Thursday, December 24, 2020

मैन वर्सेज वाइल्ड

 

रात्रि के आठ बजने को हैं, टीवी पर तेनाली रामा आ रहा है, रामा का बेटा बहुत नटखट है. पिछले हफ्ते वे गोहाटी गए थे, कल ही लौटे हैं. सुबह उठकर टीवी चलाया तो पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन का दुःखद समाचार मिला, भीतर तक पीड़ा हुई. इतनी प्रखर वक्ता और संवेदनशील नेत्री के इतनी कम आयु में असामयिक निधन से सारा देश व्याकुल हो रहा है. हजारों लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. पक्ष के हों या विपक्ष के सभी नेता उन्हें नमन करने आये. दुनिया भर के नेताओं तथा विदेश मंत्रियों ने शोक व्यक्त किया है. धारा 370 खत्म होने के बाद कश्मीर में हालात सामान्य हैं. अभी भी धारा 144 लागू है. राष्ट्रीय रक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कश्मीर में जाकर स्थानीय लोगों से मुलाकात की. हालात धीरे-धीरे और सामान्य होने लगेंगे. पाकिस्तान ने भारत से सारे संबंध तोड़ने का फैसला कर लिया है. व्यापार तथा राजनयिक संबंध दोनों ही. समझौता एक्सप्रेस को वाघा बार्डर पर ही रोक दिया. उच्चायुक्त को वापस भेज दिया . पाकिस्तान अपना क्रोध, दुःख  व शर्मिंदगी को किसी न किसी तरह तो व्यक्त करेगा ही. वह अपनी शिकायत यूएन भी ले जाना चाहता है किंतु उसकी बात को शायद ही कोई सुनेगा. भारत का मानना है कि यह उसका आंतरिक मामला है. सारा देश कश्मीर को खुशहाल देखना चाहता है. 


आज रात्रि आठ बजे प्रधानमंत्री देश को संबोधित करेंगे. आज योग कक्षा में वह साधिका आयी थी, जिसे चोट लग गयी थी. अभी भी पूरी तरह ठीक नहीं हुई है. आज उसने पके कटहल के कोये निकलवाये, जून को इसकी गंध जरा भी पसन्द नहीं है. उसके बीज घर में रखने पर भी नाराजगी दिखा रहे थे, उसने ईश्वर से प्रार्थना की उन्हें प्रसन्नता प्रदान करे. एक सखी के यहाँ गयी जिसके पतिदेव को हल्का हृदयाघात हो गया था. वे लोग कुछ दिनों बाद चेकअप के लिए देहली जायेंगे. अभी कुछ देर पूर्व समाचारों में सुना, श्री प्रणव मुखर्जी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया है. मौसम बेहद गर्म है आज, सुबह तेज वर्षा हुई, वे बारिश में खूब भीगे. नैनी ने तस्वीरें खींची, उसे चिंता है कि- उनके जाने के बाद नए साहब उसे काम के लिए रखेंगे या नहीं.  


आज शाम को एक दक्षिण भारतीय सखी के घर वरलक्ष्मी की पूजा में सम्मिलित होने गयी. बहुत सुंदर आयोजन था, प्रसाद भी स्वादिष्ट था, लेमन राइस, इमली राइस, स्वीट राइस और नारियल वाले काले चने. क्लब में टेक्निकल फोरम था, गोहाटी से एक साइकिलिस्ट व उनकी पत्नी आये थे, वे दोनों साईकिल पर लंबी- लंबी यात्रायें कर चुके हैं. उनका भाषण बहुत ही रोचक था, प्रकृति के साथ रहने व व्यायाम करने के बहुत से लाभ भी उन्होंने बताये.  गोहाटी में  केन का कुछ सामान खरीद कर बुक किया था, आज  पहुँच गया. असम की यादों को सदा सजीव रखने के लिए यहाँ के विश्वप्रसिद्ध बांस के फर्नीचर से बढ़कर और क्या हो सकता है. जून ने एक रॉकिंग चेयर ली है अपने लिए, सेवा निवृत्ति के बाद आराम से उसमें झूलते रहने के लिए ! जो फर्नीचर वे अपने साथ ले जाने वाले हैं, उसे पॉलिश भी करवाया है. 


आज प्रधानमंत्री का एक सुंदर कार्यक्रम देखा, ‘मैन वर्सेस वाइल्ड”,  जिसमें उन्होंने उत्तराखण्ड के जिम कार्बेट नेशनल पार्क में कई किमी पैदल यात्रा की. नदी में भी यात्रा की और जानवरों के भय से मुक्त होकर बेयर ग्रिल्स के साथ बातचीत की. अच्छा लगा उनकी बातें सुनकर, कितने सहज लग रहे थे वह, कितने सामान्य और इसीलिए वह इतने विशेष भी हैं वह ! आज दिन में एक सखी ने सावन के उत्सव के लिए बुलाया था, सभी ने सावन के गीत गाए, मेहँदी लगाई और पारंपरिक पकवान खाये. कल रक्षाबंधन के लिए मृणाल ज्योति जाना है, वे इस बार सभी को दोपहर का भोजन खिला रहे हैं, जून भी दफ्तर से वहीं आएंगे. कश्मीर में हालात सामान्य हो रहे हैं. पन्द्रह अगस्त मनाने की तैयारियां भी चल रही हैं, उस दिन दशकों बाद पूरे कश्मीर में झंडा फहराया जायेगा. 


