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Tuesday, April 17, 2018

मेथी की बड़ियाँ



नये वर्ष का प्रथम दिन अरुणाचल में आरम्भ हुआ और असम में समाप्त. बोलेरो में की यादगार यात्रा  में चालक ने सावधानीपूर्वक गाड़ी चलाते उन्हें सुरक्षित घर पहुंचा दिया. पत्थरों, कच्चे रास्तों और नदियों को पार करते हुए वे दोपहर तक घर पहुंचे. नये वर्ष की पूर्व संध्या पर नये लोगों से मुलाकात हुई. वह मोटी सी अरुणाचली महिला जो पीकर चहक रही थी और वह शांत सी महिला जो  अपने पुत्र को गोदी में सुलाए बैठी थी. अरुणाचल के वर्तमान संसद सदस्य और भूतपूर्व मुख्यमंत्री से बातचीत, सभी कुछ स्मृतियों में कैद हो गया है. वापस आकर बंगाली सखी से फोन पर बात की. पिछले हफ्ते तोड़ कर रखे  केले, जो सभी पक गये थे, बाँट दिए. कुछ अभी भी शेष हैं. जो आनंद बाँट कर खाने में है, वह स्वयं खाने में कहाँ ? कुछ वस्त्र भी निकले हैं, जो दे देने हैं.   

शाम को ध्यान करने बैठी तो मन तंद्रा में चला गया. चौंक कर उठी, मुख पर शीतल जल के छींटे मारे. ध्यान और नींद में एक समानता है. दोनों में चेतन मन शांत हो जाता है और बातें अचेतन मन में चली जाती हैं. सब काम करते हुए भी सजगता कायम रहे इसका ध्यान रखना है, व्यर्थ के संकल्प ही व्यर्थ कर्मों को जन्म देते हैं. कर्मों से सुख पाने की इच्छा भी बांधती है. पानी जैसा मन स्वयं को नीचे बनाये रखने के लिए कई जाल फैलाता है, पर उन्हें आत्मा रूपी अग्नि बनकर ऊपर ही जाना है.

सुबह वे टहलने गये तो हल्का अँधेरा था और हल्का कोहरा भी, पर इस वर्ष ज्यादा ठंड नहीं है, सो सुबह के भ्रमण में व्यवधान नहीं आया है. वापस आते समय कम्पनी के मुख्य अधिकारी व उनकी पत्नी मिले, अच्छा लगा. वैसे भी उस समय मिलने वाले लोग बहुत कम होते हैं. आज मंझले भाई व छोटी ननद का जन्मदिन है, उन्हें मुबारकबाद दी. भाई जहाँ है, तापमान शून्य से पन्द्रह डिग्री कम है. कमरे में हीटर जलाने के बाद -२ डिग्री तक आ जाता है. इतनी ठंड में भी वहाँ जीवन चल रहा है. मानव की सहनशीलता व क्षमता की कोई सीमा नहीं है. ननद ने नया दफ्तर ज्वाइन किया है, उसके बैंक में सभी ने मिलकर केक मंगाया व जन्मदिन मनाया. कल वापसी की यात्रा में वे तिनसुकिया होते हुए आये, मेथी लाये. आज सुबह मेथी की बड़ी बनाकर सुखाने के लिए रखी हैं. जून ने ही सारी तैयारी की. मेथी की बड़ी उनकी प्रिय खाद्य वस्तु है. इतवार को अक्सर लंच में इसका मेथी पुलाव बनाते हैं, और इतवार की सुबह यदि दक्षिण भारतीय नाश्ते का मन हो तो वे इडली बनाने में दक्ष हैं. शाम को एक परिचित दम्पति अपने पुत्र के विवाह का निमन्त्रण पत्र देने आये, अगले महीने रिसेप्शन है. गुलाबी रंग का कार्ड बहुत सुंदर है, उनका पुत्र स्कूल में नन्हे का सहपाठी था. नन्हा कूर्ग के पास किसी स्थान पर मित्रों के साथ घूमने गया है. शाम को ‘मृणाल ज्योति’ की मीटिंग थी. दस दिनों बाद कन्या छात्रावास का उद्घाटन है. तीसरे सप्ताह में उत्तर-पूर्व सम्मेलन है, जहाँ अन्य राज्यों से विशेष बच्चों के लिए बनी संस्थाओं के प्रमुख आएंगे.
   

