है. आवश्यकता पड़ने पर अनुशासित भी करते हैं, सभी की भावनाओं का ध्यान भी रखते हैं. शॉपिंग करने में भी उन्हें बड़ा आनंद आता है. आजकल पैसों के मामले में बहुत उदार हो गये हैं. टीवी पर हास्य के कार्यक्रम भी देखते हैं. सबको लड्डू खिलाकर पन्द्रह अगस्त मनाने और झंडा लगाने का उनका जज्बा भी देखने लायक है. सबसे बड़ी बात अब उन्हें क्रोध नहीं आता उन बातों पर जिन पर पहले आता था. एक उन्नत भविष्य की ओर वह बढ़ रहे हैं.

झमाझम वर्षा हो रही है. एक बार ऐसा हुआ सुबह जब काले बादलों ने आकाश को पूरा ढक लिया, कितना अँधेरा हो गया था जैसे मन कभी-कभी किसी बात में पूरा आसक्त हो जाता है और आत्मा का सूर्य खिन भी दिखाई नहीं देता. अभी जब जून दफ्तर से लौटे तो मोटी-मोटी बूँदें पड़ने लगीं. गेट से बरामदे तक आते-आते वह भीग गये थोड़ा सा. छम-छम बरसती बूंदों का संगीत कितना मधुर है. हरियाली ऐसे गहरे हरे रंग में रंग गयी है. शाम यूँ भी होने को है.पंछी अपने घर लौटने को थे पर अब दुबक कर शाखाओं में बैठ गये हैं. आज सुबह स्कूल गयी, एक अध्यापिका ने कहा, वह कक्षा नवीं व दसवीं के बच्चों को गणित पढ़ाये, पर गणित से नाता टूटे तो वर्षों हो गये हैं, कोर्स भी बदल गया होगा. योग सिखाना ही सबसे सरल है, शांति की राह पर ले जाना ही सबसे प्रिय कार्य है. शेष कार्य तो हो ही रहे हैं. कल बड़े भांजे का जन्मदिन है, उसके लिए छोटी सी कविता लिखी है, जून अभी आकर उसे सजा देगें, फोटो आदि डालकर.

आज असम बंद है. गोलाघाट में असम व नागालैंड के लोगों के मध्य हुए दंगों के बाद पुलिस के अत्याचार के खिलाफ एजीपी ने बंद का आवाहन किया है. सुबह जून दफ्तर गये पर लौट आना पड़ा. वर्षा अभी होकर रुकी है, सब कुछ धुला-धुला सा लग रहा है. आज ब्लॉगस पर तीन पोस्ट डालीं, किसी-किसी दिन लिखने की गति अपने आप बढ़ जाती है और किसी दिन एक ही पोस्ट मुश्किल से लिखी जाती है. शाम को मृणाल ज्योति की मीटिंग है, बंद के कारण स्कूल तक जाना सम्भव नहीं होगा, इसलिए सारी कमेटी उनके घर पर ही आ रही है. छोटे भाई का जन्मदिन भी आने वाला है, उसके लिए भी एक कविता लिखी.

फिर एक अन्तराल ! कई दिनों से कोई नई कविता भी नहीं उतरी है. कागज-कलम लेकर बैठना ही नहीं हुआ. घर में रंग-रोगन व सफाई का काम चल रहा था, सब कुछ फैला हुआ सा था, अब जाकर कुछ ठीक हुआ है. अब भी काफी कम शेष है. छोटे भाई के आने में दस दिन शेष हैं, तब तक तो सब निपट ही जायेगा. गणेश पूजा का उत्सव चल रहा है इन दिनों. आज गुरूजी ने और कल शिवानी ने गणपति का असली अर्थ बताया. मिट्टी से बनी देह या शरीर के मैल से बनी देह अहंकार से ग्रसित होती है, फिर ज्ञान उस अहंकार को मिटा देता है और ज्ञान स्वरूप ही बना देता है. गणपति का सिर बड़ा है अर्थात ज्ञान भरपूर है. सूंड से भारी काम भी करते हैं और एक सुई भी उठा सकते हैं, अर्थात कोमल व कठोर दोनों हैं. चूहे पर सवारी करते हैं अर्थात तर्क (काटने की शक्ति) पर शासन करते हैं.



4 comments:

  1. स्वागत व आभार !

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  2. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " "कौन सी बिरयानी !!??" - ब्लॉग बुलेटिन , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  3. स्वागत व बहुत बहुत आभार !

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