उस पुरानी डायरी में उस दिन के पन्ने पर भी महादेवी वर्मा की एक कविता ही लिखी थी, शायद यह कविताएं उसे आज के लिए ही तैयार कर रही थीं, जब जीवन एक सरस् जलधारा सा बहता प्रतीत होता है समता का सूरज मानस के क्षितिज पर उगता हुआ लगता है तो यह कविताएं जो दशकों पहले उसने बिना समझे ही अपनी डायरी में उतारी थीं, उसके भविष्य को बता रही थीं, जिसकी उस समय दूर-दूर तक कोई झलक भी नहीं मिलती थी. क्योंकि अगले ही पन्ने पर उसने लिखे थे, “अर्थहीन असम्बद्ध शब्दों का एक रेला ही सही, कुछ तो लिखे” ! सम्भवतः मानव का अवचेतन उसके चेतन मन से ज्यादा छुपाये है. 


सखी मैं हूँ अमर सुहाग भरी ! 

प्रिय के अनन्त अनुराग भरी !

किसको त्यागूँ किसको माँगूँ 

है एक मुझे मधुमय, विषमय 


मेरे पद छूते ही होते 

कांटे कलियाँ, प्रस्तर रसमय 

प्रिय के सन्देशों के वाहक 

मैं सुख-दुःख भेटूँगी भुजभर 

मेरी लघु पलकों से छलकी 

इस कण-कण में ममता बिखरी !


Friday, December 11, 2020

श्वेत बदलियाँ

 


रात्रि के सवा आठ बजे हैं। टीवी पर कारगिल दिवस पर दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम का सीधा प्रसारण आ रहा है। प्रधानमंत्री का संबोधन प्रेरणात्मक है। कुछ देर पूर्व नन्हे और सोनू से बात हुई, वे लोग काबिनी गए हैं, जो मैसूर से एक घण्टे की दूरी पर है. वे एक ईको रिजॉर्ट में ठहरे हैं. जहां एक नदी भी है, मिट्टी की दीवारों वाला कमरा है, छत भी छप्पर वाली है, पर एसी लगा है भीतर. आधुनिकता और परंपरा का अध्भुत मिश्रण. सुबह एक योग साधिका मिलने आयी, उसका दांया कंधा पट्टी से बंधा था, सिर पर चोट का निशान था, टेप लगा था. बताया, कल शाम को गैरेज के पीछे बगीचे से भिन्डी लेने गयी थी, गिर गयी. हाथ के बल गिरी थी सो कंधे में फ्रैक्चर हो गया. एक महीना लगेगा ठीक होने में. फिर भी वह काफी उत्साह से भरी थी, आत्मिक शक्ति से ओतप्रोत वह हँस रही थी. अगले वर्ष वह भी रिटायरमेंट के बाद कोलकाता जाने की तैयारी करेगी. पिताजी हाल में ही नहीं रहे. पुत्र दिव्यांग है, पर उसकी मुस्कान मिटती नहीं. जिसने अपने हृदय में परमात्मा की उपस्थिति को एक बार महसूस कर लिया है, वह हर हाल में प्रसन्न रह सकता है. एक अन्य साधिका राधा-कृष्ण की भक्त है, उनके भजन पूर्ण मगन होकर गाती है. सुबह स्कूल गयी तो पहली बार यह ड्राइवर आया था, वैसे वह कई वर्षों से गाड़ी चला रहा है पर उसका हाथ उतना सधा हुआ नहीं है. दोपहर को घर के सामने से एक शवयात्रा को जाते देखा. कल शाम ही कम्पनी के उन अधिकारी का काफी समय से चल रही किडनी की समस्या से देहांत हो गया था. शाम को बगीचे में टहल रही थी तो बच्चों ने कहा, आकाश में कितने सुंदर बादल हैं, तस्वीरें उतारने को भी कहा. बच्चों में सौंदर्य बोध स्वाभाविक होता है, उनकी आँखें शुद्ध होती हैं, तीन वर्ष का बालक भी बादल को दिखा कर कह रहा था, कितना सुंदर है ! भगवद्गीता पर व्याख्या सुनी आज, प्रकृति  और पुरुष के द्वारा इस सृष्टि की रचना होती है. जिन चीजों को हम छोड़ना चाहते हैं, वह छूट जाएँ यही मुक्ति है ! प्रेम से भरे रहना भक्ति है, अशांति से मुक्ति रहना शांति है ! रामानुजम की गीता पर व्याख्या पढ़ी कुछ देर. 

सुबह जल्दी नींद खुली, पर जब भ्रमण के लिए तैयार हुई तो आश्चर्यजनक रूप से बन्द हो गयी, आधा घन्टा रुकी रही, घर लौटने के बाद तेज वर्षा पुनः होने लगी. आज राज्यसभा में भी ‘मुस्लिम महिला विवाह सरंक्षण अधिनियम’ ट्रिपल तलाक बिल पास हो गया. आज वाकई मुस्लिम महिलाओं के लिए ख़ुशी का दिन है, मोदी सरकार ने जो कहा था, वह कर दिखाया है. महिलाओं में ख़ुशी का माहौल है. कितनी बड़ी कुरीति है यह तीन तलाक की प्रथा, दुनिया के बीस इस्लामिक देश इस प्रथा को बन्द कर चुके हैं. कश्मीर के बारे में एक कार्यक्रम देखा, सम्भवतः मोदी सरकार कोई बड़ा निर्णय लेने वाली है स्वतन्त्रता दिवस से पूर्व. 


