Wednesday, July 19, 2017

नूरपुर की रानी


अभी-अभी नैनी ने कौए और कबूतर के झगड़े की गाथा सुनाई. उसकी सास ने रोज की तरह कबूतरों के लिए कटोरी में पानी रखा और चावल के दाने बिखेरे. दो कौए आकर पानी पीने लगे. एक ने कटोरी ही चोंच से उलट दी, फिर चावल खाने आये कबूतरों को खदेड़ने लगे. बाद में एक बड़े कौए को बुलाकर लाये, शायद वह उनके नेता था. एक कबूतर की पूंछ पकड़कर उसे गोल-गोल घुमाने लगे और इस क्रिया में उसका एक पंख भी निकल गया. कौआ शनि देवता का रूप माना जाता है और कबूतर तो शिव का प्रिय पक्षी है. दोनों का यह झगड़ा फिर क्यों ! इन जीवों में भी कितना ज्ञान होता है. रात को दो अनोखे स्वप्न देखे, एक में वह आचार्य रजनीश से मिल रही है. वे अभी युवा हैं, वह कहती है, सर, आप कहाँ रहते हैं, उन्होंने इलाहाबाद का नाम लिया, इलाहबाद के किसी स्थान का. दूसरे में श्री श्री का सत्संग हो रहा है, आगे क्या करना है, इसके लिए वह उनसे मन्त्रणा कर रही है. गुरूजी से इतनी निकटता से बातचीत स्वप्न में ही सम्भव है, शायद भविष्य में कभी जागृत में भी सम्भव हो. भीतर कैसा तो अहोभाव भर गया है, परमात्मा की महक चारों और भरी है, धनक कण-कण में है, उसका स्पर्श हर शै पर है ! उसका सौन्दर्य अप्रतिम है. कितनी सुंदर सृष्टि रची है उसने, और पल-पल रच रहा है. उन्हें उसे कुरूप करने का कोई अधिकार नहीं है. उनका मन भी सुंदर होना चाहिए, विचार तथा भावनाएं भी. सभी कुछ एक सौन्दर्य का प्रकटीकरण करे, ऐसा होना चाहिए. बाहर माली की कैंची की आवाज सुनाई दे रही है, वह आज जल्दी आया गया है. उसने सोचा बगीचे में क्या-क्या काम और करवाए जिससे बगीचा और सुंदर लगे. जून कल आ रहे हैं, उन्होंने कोलकाता में कुछ सामान खरीदा है, उन्हें खरीदारी करने में बड़ा मजा आता है, जैसे उसे कविताएँ लिखने में ख़ुशी मिलती है.

कल कुछ नहीं लिखा, आज सुबह से मन स्थिर नहीं है. कोई पुराना कर्म अवश्य ही जागृत हुआ है. साक्षी में टिकना कोई ऐसी बात नहीं है कि एक बार यदि हो गया तो सदा के लिए हो गया. पल-पल  सजग रहना होगा. पूर्ण ज्ञान के बाद सम्भवतः वह सदा ही हो जाता हो, अप्रयास ही. कबीर तभी कहते हैं, साधो, सहज समाधि भली ! आज सुबह बाबा रामदेव जी की गंगोत्री यात्रा पर अच्छा सा कार्यक्रम देखा. वे साधु-संतों से भेंट करते हुए, अपने शिष्यों के साथ गंगोत्री से गोमुख की ओर जा रहे थे.  

आज धूप बेहद तेज है, पर पंखे के सामने बैठकर गर्मी का अहसास नहीं हो रहा है, यूँ भी मन यदि शीतल हो तो बाहर का ताप विशेष असर नहीं करता. बड़ी ननद का फोन आया, कल बेटी के ससुराल वालों के साथ बात हुई, पर कोई हल निकलता नजर नहीं आ रहा है. कुछ देर ‘नूरपुर की रानी’ धारावाहिक देखा. नायिका नूरी कितनी अच्छी उर्दू बोलती है और बहुत संवेदनशील है. वह शहजादी बनकर अच्छे-अच्छे लिबास पहनती है तो उसे भी आज बहुत खूबसूरत लिबास मिले हैं. दो कुरते, जिनमें एक कुरता चिकन का है, और दो सूट के कपड़े, जिनपर कश्मीरी कढ़ाई है.

आज क्लब की वार्षिक मीटिंग है, नई कमेटी को जिम्मेदारी सौंपने का दिन, उसका काम अब कोई और संभालेगा. जुलाई भी समाप्त होने को है, नया वर्ष आता है और उसके जाने का वक्त भी आ जाता है. दोपहर को उठी तो सिर में दर्द था, आचार्य बालकृष्ण जी का तरीका अपनाया. दायीं नासिका को बंद करके बायीं नासिका से लम्बे श्वास लेना, दर्द काफी चला गया है, शायद पित्त बढ़ गया है. आजकल वे रोज ही आम खा रहे हैं. 

11 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक चर्चा मंच पर चर्चा - 2672 में दिया जाएगा
    धन्यवाद

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    1. बहुत बहुत आभार दिलबाग जी !

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  2. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " "मैं शिव हूँ ..." - ब्लॉग बुलेटिन
    , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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    1. बहुत बहुत आभार शिवम जी !

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  3. ज्ञान शायद बस जीवों को ही होता है । आदमी को ज्ञान का भ्रम ।

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    1. स्वागत व आभार सुशील जी !

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  4. शीर्षक डायरी के पन्ने का आकर्षक है ...

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    1. स्वागत व आभार अर्चना जी..

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  5. उलझन ... सुलझन, मनवा सदा बेचैन

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  6. स्वागत व आभार गगन जी !

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