Tuesday, October 4, 2016

सलाद पत्ता


आज उसने ब्लॉग पर यीशू पर लिखी एक कविता पोस्ट की है, जिसे और भी कुछ लोगों को भेज सकती है, फेसबुक पर भी. हिन्दयुग्म, हिंदी कविता, सरस्वती सुमन, ऋशिमुख, साहित्य अमृत, नन्हे, पिताजी सभी को भेज सकती है. प्रिंट करके स्थानीय स्कूल के फादर को भी दे सकती है. बड़ी ननद की बड़ी बेटी के लिए जो कविता लिखी थी, उसे भी भेज देना ठीक रहेगा, उसकी शादी की बात पक्की हो गयी है. आज गुलदाउदी के गमले घर के द्वार पर सजाये हैं, घर से निकलते, प्रवेश करते उन पर नजर पड़े और दिल महक जाये, फूल खुदा की खबर देते हैं !

आज क्रिसमस है. सुबह जल्दी उठी, प्राणायाम आदि किया. आज जून ने मेथी का पुलाव बनाया है अभी सलाद पत्ता लेने बाहर बगीचे में गये हैं. क्रिसेन्थमम के फूल घर से निकलते ही दिखाई देते हैं, सुंदर हैं, ऐसे ही जब उनकी आत्मा की कली खिल जाती है तो वे भी फूल बन जाते हैं, उनकी मुस्कान तब कोई नहीं छीन सकता, सारे विरोध समाप्त हो जाते हैं, सारी वासनाएं मिट जाती हैं, कामना का अंत हो जाता है और भीतर एक रस शांति का अनुभव होता है !


आज वह लेडीज क्लब की एक सदस्या से मिलने गयी थी. उनके पैर में प्लास्टर लगा था, बरामदे में बैठी थीं. उनके लिए भी एक कविता लिखी, कल सेक्रेटरी के लिए लिखी थी. पिताजी आज बहुत दिनों बाद टहलने गये. यह वर्ष बीतने को है. नये वर्ष में उसे अपने ब्लॉग को भी बदलना है. आज सुबह अभी नींद में ही थी कि एक सुंदर दृश्य दिखा, वह स्वप्न नहीं था, ध्यान की एक अवस्था थी, सब कुछ स्पष्ट दिखाई दे रहा था. अचानक भाव उठा कि सद्गुरु ऐसे ही सब घटनाओं के बारे में जान जाते होंगे, तभी उन्हें सर्वज्ञ कहते हैं. वह साधक के मन की बातें भी यदि चाहें तो जान सकते हैं. श्रद्धा से मन भर गया और कुछ देर वहीं बैठी रही. न ठंड का अहसास हो रहा था न ही कहीं दर्द या असुविधा का. सद्गुरु का आश्रय लिया है उस शिव तत्व ने, उनका मन स्फटिक सा शुद्ध है, वह परमात्मा ही हो गये हैं अथवा तो हैं, इस भाव को तीव्रता से अनुभव किया. सुबह नौ बजे तक मन इसी भाव दशा में रहा. उनकी उपस्थिति का अहसास इतनी शिद्दत से हुआ. बाद में घर के कामों में वह भाव लुप्त हो गया. अभी-अभी चंपा की गंध आई एक पल के लिए...वह परम उनके द्वारा प्रकट होना चाहता है. वे हर तरह से उसमें बाधा देते हैं. अहंकार, लोभ, मोह, काम, क्रोध, दम्भ और न जाने कितने-कितने अवरोध रास्ते में खड़े कर देते हैं अन्यथा तो वह सदा उपलब्ध है, उपलब्ध ही नहीं वह आतुर भी है, बात एकतरफा नहीं है, एकतरफा यदि हो भी तो उसकी तरफ से ही है, उनमें न वह शक्ति है न वह आतुरता !