छोटी बहन का जन्मदिन है आज, उसे मोबाइल पर केक काटते हुए देखा, ढेर सारी अन्य वस्तुएं भी थीं, पर एक विशेष व्यंजन था, करेले के चिप्स !उसके लिए एक कविता भेजी थी उसने सुबह. उसे राखियां भेजनी हैं, दो हफ्ते ही शेष हैं. इस बार यहाँ बच्चों को विशेष भोज देना है रक्षा बन्धन पर, यह अंतिम उत्सव होगा उनके जाने से पूर्व. आज भी सुबह से दोपहर तक लगातार वर्षा होती रही, शाम को सामने भ्रमण पथ पर टहलने गयी, मैदान में पानी भर गया था. तस्वीरें उतारीं, काफी अच्छी आयी हैं. आज सुबह देखा, वर्षा में भीगती हुई एक काली जंगली मुर्गी अपनी चोंच में एक कीड़ा पकड़े जा रही थी, लगा अवश्य अपने बच्चे के लिए ले जा रही होगी. तभी झाड़ियों से काला चूजा निकला, जरूर  उसके मुख में डाला होगा. दूर से देख नहीं पायी, प्रेम की भावना हर जीव में प्रकृति की तरफ से मिली है. वे यदि किसी से प्रेम करते हैं तो इसमें उनकी कोई सफलता नहीं है, बल्कि जब वे किसी से द्वेष करते हैं तो इसमें उनका प्रयास अवश्य सम्मिलित है. परमात्मा उन्हें मिला ही हुआ है, संसार उन्होंने खुद बना लिया है. संसार से परमात्मा ढक गया है. 


भक्त के दिल की हालत को बयान करते हुए शब्द फिर उस पुरानी डायरी में पढ़े  महादेवी वर्मा के लिखे - 


वर देते हो तो कर दो ना 

चिर आंखमिचौनी यह अपनी, 

जीवन में खोज तुम्हारी है 

मिटना ही तुमको छू पाना !


तुम चुपके से आ बस जाओ ‘

सुख-दुःख स्वप्नों में श्वासों में, 

पर मन कह देगा ‘यह वे हैं’

आँखें कह देगीं पहचाना !


क्यों जीवन के शूलों में 

प्रतिक्षण आते जाते हो ! 

ठहरो सुकुमार ! गलाकर 

मोती पथ में फैलाऊँ ! 


हंसने में छू जाते तुम 

रोने में वह सुधि आती,  

मैं क्यों न जगा अणु-अणु को 

हँसना-रोना सिखलाऊँ !


Friday, December 4, 2020

गोल्डन पगोडा

 

अभी-अभी छोटी ननद से बात की. वे लोग गोहाटी पहुंच गए हैं कल सुबह यहाँ पहुंच जायेंगे. अगले नौ दिन काफी व्यस्त होंगे और अलग भी. नैनी ने बरामदे में एक सुंदर रंगोली बना दी है उनके स्वागत में. उसके हाथों में हुनर है और दिल में जोश भी. उसने अपने पति को काम दिलवाने के बारे में कहा है पर वे चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं. उसे कहा, वह जो काम कर रहा है उसे ही ठीक से करे. क्लब में होने वाली कविता प्रतियोगिता के लिए उसने गुलजार की एक कविता ‘किताबें’ चुनी है, अवश्य ही सबको पसन्द आएगी. 

सुबह समय पर मेहमान आ गए, स्वागत के लिए आरती की थाली सजाई थी, फूलों से उनका स्वागत किया. नाश्ते में अनानास खिलाये, जामुन का जूस दिया और दोपहर को बगीचे से तोड़े नारियल का पानी. वे लोग अपने साथ ढेर सारे बनारसी आम लाये हैं. दोपहर बाद उन्हें ब्रह्मपुत्र नदी पर बना बोगी बील पुल दिखाने ले गए, एक सखी और उसकी बेटी भी साथ गए थे. आज शाम को स्थानीय पाइप से बना पुल देखने जाना है. 


रात्रि के आठ बजने वाले हैं. वे नामसाई वापस लौट आये हैं. कल सुबह नाश्ते के बाद रोइंग होते हुए गोल्डन पगोड़ा पहुंचे थे. भगवान बुद्ध की बहुत विशाल मूर्ति के दर्शन किये और रात्रि में निकट स्थित गेस्ट हाउस में रहे. उनके साथ एक परिवार और गया था. सभी महिलाएं एक गाड़ी में और सभी पुरुष दूसरी गाड़ी में. उन्होंने खूब गाने गए, अंताक्षरी खेली और पहेलियाँ पूछीं, कहानियाँ सुनायीं, सुनीं, गढ़ीं. एक साथ भोजन किया और प्रकृति के नजारों का आनंद लिया. ढेर सारे फोटो खींचे. घर लौटे तो पता चला कि किचन का दरवाजा लॉक हो गया है. कुछ देर तक अपनेआप प्रयत्न करने के बाद मदद के लिए फोन किया, आधे घण्टे बाद खुल गया और फिर रात्रि का भोजन बनाया. 


सुबह अलार्म बजा उसके पूर्व भीतर एक गीत सुनाई दिया, जिसकी एक पंक्ति थी, “आ गयी शुभ घड़ी” कोई है भीतर जो जानता है कि उठने का वक्त हो गया. आज धूप निकली है. पिछले दिनों दिन भर वर्षा होती रही. कल शाम मेहमानों को वापस जाना है. सुबह जामुन के बीजों का पाउडर बनाया जो ननद ले जाएगी. उनके लिए अनानास भी मंगाए हैं. कल शाम उस सखी ने जो उनके साथ घूमने गयी थी, डिनर पर बुलाया था, बहुत सारी डिशेज बनायी थीं. उसके पिताजी से मिलने गयी तो बोले, वह उसे पहचानते ही नहीं, उन्हें अल्जाइमर है. आज सुबह एक सखी के पतिदेव को माइल्ड हार्ट अटैक आया, वह उन्हें लेकर डिब्रूगढ़ गयी है. जबकि सुबह अपना बगीचा दिखाने के लिए उन सभी को बुलाया था. अकेले ही सुंदर बगीचा देखा, उसके बाद सब मृणाल ज्योति गए.  दोपहर को महीनों बाद कैरम खेला. नैनी की देवरानी अपनी मेडिकल रिपोर्ट दिखाने आई, उसका हीमोग्लोबिन बेहद कम था, ईएसआर बहुत ज्यादा, उसे खून चढ़ाना होगा. अगले महीने जून को दो दिनों के लिए गोहाटी जाना पड़ सकता है, असम छोड़ने से पूर्व वह भी एक बार वहां जाना चाहती है.  एक दिन वे कामाख्या जायेंगे और दूसरे दिन कुछ परिचितों के घर मिलने.  


