कल से उसके बाँए कान में सुनाई देना कम हो गया है और एक आवाज
भी आती है. शायद इन्फेक्शन है या पानी चला गया है, अथवा तो वैक्स है और या तो
ज्यादा सुनने से कान की श्रवण शक्ति कम हो गयी है. उम्र के साथ-साथ भी शरीर में कई
परिवर्तन होते हैं. आज इतवार है और जून ने लंच में विशेष पुलाव तो बनाया ही था,
शाम को ब्लू बेरी, रोस्टेड आलमंड, डेट्स तथा बगीचे से तोड़ा ताजा भुना हुआ भुट्टा. कल
सिनेमा हॉल में HSKD देखी, फिल्म उसे ज्यादा पसंद नहीं आयी. अमेरिकन कॉर्न खाए और
चालीस रूपये कप वाली चाय पी, यानि कल दिन भर मस्ती की. शाम को सत्संग में गये.
गुरू पूर्णिमा उत्सव के कारण गुरू पूजा
थी. आज ट्विटर पर गुरूजी का संदेश देखा, यू ट्यूब पर उनका कल का संदेश भी कुछ देर
के लिए सुना था. अभी वे कुछ देर बैडमिंटन खेलेंगे फिर शेष भाग सुनेंगे. फुटबाल के
विश्व कप के खेल समाप्त हो चुके हैं. जर्मनी जीत गया है, ब्राजील चौथे स्थान पर
है. जून भी डायरी लिख रहे हैं. लिखने से बहुत कुछ स्पष्ट हो जाता है. जीवन को एक
दिशा मिलती है. वे वही हो जाते हैं जैसा सोचते हैं. चेतना जब परम के साथ जुड़ी होती
है तब कोई दुःख कोई परेशानी उन्हें छू भी नहीं सकती.
आज भी वर्षा के कारण प्रातः भ्रमण स्थगित करना
पड़ा, शाम को यदि मौसम खुल गया तो जा सकते हैं. उनके बगीचे में अन्नानास लगा है पर
जून ने बाजार से लाये अनानास की तस्वीर व्हाट्स ऐप के एक ग्रुप में डाल दी, सब लोग
खुश हैं और अगले वर्ष यहाँ आने का प्रोग्राम बना रहे हैं. अभी कुछ देर पहले ही
आँख-कान-गला विशेषज्ञ से मिलकर आ रही है. उनके केबिन के बाहर काफी लोग बैठे थे.
जून ने फोन कर दिया था सो सबसे पहले उसे ही बुलाया. कान साफ किया और अब खुला-खुला
लग रह है, कान में डालने की दवा भी दी है. उसका गला भी थोड़ा सा खराब है पर डाक्टर
ने देखकर कुछ कहा नहीं है. दवा के काउंटर पर भी काफी भीड़ थी. जनसंख्या इतनी बढ़ रही
है सो हर जगह भीड़ तो बढ़ेगी ही, धैर्य सिखाती है भीड़ भी. वहाँ बातूनी सखी मिली, उसे
भी इन्फेक्शन था, एक कोर्स कर चुकी है पर ठीक नहीं हुआ. नैनी ने तुलसी लाकर दी,
फिर गर्म पानी भी थर्मस में भर दिया है, वह बहुत ख्याल रखती है हर बात का. सलाद
सजाने में उसका जवाब नहीं. आज भी वर्षा हो रही है, जून अभी आने वाले हैं. उन्हें
भी उसका ब्लॉग पढ़कर अच्छा लगता होगा जैसे उसे लिखकर लगता है. आज सुबह उन्हें कुछ अच्छी
बातें परमात्मा ने कहलवायीं इस मुख से, वे अवश्य ही उन्हें याद रख पाएंगे. उसका
जीवन भी सद्मार्ग से विचलित न हो, ऐसी प्रार्थना उसने अपने लिए की.
आज सुबह फिर एक अनोखे स्वप्न ने जगाया. एक नई ब्याहता
को उसके पति का नवजात शिशु थमाया जाता है, जिसकी माँ मर चुकी है. वह उसे स्तनपान
कराती है और लो..उसके स्तनों में दुग्ध उतर आता है. वात्सल्य की गहरी भावना उसके
मन में जगती है और यह चमत्कार घटता है. ऐसे ही परमात्मा की गोद में जब वे अबोध
शिशु की तरह वे जाते हैं तो उसका असीम आनंद उन्हें सहज ही मिलने लगता है. वह वहाँ
था ही, उसे प्रकट भर होना था. तभी संतजन परमात्मा को माँ के रूप में भजते हैं. माँ
कहने का भाव तभी सिद्ध होगा जब वे अबोध शिशु बन जाएँ, जो वास्तविक भी है. क्या
जानते हैं वे इस संसार के बारे में, उनकी जानकारी अल्प है और अज्ञान अनंत है. उससे
पूर्व भी कुछ स्वप्न देखे. एक में लोभ की प्रवृत्ति स्पष्ट दिख रही थी. स्वप्नों
की दुनिया भी कितनी विचित्र है. कल रात बिजली चली गयी थी. वे पहले पूजा रूम में
गये, जहाँ पांच खिड़कियाँ हैं, फिर बिजली आने पर अपने कमरे में, पुनः वहाँ जाना पड़ा
और फिर लौटे, नींद लेकिन आ ही गयी. परमात्मा की कृपा ही है गहरी निद्रा, लेकिन अभी
भी उसे स्वप्न बहुत आते हैं. जागृत, स्वप्न, सुषुप्ति में भी तूरीया यानि चौथी अवस्था
बनी रहे, ऐसी ही कामना साधक की होती है, पर वह अवस्था कामना से नहीं मिलती.
सुबह किस स्वप्न ने जगाया याद नहीं, वर्षा नहीं
थी सो टहलने गये, आकाश गुलाबी था और हवा में हल्की सी ठंडक. दोपहर को वह बाजार
गयी, राखी बनाने का सामान खरीदा. अगले महीने की दस तारीख को राखी है, उसे बच्चों
के लिए ढेर सारी राखियाँ बनानी हैं. उन्हें भेजने की तैयारी भी करनी चाहिए. सुबह कविता
लिखी ब्लॉग पर और दोपहर को व्हाट्सएप पर पढ़ी. छोटी बहन ने सुंदर भजन गाया. शाम को
पुरानी पड़ोसिन का फोन आया, उसके पुत्र की मंगनी की खबर देने के लिए, दिसम्बर में
विवाह है. नन्हे ने बताया अगले तीन महीनों में उसकी कम्पनी में काम करने वालों की
संख्या दुगनी हो जाएगी.
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