नये वर्ष का प्रथम दिन अरुणाचल में आरम्भ हुआ और
असम में समाप्त. बोलेरो में की यादगार यात्रा में चालक ने सावधानीपूर्वक गाड़ी चलाते उन्हें
सुरक्षित घर पहुंचा दिया. पत्थरों, कच्चे रास्तों और नदियों को पार करते हुए वे
दोपहर तक घर पहुंचे. नये वर्ष की पूर्व संध्या पर नये लोगों से मुलाकात हुई. वह
मोटी सी अरुणाचली महिला जो पीकर चहक रही थी और वह शांत सी महिला जो अपने पुत्र को गोदी में सुलाए बैठी थी. अरुणाचल
के वर्तमान संसद सदस्य और भूतपूर्व मुख्यमंत्री से बातचीत, सभी कुछ स्मृतियों में
कैद हो गया है. वापस आकर बंगाली सखी से फोन पर बात की. पिछले हफ्ते तोड़ कर रखे केले, जो सभी पक गये थे, बाँट दिए. कुछ अभी भी शेष
हैं. जो आनंद बाँट कर खाने में है, वह स्वयं खाने में कहाँ ? कुछ वस्त्र भी निकले
हैं, जो दे देने हैं.
शाम को ध्यान करने बैठी तो मन तंद्रा में चला गया. चौंक कर उठी, मुख पर शीतल
जल के छींटे मारे. ध्यान और नींद में एक समानता है. दोनों में चेतन मन शांत हो
जाता है और बातें अचेतन मन में चली जाती हैं. सब काम करते हुए भी सजगता कायम रहे
इसका ध्यान रखना है, व्यर्थ के संकल्प ही व्यर्थ कर्मों को जन्म देते हैं. कर्मों
से सुख पाने की इच्छा भी बांधती है. पानी जैसा मन स्वयं को नीचे बनाये रखने के लिए
कई जाल फैलाता है, पर उन्हें आत्मा रूपी अग्नि बनकर ऊपर ही जाना है.
सुबह वे टहलने गये तो हल्का अँधेरा था और हल्का कोहरा भी, पर इस वर्ष ज्यादा
ठंड नहीं है, सो सुबह के भ्रमण में व्यवधान नहीं आया है. वापस आते समय कम्पनी के
मुख्य अधिकारी व उनकी पत्नी मिले, अच्छा लगा. वैसे भी उस समय मिलने वाले लोग बहुत
कम होते हैं. आज मंझले भाई व छोटी ननद का जन्मदिन है, उन्हें मुबारकबाद दी. भाई
जहाँ है, तापमान शून्य से पन्द्रह डिग्री कम है. कमरे में हीटर जलाने के बाद -२ डिग्री
तक आ जाता है. इतनी ठंड में भी वहाँ जीवन चल रहा है. मानव की सहनशीलता व क्षमता की
कोई सीमा नहीं है. ननद ने नया दफ्तर ज्वाइन किया है, उसके बैंक में सभी ने मिलकर
केक मंगाया व जन्मदिन मनाया. कल वापसी की यात्रा में वे तिनसुकिया होते हुए आये,
मेथी लाये. आज सुबह मेथी की बड़ी बनाकर सुखाने के लिए रखी हैं. जून ने ही सारी तैयारी
की. मेथी की बड़ी उनकी प्रिय खाद्य वस्तु है. इतवार को अक्सर लंच में इसका मेथी पुलाव
बनाते हैं, और इतवार की सुबह यदि दक्षिण भारतीय नाश्ते का मन हो तो वे इडली बनाने
में दक्ष हैं. शाम को एक परिचित दम्पति अपने पुत्र के विवाह का निमन्त्रण पत्र
देने आये, अगले महीने रिसेप्शन है. गुलाबी रंग का कार्ड बहुत सुंदर है, उनका पुत्र
स्कूल में नन्हे का सहपाठी था. नन्हा कूर्ग के पास किसी स्थान पर मित्रों के साथ
घूमने गया है. शाम को ‘मृणाल ज्योति’ की मीटिंग थी. दस दिनों बाद कन्या छात्रावास
का उद्घाटन है. तीसरे सप्ताह में उत्तर-पूर्व सम्मेलन है, जहाँ अन्य राज्यों से विशेष
बच्चों के लिए बनी संस्थाओं के प्रमुख आएंगे.
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 18 अप्रैल - विश्व विरासत दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
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