आज सुबह उठे तो वर्षा हो रही थी, छाता लेकर टहलने गए, वापस आकर योग साधना. जून होर्लिक्स पीकर दफ्तर चले गए फिर सवा आठ बजे लौटकर नाश्ता किया.  पिछले एक हफ्ते से यही कार्यक्रम था उनका. घर के सामने वाले हैलीपैड पर आज एक हैलीकॉप्टर उतरा और कुछ देर बाद उड़ गया. गेट पर से ही एक वीडियो बनाया. ननद बाजार गयी है, कुछ सामान खरीदने जो उसे यहां से साथ ले जाना है. पिछले आठ दिन कैसे पंख लगाकर उड़ गए, पता ही नहीं चला. आज उसका मन जैसे पिघल गया है, बात-बात पर बहने को तैयार बैठा है. 


बरसों पुरानी डायरी में लिखी महादेवी वर्मा की ये पंक्तियाँ भी कुछ इसी भाव को दर्शाती हैं - 


प्रथम जब भर आतीं चुपचाप

मोतियों से आँखें नादान 

आंकती तब आंसू का मोल 

तभी तो आ जाता यह ध्यान !


घुमड़ घिर क्यों रोते नव मेघ 

रात बरसा जाती क्यों ओस

पिघल क्यों हिम का उर  अवदात 

भरा  करता सरिता के कोष !

........

जिसका रोदन जिसकी किलकन

मुखरित कर देते सूनापन 

इन मिलन-विरह शिशुओं के बिन 

विस्तृत जग का आंगन सूना 


तेरी सुधि बिन क्षण-क्षण सूना ! 



Wednesday, December 2, 2020

महादेवी वर्मा की कविताएं

 

रात्रि के आठ बजकर बीस मिनट हुए हैं. जून से अभी-अभी बात हुई, कूर्ग में उनका कार्यक्रम अभी चल रहा है. उन्होंने वहां की एक तस्वीर भेजी है, बहुत सुंदर स्थान है. नन्हे ने बताया, नए घर में फ्रिज ठीक से काम नहीं कर रहा था, बदल कर नया आ गया है. मौसम आज दिनभर वर्षा का ही रहा, दोपहर को मूसलाधार वर्षा हुई, बगीचे में पानी भर गया था. बच्चों के साथ कागज की नाव चलाई. किचन गार्डन की सारी क्यारियां लगभग डूब ही गयी थी. दो छोटी लड़कियाँ पीछे की सर्वेंट लाइन में नयी आयी हैं, कहने लगीं उन्हें भी योग सीखना है । शाम को भजन संध्या थी, एक साधिका खुद की बनाई लौकी की बर्फी लायी थी. दोपहर को एक सखी का फोन आया, उसकी हफ्ते में दो दिन रात्रि की ड्यूटी लगती है, दिल के मरीज आते हैं, रात भर काफी व्यस्त रहना होता है. उसे भारत आना भी है पर विदेश की सुविधाएं भी नहीं छोड़नी, अब दोनों बातें एक साथ कैसे हो सकती हैं ! भारत में उनकी जायदाद है पर एक बार जो विदेश चला जाता है, घर वापसी कठिन होती जाती है. 

आज सुबह ‘पिता’  एक कविता लिखी, बचपन की जो स्मृतियाँ मन पर अंकित थीं, उन्हीं को शब्दों में उतार दिया, दीदी ने लिखा, बचपन याद आ गया. दोपहर को ‘माँ’ एक छोटा सा लेख लिखा, अपने-आप ही शब्द जैसे कम्प्यूटर की स्क्रीन पर उतरते जा रहे थे. भीतर एक शांति का अहसास हुआ, जैसे कोई भार हल्का हुआ हो. पापा जी ने कहा, जीवन बहुत बड़ा होता है, उसे कुछ शब्दों में कहना आसान नहीं है, वह उसके लेख के बारे में कह रहे थे, उन्हें भी कई बातें याद हो आयी होंगी. शाम को गुरूजी को सुना वह जर्मनी में थे सम्भवतः। बताया, अरस या अलस एक ही बात है, आलस्य जिसके जीवन में है, उसके जीवन में रस नहीं है. जब भी उन्हें दुख होता है, वे अपने पद से नीचे आ जाते हैं. कर्म जो उन्होंने बांधे थे राग-द्वेष के कारण, उन्हीं के कारण सुख-दुःख आते हैं. सुबह टहलने जाने से पूर्व बगीचे में जामुन बीने, इतने सारे थे कि सब उठाने में घँटों लग जाएँ, इस साल पेड़ों ने दिल खोल के सौगात दी है. परिचित परिवारों में सभी को बांट दिए हैं, धोबी, दूधवाले सभी को. बच्चे तो दिन भर पेड़ के नीचे से हटते ही नहीं हैं. कल सुबह माली ने अपने मित्र को पेड़ पर चढ़ा दिया और डालियों को हिलाकर वे जामुन नीचे गिराने लगे, कच्चे, पक्के, डालियाँ सभी कुछ,  उसने जाकर मना किया तब वह नीचे उतरा. उन्हें बस तीन महीने और यहाँ रहना है, फिर यह बाग़-बगीचे एक स्वप्न की तरह हो जायेंगे उनके लिए. जून ने वही से फ़ोन करके माली को  काम करने को कहा, उन्हें फ़िक्र है कि मेहमानों के आने से पूर्व बगीचा पूरी तरह से दर्शनीय हो. 


