सत्संग में ही मुक्ति है, सत्संग अर्थात परमात्मा का
संग..वही मुक्त करता है. सारा दुःख दो के कारण है, परमात्मा एक है..उसमें टिकने से
ही तृप्ति मिल सकती है. जगत के सारे कार्य तब होते हैं, उन्हें करना नहीं होता.
जीवन को ठीक से जीने के लिए, शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भी उन्हें अपने भीतर की
शक्ति को जगाना आवश्यक है, यह शक्ति बिना भीतर गये मिलती नहीं. उसने नये वर्ष के
लिए कुछ निर्णय अपने आप के लिए लिए हैं. नये वर्ष में कोई भी व्यक्तिगत कविता नहीं
लिखेगी, उसके गीत अब परमपिता परमात्मा तथा सद्गुरु के लिए ही होंगे. नये वर्ष
में वह अपनी तीसरी पुस्तक को भी छपने के लिए भेजेगी. इस बार
वाराणसी में छपवानी है, जिसे पिताजी को समर्पित करना है. अमावस तथा पूर्णिमा की
जगह अबसे एकादशी का व्रत रखना है. नया वर्ष उसके लिए परमात्मा की निकटता का वर्ष
तो होगा ही पर सेवा का वर्ष भी होगा. हरि कि सेवा तभी होगी जब उसके जगत कि सेवा
कोई करता है. आत्मा के लिए कुछ भी नहीं करना है, वह स्वयं में पूर्ण है, कर्म तो
संसार के लिए ही हैं, स्वार्थ पूर्ण कर्म ही तो बांधते हैं.
कल वे पिकनिक पर गये. धूप और पानी का यानि अनल और नीर का संग
बहुत भला था. पानी में ठंडक थी, नीचे बालू थी, नदी गहरी नहीं थी. वे काफी दूर तक
आगे बढ़ते ही गये. नदी किनारे आग जलाकर भोजन
भी बनाया. कोई फ़िक्र नहीं, कोई चिंता नहीं, वे बस थे..प्रकृति का अंग बनकर उसके
साथ जीते हुए. कल फिर उन्हें पिकनिक पर जाना है, दो दिनों के लिए पुनः प्रकृति के
साथ जीना है. जून का मन नहीं है, पर वे क्यों घबरा रहे है इसका कारण उन्हें स्वयं
भी अस्पष्ट है. नन्हा पूर्णतया निश्चिंत है, वह अपने मित्र को भी साथ ले जाना
चाहता है. आज नैनी को काम करने का विशेष उत्साह जगा है, वह लॉन की सफाई पूरे मन से
कर रही है. वे सभी अपना-अपना निर्धारित काम दिल से करें तो काम अच्छा होगा ही. अभी-अभी
उसने एक केक बनाया पर निकालते समय शीघ्रता कर दी जिससे वह टूट गया, यदि थोड़ी
समझदारी से काम लिया होता तो पहले की तरह साबुत बनता. कल की थोड़ी सी थकान का अनुभव
हो रहा था, सो वह सो गयी लेकिन उतनी ही देर में स्वप्नों की दुनिया शुरू हो गयी.
गोहाटी में अकेले सफर कर रही है. कुछ थोड़े से पैसे पास में हैं. रास्तों का भी
ज्ञान नहीं है. एक व्यक्ति कुछ पैसे मांगता है..न जाने कैसा है मन..कहाँ-कहाँ की
सोचता रहता है, उधेड़बुन में लगा रहता है. जागृति ही उचित है.
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