आज सुबह वे चार बजे उठे और 'क्रिया' आदि शीघ्रता से की. नन्हे को छह बजे विशेष कक्षा के लिए जाना था पर गाड़ी न
मिलने की वजह से नहीं जा सका. घर पर ही पढ़ रहा है. आज शनिवार है, म्यूजिक सर आएंगे,
उससे पूर्व थोडा अभ्यास कर लेना उचित होगा. सुबह दीदी को फोन किया, कल उनकी शादी
की सालगिरह थी. छोटी ननद की परसों थी. उन्हें कुछ याद नहीं था. मन एक अलग ही स्तर
पर रहता है आजकल. वे लोग योग शिक्षक को अपने घर आमंत्रित कर रहे हैं, देखें, वह
समय निकल पाते हैं या नहीं. जून ने कहा, उन्हें लेने वे स्वयं भी जा सकते हैं.
क्लब में हिंदी हास्य कवि सम्मेलन होने वाला है, वे शाम को कवियों से मिलने भी जायेंगे,
कार्यक्रम सात बजे शुरू होगा. वह यह सब लिख रही है क्योंकि स्वयं को याद दिलाना
चाहती है, विशेष आग्रह न रखे तो इच्छा पूर्ण होने का चांस ज्यादा है. वैसे भी उसकी
मानसिक स्थिति ऐसी है की जहाँ उस एक परमात्मा की स्मृति के सिवा किसी इतर वस्तु या
व्यक्ति के लिए आग्रह एक हद तक ही है. शिक्षक की बात अलग है, उनके लिए मन सदा
श्रद्धा युक्त रहता है, साथ ही कवि के लिए भी, क्योंकि कवि भी स्रष्टा होता है, वह
जीवन को एक नई नजर से देखता है. ‘योग वसिष्ठ’ में आज जो कुछ भी उसने पढ़ा वह art of
living में भी सिखाया गया है, इतनी पुरानी पुस्तक और इतना आधुनिकतम ज्ञान, सत्य है
ज्ञान एक है, सदा-सर्वदा एक..जैसे सत्य एक है और ईश्वर एक है, हर काल में हर युग
में !
कब सुमिरोगे राम ? बालपन में खेल घुमायो, तरूपन में कम, अब तुम कब सुमिरोगे
राम ? आज बाबाजी ने कहा. उन्हें देखकर लगता है, अंतर में कितना ज्ञान समेटे हैं. अनंत
शांति और प्रेम भी. तत्व का बोध जिसे है वही मार्ग दिखा सकता है. जीवात्मा
परमात्मा का सनातन अंश जो है. अन्तर्मुखी होकर उन्होंने अपने भीतर से पाया है यह
सत्य. मृत्यु से पूर्व बल्कि वृद्धावस्था से पूर्व यह अनुभव दृढ हो जाये तभी जीवन
सफल है. मन किसी भी स्थिति में अशांत न हो, क्योंकि यह उस अन्तेवासी का अपमान होगा
जो आनंद स्वरूप है. उन्होंने एक और बात कही, ईश्वर के प्रति प्रेम का बखान करना ही
दर्शाता है कि अभी प्रेम कच्चा है. जब कोई प्रेममय होता है तो उसे खबर नहीं होती,
दूसरे ही पहले जानते हैं कि परमात्मा के प्रेम में पागल हो गया है ! प्रभु प्रीति
अचल हो इसके लिए तो सजग रहना ही है पर वह दिखावा न बन जाये इसका भी विशेष प्रयत्न
करना होगा क्योंकि जो जानता है वह कहता नहीं और जो कहता है वह अभी पूरा जानता
नहीं. कल शाम वे कवि सम्मेलन देखने, सुनने गये, उससे पूर्व वह गेस्ट हाउस भी गयी
उन लोगों से मिलने. सम्मेलन में वे बहुत हँसे शायद पूरे साल में उतना नहीं हँसे होंगे. बाद में उसे ‘धन्यवाद ज्ञापन’
व्यक्त करने के लिय कहा गया जो शायद वह गुरू कृपा से बोल ही सकी.
आज नन्हे का स्कूल काटी बीहू के लये बंद है, उसका उपवास का दिन है. उसने सुना
था एक बार बाबाजी कह रहे थे, उपवास से जीवनी शक्ति सुव्यस्थित होती है. उपवास का
अर्थ है स्वयं के निकट रहना ! आश्विन शुरू हो गया है, एक माह बाद दीपावली होगी.
मौसम आज स्वच्छ है, धूप खिली है. बगीचे में काम करने के लिए अच्छा दिन. शाम को
फूलों के बीज रोपने हैं. कल उसने पिता को एक पत्र लिखा. कल शाम को क्रिया के बाद
अद्भुत अनुभव हुआ. गुरुमाँ ने आज संत नामदेव की कथा सुनाई. उनका मन अन्तर्मुखी हुआ,
जिस ईश्वर को वह बाहर खोज रहे थे वह भीतर मिल गया, जैसे नानक और कबीर को मिला था,
जैसे उन्हें मिला है. जून का फोन आया, आज ऑफिस में एक ही शिफ्ट है, सो देर से
आयेंगे सो एक घंटा अभ्यास कर सकती है. कल शाम वे एक मित्र के यहाँ गये, गृहणी के
हाथ का प्लास्टर कल खुला था, मिठाई खिलाई और दीवाली के लिए लाई बिजली की दो झालरें
भी दिखाईं. दीपावली का प्रकाश उनके अंतर में भी उजाला करे, इस दीवाली को यही
प्रार्थना करनी है.
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