‘गुरु चरणन में दीन दुहाई’ आज सुबह नींद खुलने से पूर्व भीतर यह पंक्ति आयी, जाने कहाँ से आयी यह पंक्ति ! स्वयं को मधुर स्वर में गाते हुए सुना इस पंक्ति को. एक पुस्तक में किसी साधक के अनुभव पढ़े, जिसे भीतर से प्रेरणा हो रही थी कि जो कुछ भी मन में है, उसे बाहर ले आये. जो भी कामना, इच्छा अधूरी है उसे बाहर लाकर स्पष्ट देख ले, यह जन्म अंतिम जन्म है, ऐसा सोचकर कुछ भी ऐसा न रहे जिसके लिए उसे पुनः जन्म-मरण के फेर में आना पड़े. जब साधक खुद के भीतर ही उस शांति व समता को अनुभव कर लेता है, जो किसी भी स्थिति में खंडित नहीं होती तो सत्य को आँख में आँख डालकर देखने में कैसा भय ? उसने अपने भीतर देखा, स्वास्थ्य ठीक रहे यह प्रथम इच्छा है. संसार के किसी काम आ सके, कुछ कर सके समाज के लिए, यह दूसरी इच्छा है. परमात्मा के साथ एक होकर रहे, वाणी में स्थिरता हो, कभी किसी को दुःख न पहुँचे उसके व्यवहार से या वाणी से, ये तीसरी और चौथी इच्छाएं हैं. इतनी सारी इच्छाएं हैं भीतर, इसलिए कभी-कभी मन में हलचल होती है क्षण भर के लिए, पर सदा के लिए मुक्त होने का आनंद लेना हो तो इन सारी कामनाओं को परमात्मा के चरणों में समर्पित कर देना ही उचित है, और मन को सदा खाली रखना होगा.  


कालेज के उन दिनों में महादेवी वर्मा की कितनी ही कविताएं डायरी में उतारा करती थी. 


कैसे कहती हो सपना है 

अलि ! उस मूक मिलन की बात 

भरे हुए अब तक फूलों में 

मेरे आंसू उनके हास ! 


किस भांति कहूँ कैसे थे 

वे जग से परिचय के दिन 

मिश्री सा घुल जाता था 

मन छूते ही आंसू कण 


अपनेपन की छाया तब 

देखी न मुकुट मानस ने 

उसमें प्रतिबिम्बित सबके 

सुख-दुःख लगते थे अपने 


किसने अनजाने आकर 

वह चुरा लिया भोलापन 

उस विस्मृति के सपने से 

चौंकाया छूकर जीवन ! 


Thursday, November 26, 2020

जामुनी फल

 

वही कल का समय है. आज अफ़ग़ानिस्तान-वेस्टइंडीज के मध्य मैच चल रहा है. कल पाकिस्तान का मैच है जिसे विश्व कप फाइनल में पहुंचने के लिए बांग्लादेश को 350 रन से हराना होगा, जो एक असम्भव कार्य है. चीन का सस्ता सामान भारत में बिक रहा है जिससे यहां के व्यापारियों को नुकसान हो रहा है, इस मुद्दे को आज के तेनालीरामा में दिखाया जा रहा है, शायद यह समस्या उन दिनों भी रही हो. आज योग साधिकाओं ने शिव तांडव पर नृत्य किया. दिन भर की गर्मी के बाद उसी समय तेज बौछार भी पड़ने लगी, जैसे प्रकृति भी उनके आनंद में सम्मिलित होने आ गयी हो. एक साधिका का जन्मदिन था, वह मिष्ठान लेकर आयी थी, उसे वह लाल कोटा की साड़ी उपहार में दी, जो स्कूल से विदाई के समय उसे मिली थी. सभी को जामुन भी दिए, मीठे और जामुनी रंग के रसीले फल, जो इस वर्ष दोनों पेड़ों में बहुतायत से हुए हैं. जून को नैनी के घर से मछली की गंध ने कल रात्रि परेशान किया, नूना की सूंघने की क्षमता शायद घट गयी है या किसी दिव्य गंध की अनवरत उपस्थिति से उसे जरा भी असुविधा नहीं हुई. जीवन कितना रहस्यों से भरा है न ! सुबह परिवार के एक सदस्य के अवसाद के बारे में व्हाट्सएप पर एक सन्देश देखा, अवसाद से शरीर भी अस्वस्थ हो गया है. उससे फोन से बात की. अन्य सभी को बताने के लिए पारिवारिक ग्रुप पर भी लिख दिया, सभी ने उसके स्वास्थ्य की कामना की, फोन किया, जो मिलकर आ सकते थे, वे गए भी. ऐसे वक्त में ही परिवार के महत्व का पता चलता है, हृदय से निकले हुए सहानुभूति और अपनत्व के शब्द मन को हल्का कर देते हैं. जीवन में बहुत कुछ सहना पड़ा है उसे, किसी को भी सहना पड़ सकता है, फिर भी परमात्मा पर अटूट विश्वास सारे दुखों से पार ले जा सकता है. छोटे भाई के गॉल ब्लैडर के ऑपरेशन का भी पता चला. एक दिन दफ्तर में उसे तेज दर्द हुआ, स्टोन काफी दिनों से था.  


आज नई सरकार का पहला बजट पहली बार महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रस्तुत किया. विपक्ष उसका विरोध कर रहा है, उन्हें सदा की तरह सरकार से कई मुद्दों पर शिकायत है. सुबह एक परिचिता के यहाँ गयी, जहां गुरु ग्रन्थ साहिब का अखंड पाठ  चल रहा था, पूरे अड़तालीस घण्टे चलने वाला था. बताया गया, पाँच पाठी होते हैं और हर कोई दो घण्टे तक पाठ करता है. यदि मध्य में किसी को कोई परेशानी होती है तो अन्य पाठी उसकी जगह दस मिनट के लिए पाठ करता है. 