Wednesday, July 9, 2014

मेथी की बड़ियाँ


भारत ने पाकिस्तान को पांच विकेट से हरा दिया, क्रिकेट का खेल उनके दिलोदिमाग पर किस कदर छा गया है कि डायरी खोलते ही पहला वाक्य यही मन में आया. कल शाम को ‘मैडिटेशन’ पुस्तक का एक अध्याय पढ़ते-पढ़ते मन एकाग्र हो गया और कुछ मिनटों के ध्यान के कारण सारी शाम स्वयं को फूल सा हल्का महसूस किया. उसे लगा, पूर्वजों ने जीवन के उद्देश्य, जीने के तरीके और आत्मिक उन्नति के द्वार योग के रूप में खोल दिए हैं, अब यह उन पर निर्भर करता है कि पंक में सने रहें, सांसारिक मोह-माया और उलझनों में ऊर्जा को व्यर्थ नष्ट कर दें अथवा मुक्त होकर अध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ें. सन्त कहते हैं ज्ञानी के अनुभव को अपना अनुभव बना लेने पर ही बंधन कट  सकता है. तब सुख-दुःख, मान-अपमान, यश-अपयश सभी स्वप्नवत् प्रतीत होते हैं क्योंकि ये सभी आने-जाने वाले हैं और एक चैतन्य ही शाश्वत है. उसी में विश्रांति मिल सकती है. अभी जो बुद्धि कंस की सेविका है जब कृष्ण की सेविका हो जाएगी तभी उसका उद्धार सम्भव है. आज जून वह पत्र पोस्ट कर देंगे जो छोटी बहन को कल रात उसने लिखा था कविताओं के साथ.

आज उसने सुना, “इच्छा पूर्ति में पराधीनता है, जड़ता है, इच्छा निवृत्ति में स्वाधीनता व चेतनता है. निष्काम होने का सुख बड़ा है, सकाम होने का दुःख उससे भी बड़ा. जो मन इच्छाओं से तपे वह कैसे दर्पण की भांति अंतर की पवित्रता को दर्शा सकता है. ‘नाम जप’ इसमें सहायक होता है”. सुबह जून ने धूप में बड़ी डालने में उसकी सहायता की, कल रात मेथी साफ़ कर दाल पीस कर तैयारी कर रखी थी. जून उसके घर में रहने से पहले की तरह खुश रहने लगे हैं, उनके स्वप्नों का घर फिर मिल गया है.

“मानस की गहराइयों में जाकर सारे विकारों को दूर करने का काम ही विपशना है. इसके लिए मन को नियंत्रित करना होता है, शील-सदाचार का पालन करना होता है और यह निरंतर होना चाहिए. सहज स्वाभाविक रूप से साँस को देखते रहना मन को एकाग्र करने का सर्वोत्तम साधन है”. आज जागरण में श्री गोयनका जी ने विपशना पर प्रवचन माला आरम्भ की है, अच्छा होगा यदि कल भी वे आयें लेकिन यदि न भी आये तो उसे विक्षोभ नहीं होगा क्योंकि समभाव रहकर मन को इच्छाओं से मुक्त रखने का प्रण श्रीकृष्ण के सामने लिया है. कल दोपहर उसने गीता को पुनः पढ़ा, कल से पहले न जाने कितनी बार पढ़ चुकी है पर वह पढना मात्र पढ़ना ही था उसका अर्थ समझने का सामर्थ्य उसमें बिलकुल नहीं था, कल उसका अर्थ अपने आप ही समझ में आने लगा और उसे लगता है यह ईश्वर की कृपा का फल है वह तभी किसी के अंतर में प्रकट होता है जब हृदय शुद्ध हो, भावनाएं उद्दात हों और निस्वार्थ भाव से मात्र ज्ञान के लिए ज्ञान की आकांक्षा हो. नन्हा और जून दोनों घर पर नहीं हैं, वह भी चली जाती थी तो उनका यह घर अकेला बंद रहा करता था, कितना सन्नाटा होता होगा यहाँ, अब इतने दिनों बाद घर पर रहना अच्छा लगता है. जून का शुक्रगुजार होना चाहिए. उस रात उसने जो कठोर वचन कहे थे वे सम्भवतः नियति ने ही कहलवाए थे. उसे लग रहा था कि सब कुछ अस्त-व्यस्त हो रहा है, बिखर रहा है. जून की बातें तब समझ में नहीं आती थीं, अब स्पष्ट हो रही हैं. उसका सही स्थान उनका घर ही है. मन की साधना करने के सारे उपाय यहीं मिल सकते हैं.  