आज का इतवार भी बीत गया, अब गिने-चुने इतवार रह गए हैं उनके पास असम में. शाम को छोटी ननद से बात हुई, ननदोई का तबादला भदोही हो गया है, ट्रेन से अप डाउन करेंगे. नन्हे का जन्मदिन आने वाला है, उसके लिए लड्डू बनाये और चिवड़ा-मूंगफली जो उसे बहुत पसन्द है, उसी दिन जून बंगलूरू जा रहे हैं.  शाम को उन्हें एक विवाह के रिसेप्शन में जाना है. लौटने में दस भी बज सकते हैं. कल वह कुछ सखियों को घर पर बुला रही है, जिनके साथ इतने वर्षों तक कितने ही आयोजनों में भाग लिया. आज दोपहर को कल की लन्च पार्टी के लिए कोफ्ते बनाये और बड़े भी. शाम को जून ने सांगरी की सब्जी बनाई. कल वे कुछ गेम्स भी खेलने वाले हैं. भारत सेमी फाइनल हार गया. अब विश्वकप के लिए चार वर्षों का इंतजार करना होगा. आज बहुत दिनों के बाद कश्मीर पर एक कार्यक्रम देखा, गाँवों की तरक्की के लिए सरकार पंचायतों को सीधी मदद दे रही है. वहां के युवा भी सेना और पुलिस में भर्ती होने के लिये आगे आ रहे हैं. धरती का स्वर्ग कहा खजाने वाला यह भूभाग पुनः शांति और समृद्धि का समय देखे हर भारतीय की यही कामना है. पाकिस्तान को एक न एक दिन इस सत्य को स्वीकारना होगा कि भारत से मित्रता करके ही उसका लाभ है. नन्हे के जन्मदिन पर लिखी कविता की पिताजी ने तारीफ की और बहुत सुंदर शब्दों में प्रतिक्रिया लिखी. उनकी भाषा बहुत अच्छी है और भावनाओं की गहरी समझ भी है, आत्मा की झलक जिसे मिली हो वह गहराई तक महसूस भी कर सकता है और व्यक्त भी कर सकता है. 


कालेज के उन दिनों में जब महादेवी वर्मा की ‘प्रतीक्षा’ पढ़ी थी, उसकी कुछ पंक्तियाँ भा गयीं- 


जब इन फूलों पर मधु की 

पहली बूँदें बिखरी थीं 

आँखें पंकज की देखीं 

रवि ने मनुहार भरी सीं

.....


वे कहते हैं उनको मैं

अपनी पुतली में देखूं 

यह कौन बता जाएगा 

किसमें पुतली को देखूँ ?


Tuesday, November 24, 2020

पका हुआ कटहल

 

आज इस मौसम की अधिकतम गर्मी है ऐसा लग रहा है. योग कक्ष में दो पंखे चलाए और एसी भी. कल से आधा घन्टा देर से आने को कह दिया है. तीन नई साधिकाओं ने आना आरंभ किया है. सुबह वह मृणाल ज्योति गयी, पहले बच्चों को फिर टीचर्स वर्कशॉप में बड़ों को योग कराया. कल भी जाना है, कल वह उन्हें अस्तित्त्व के सात स्तरों के बारे में बता सकती है. देह, प्राण, मन, बुद्धि, स्मृति, अहंकार और आत्मा ! मानव को स्वयं के आत्मा होने की स्मृति नहीं रहती, कभी देह मानकर सुखी-दुखी होते हैं, कभी प्राण मानकर भूख-प्यास से पीड़ित होते हैं तो कभी मन के साथ एकात्म होकर शोक और मोह का शिकार होते हैं. अपनी मान्यताओं के कारण अन्यों को नीचा देखते हैं. अहंकार का शिकार होकर स्वयं को संसार से पृथक मानते हैं. आत्मा निर्विकार है, वह कभी बदलती नहीं है. यदि कोई व्यक्ति अपनी किसी समस्या से परेशान होता है तो वह उसका हल नहीं ढूंढ पाता, अन्य व्यक्ति झट उसका हल बता देता है, जबकि यदि वही समस्या उसके साथ  घटी हो तो वह परेशान हो जाता है, स्वयं को उसका हल नहीं बता पाता. इसका कारण है स्वयं से चिपकाव, उन्हें अपने तन, मन को एक साधन मानकर उसका उपयोग करना है, तब वे मित्र बनेंगे. वे स्वयं को जानें कि किस तत्व के बने हैं. प्रेम, उत्साह, आनंद, शक्ति व ज्ञान आत्मा का स्वभाव है. ध्यान और योग से वे एक अपने भीतर एक ऐसी स्थिति का अनुभव करते हैं जो सहज है. उसी सहज अवस्था में आकर वे जीवन के सहज आनंद का अनुभव कर सकते हैं और उनके माध्यम से चारों ओर भी आनंद का प्रसार होता है. एक परिचिता का फोन आया, उसकी सासु माँ अस्पताल में हैं, शाम को वे देखने गए, उसने उनके लिए प्रार्थना करने को कहा. कितनी सुंदर थी उसकी सास पर मृत्यु, रोग और जरा ने सब बदल दिया. परिवर्तन इस जगत का नियम है.   


रात्रि के आठ बजे हैं, तेनाली रामा में पिछले कुछ दिनों से रानियाँ केवल महिलाओं की सहायता से  राजकाज चला रही थीं, पर आज रामा अपनी सूझबूझ से पुरुषों को भी दरबार में जगह दिलाता है. सृष्टि का नियम यही है, यहां दो पहियों के बिना गाड़ी आगे नहीं बढ़ती. एक में ही जो दो को देख लेता है वह द्वंद्व से मुक्त हो जाता है, जगत में व्यवहार करते समय ही उसे दो का सहारा लेना पड़ता है. आज दोपहर नैनी से पका कटहल कटवाया, बहुत मीठा है, जून को इसकी गन्ध पसन्द नहीं है. सुबह भ्रमण से वापस आकर इस मौसम में पहली बार हरी घास पर गिरे हुए जामुन उठाये  ताजे और मीठे... नन्हे का फोन आया दोपहर को, उसे जन्मदिन की कविता के बारे में बताया, जो सुबह अनायास ही लिखी गयी. कभी कोई भाव इतना तीव्र होता है कि अपने आप ही शब्दों में पिरो लेता है स्वयं को. श्रद्धा सुमन में बाल्मीकि रामायण का अगला अंश लिखा, गुह भरत से कहते हैं, इस वन को तुम घर के बगीचे जैसा ही समझो, अर्थात कोई संकोच न करो. जबकि कुछ देर पूर्व ही वह उस पर सन्देह भी कर रहा था. मानव मन ऐसा ही है पल में टोला पल में माशा ! आज सुबह वर्षा का एक वीडियो भी बनाया.  


और उस पुरानी डायरी की बात... उस दिन के पन्ने पर लिखी सूक्ति थी, बुढ़ापे की झुर्रियां आत्मा पर न पड़ने दो.  पिताजी ने कहा, बुढ़ापे की झुर्रियां शरीर पर भी मत पड़ने दो !  उन्होंने उस दिन उससे उसके स्वास्थ्य तथा आहार के बारे में बातचीत की. वह कह रहे थे कि वह नौकरी में गुलाम हो गये हैं, वह थक गए हैं, पर पापा, रिटायरमेंट के बाद आप काम की तलाश करेंगे, बिना कुछ किये आप रह ही नहीं सकते, इतवार काटना तो मुश्किल होता है आपके लिए. 

उसे पढ़कर आश्चर्य हुआ, क्या कभी ऐसी बात भी हुई थी !   


Tuesday, November 17, 2020

शिव सूत्र

 

नैनी का बेटा आज जामुन के वृक्ष पर लकड़ी फेंक कर जामुन गिराने का प्रयास कर रहा था, इसका अर्थ है कुछ ही दिनों में जामुन पकने और स्वयं गिरने आरंभ हो जाएंगे। जून कुछ  समय पहले पैदल ही क्लब चले गए हैं। एक्सेंच्योर कंपनी का एक प्रेजेंटेशन है जो कंपनी को डिजिटल करने की दिशा में सहायता करने वाली है। वर्षा होने लगी है, वापसी में उन्हें किसी से लिफ्ट लेनी होगी। अब लगभग दो माह और रह गए हैं उनके कार्यकाल में। आज से छत्तीस वर्ष पूर्व वे उत्तर प्रदेश से असम आए थे, और जीवन का अगला पड़ाव कर्नाटक में बनेगा। आज प्रधानमंत्री ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जवाब दिया, विरोधी पार्टियां उनकी बातों को समझने में ज्यादा रुचि नहीं दिखाती हैं, ऐसा लगता है मात्र विरोध करना ही उनका ध्येय है।अमित शाह  कश्मीर गए हैं, वहाँ अमरनाथ यात्रा शुरू होने वाली है। हज यात्रा में भी इस वर्ष काफी यात्री जाएंगे, महिलाएं भी काफी संख्या में अकेले जा रही हैं।  योग कक्षा  में एक साधिका ने कहा, उसका दस वर्षीय पुत्र बहुत चंचल है और उसकी बात नहीं सुनता। उसने कहा, बच्चे हों या बड़े, कोई भी जन आदेश लेना नहीं चाहते, देह छोटी हो पर आत्मा तो सबके भीतर समान है, उसे भी अपनी स्वतंत्रता और आत्मसम्मान उतना ही प्रिय है जितना किसी वयस्क को। उससे अनुरोध तो किया जा सकता है पर माने या न माने इसका फैसला उस पर ही छोड़ना होगा। माता-पिता को उसे यह तो बताना  होगा कि क्या करने से उसका लाभ है और किस काम से उसे ही हानि होगी, बाकी उसकी बुद्धि पर छोड़ देना चाहिए। वह यह सब बताती रही पर याद ही नहीं रहा, कि  जून को जाना है। उन्होंने शिकायत की तो उसने कहा, एक माँ को समझा रही थी। वह उस समय तो चुप हो गए पर अवश्य नाराजगी भीतर ही रह गई होगी। ऊर्जा एक बार कोई रूप धारण कर लेती है तो जब तक उसे निष्कासन का मार्ग न मिले नष्ट नहीं होती। साक्षी भाव से उसे देखना पहला तरीका है और झट स्वयं में लौट जाना दूसरा।  

 

आज सुबह तेज बारिश हो रही थी, वे बरामदे में ही टहलते रहे, फिर वहीं चटाई बिछाकर सूर्य नमस्कार व आसन किए। सुबह का योग दिन भर मन को  ऊर्जा से ताजा रखता है। एक अनुपम गंध जाने कहाँ से आ रही है, परमात्मा की शक्ति व कृपा अपार है व उसका रहस्य कोई नहीं जान सकता। परमात्मा ने उसे साम, दाम, दंड, भेद हर तरह से समझाया है कि वह हर तरह की आसक्ति का त्याग कर दे।  छोटी बहन कनाडा में है, सुंदर तस्वीर भेजी है। दीदी ने उसकी रचनाओं पर टिप्पणी की है, वह सदा उन्हें पढ़ती हैं। आज ‘शिव सूत्र’ पढ़े। मातृका के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा। संस्कृत के बावन अक्षर ही बावन शक्ति पीठ हैं। अघोरा , घोरा और महाघोरा  तथा बैखरी, मध्यमा, पश्यन्ति और परा वाणी के संबंध में भी। ज्ञात हुआ साधना के द्वारा उन्हें शब्दों के पार जाकर उस स्रोत तक पहुंचना है जहाँ से शब्द निकलते हैं। उस योग साधिका ने आकर कहा, उसे एक ही दिन में अपने पुत्र में परिवर्तन दिखाई दिया है, उसका खुद का हाथ का दर्द भी आसन करने से ठीक हो गया है। योग का ऐसा परिणाम देखकर बाकी सबको भी अच्छा लगता है। 