Tuesday, May 6, 2014

नया सोफ़ा और लैम्प शेड


...और दीवाली का उत्सव सोल्लास सम्पन्न हो गया, आज सब ओर कैसी शांति है, जून दफ्तर गये हैं और नन्हा स्कूल, उसका दिन भी अपने पुराने क्रम में गुजर रहा है. पहले उसकी छात्रा आई फिर कपड़े धोने थे. संगीत, लंच और दोपहर को हिंदी क्लास. रात्रि स्वप्नों में रिश्तेदारों से मिलती रही, अभी अपने लोग, दीदी भी थीं, उनका गला खराब था, उस दिन फोन पर बात की तो थोड़ा खांस रही थीं. आज उसने आलू व कसूरी मेथी की सब्जी बनाई है, गुलाब जामुन अभी भी बचे हैं. बगीचे में जाकर देखा तो बीज अंकुरित हो गये हैं पर साथ ही खर-पतवार भी निकल आये हैं, जिन्हें साफ करना जरूरी है. उसने plumber को बुलाकर कहा जो उनके बेडरूम का फ्लश ठीक करके गया था और लौट रहा था कि पानी नहीं चढ़ रहा है, पर उसने आते ही चलाकर दिखाया and she felt like a fool and last evening when one family came late when they were least expecting them she could not talk properly, she thought she can not adjust in odd situations, she even does not try, finds easy always known things and situations, but life is full of new events, her music teacher gave syllabus, may be next year she should appear in exam.

अज टीवी पर एक शायर का इंटरव्यू सुना तो कुछ अधूरी कविताएँ पूरी कीं, लिखने वालों को शायरों, कवियों से काफी प्रेरणा मिलती है, लगता है कोई जाना-पहचाना मिल गया, दिल की कैफियत तो हर जगह एक सी होती है. शायर का दिल, चाहे वह कहीं का भी हो, एक सा धडकता है, उसे हर उस शै से प्यार होता है, जिसमें खलूस हो, जो दुनिया को बेहतर बनाने में मददगार हो. प्यार तो दुनिया को जोड़े रखने का बहुत बड़ा साधन है, कुदरत से भी और इंसानों से भी, जानवरों, पेड़ों से भी. कल लाइब्रेरी से नई किताबें लायी है, स्वामी योगानन्द जी की भी एक किताब है, ध्यान में मदद मिलेगी. उनके लम्बे बाल देखकर उसने भी बाल न कटवाना तय किया है, और धोने के लिए शैम्पू की जगह बेसन व दही से धोएगी. अभी जून का फोन आया, उन्हें दफ्तर में रहकर भी घर का ख्याल बना रहता है, उसने सोचा, वह यदि काम करे तो पूरा ध्यान बाहर ही रहेगा, उतने वक्त तक घर को भूली रहेगी, वह दो तरफ ध्यान नहीं बंटा सकती सिवाय उस वक्त के जब ध्यान कर रही हो, तब तो मन हजार दिशाओं  में जाता है.

अभी-अभी घर वापस आई है, कल music class नहीं जा पाई थी सो आज गयी थी, टीचर ने गाउन पहना हुआ था जैसे वह क्लास लेने के मूड में न हों, हमेशा वह साड़ी या सूट पहने होती हैं, उसने सोचा शायद वह आराम कर रही थीं, सुबह उन्होंने कहा था अपनी एक मित्र को खाना देने अस्पताल जाना है, शायद देर से आई हों, उसे दो बुलेटिन भी दिए जो उसके घर के पास ही भिजवाने थे. मौसम अच्छा था और वह जल्दी आ गयी थी सो खुद ही देने चली गयी. सभी के दरवाजे बंद थे, अपने-अपने घरों में बंद लोग आराम कर रहे थे, एक के लॉन में गुलाबों के इर्द-गिर्द गड्ढे खुदे हुए थे, सब्जी की क्यारी में पौधे काफी बड़े-बड़े थे और दूसरे का बगीचा बहुत सुंदर था, फूलों से लदे मुसन्डा के पेड़ और गुलदाउदी के ढेर सारे गमले और क्यारियां, उनका घर भी बहुत सुंदर हैं नूना को कुछ वैसी ही कैफियत हुई - भला उसकी साड़ी मेरी साड़ी से सफेद कैसे ? पर एक पल के लिए. आज हल्की बूंदा-बांदी हो रही है इसलिए छत पर काम करने वाले मजदूर नहीं आए, जिन्होंने कल से काम करना शुरू किया है. कल नये सोफे, कारपेट, लैम्पशेड तथा डोर मैट बिछाने के बाद उनकी बैठक भी बहुत सुंदर लग रही है, उनके मन भी सुंदर बनें !