 

आज दोपहर को तेज गर्मी के बावजूद बच्चों ने पूरे मन से सुंदर चित्र बनाए। क्रिकेट विश्व कप में भारत का मैच इंग्लैंड के साथ है, जो बहुत अच्छा खेल रहा है। भारत अब तक एक भी मैच नहीं हारा है, कहीं उसकी यह विजय यात्रा थम न जाए। आज चार  महीनों के बाद मोदी जी का सम्बोधन ‘मन की बात’ में सुना, जिसमें वह सभी देशवासियों को प्रेरित करते हैं, आज जल संरक्षण पर बात की, अपनी केदारनाथ यात्रा का जिक्र किया और भी कई मुद्दों पर बात की, पर सबसे अच्छी बात थी, उनकी भावनाएं इतनी पवित्र हैं और वह एक राजनीतिज्ञ से अधिक एक लेखक, कवि या दार्शनिक लगते हैं, वह सुधारक भी हैं और प्रेरक भी। उन्हें पत्र लिखकर यह सब बताने का मन हुआ, आज कई बार उनकी बातें सुनकर हृदय छलक आया। उनके हृदय में इतनी करुणा और इतना विश्वास है कि भारत जैसे विशाल देश के सुदूर गावों में रहने वाले लोग भी उनसे एक जुड़ाव महसूस करते हैं। सुबह सभी परिवार जनों से भी फोन पर साप्ताहिक  बातचीत हुई। छोटी भतीजी एओल का बेसिक कोर्स कर रही है, वह घर से बहुत दूर जॉब करने जाती है, भाई को उसकी सुरक्षा की चिंता के कारण कुछ तनाव तो होता होगा । माँ-पिता दोनों का ही रोल उन्हें निभाना है । सुबह अमलतास की कुछ और तस्वीरें उतारीं।   

 

वर्षों पूर्व..  उस दिन लिखा था, जीवन क्या है ? क्या मात्र सुख या आनंद का स्रोत ! क्या  सुख प्राप्त करने का प्रयत्न  ही जीवन का मात्र लक्ष्य है ? क्या खुश रहना ही अपने आप में एक महत कार्य है ? क्या भविष्य की योजनाएं बनाना और कठिन परिश्रम करके उन्हें सफल करने का प्रयत्न करना महत्वपूर्ण है या कि .. शायद महत्व इस बात का है कि  किसी का जीवन दूसरों की कुछ भलाई कर सकता है या नहीं । फिर यदि वे सुंदर भविष्य के लिए कुछ करते हैं तो वह उचित ही है। किन्तु वह जो अपना बहुमूल्य समय व्यर्थ कर रही है इसके लिए उसे  ग्लानि भी नहीं होती, होती भी है तो न के बराबर। यद्यपि वह अच्छी तरह जानती है कि  उसका कर्तव्य क्या है, पर भीतर ही कोई भावना है जो कहती है, बस प्रसन्न रहो ! उसके आसपास के लोगों में कोई नहीं कहता कि  यह ठीक नहीं, या  ठीक है पर यह सब कुछ नहीं, यदि वह अपने आपको चमकाएगी नहीं, पॉलिश नहीं करेगी, ज्ञान प्राप्त  नहीं करेगी, जो पढ़ा है उसे दोहराएगी नहीं तो कुंद हो जाएगी पत्थर की तरह। तब कोई महत्व नहीं होगा, सब एक तरफ कर देंगे, छाँट देंगे या वह पीछे रह जाएगी। जीवन काम है सँवारने का,  पॉलिश करने का टेढ़े-मेढ़े पत्थर को सुडौल बनाने का ! 

 


Thursday, November 5, 2020

चोर और चोरी


आज जून वापस आ गए हैं, हैदराबाद के प्रसिद्ध बिस्किट का एक डिब्बा लाए हैं। तेनाली राम में राज्य के क्रोध ने सब मर्यादाएं तोड़ दी हैं। कहा भी जाता है, क्रोध क्षणिक पागलपन ही होता है, जो व्यक्ति को उसकी स्मृति ही भुला देता है, उसे याद ही नहीं रहता वह कौन है, कहाँ है, किससे बात कर रहा है ? आज योग दिवस के लिए उसने एक इ-कार्ड बनवाया है जून ने बना दिया है।इसी के लिए एक बैनर बनाने का काम सेक्रेटरी कर रही है । योग कक्ष में एक साधिका मिल्क मेड से बना केक लायी। उसने बताया, कुछ दिन पूर्व  घर में चोरी हो गई थी, वे लोग क्लब गए थे, रात को बारह बजे लौटे तो आलमारी खुली थी, लगभग छह -सात हजार रुपये गायब थे, पर सोना, वस्त्र आदि सब वैसे ही रखे थे। चोर पिछले दरवाजे से आया, जाली काटकर हाथ डालकर उसने दरवाजा खोल लिया, उस पर ताल नहीं था, आगे कुछ भी बंद ही नहीं था, वह आराम से कमरे में जाकर ,अलमारी भी खोल पाया क्योंकि चाबी भी उसी में लगी हुई थी। चोरी नहीं होगी यह मानकर वे कितने लापरवाह हो जाते हैं। एक तरह से यह चोर उन्हें सुरक्षा का पाठ भी पढ़ा गया। वे भी जीवन में इसी तरह जीते चले जाते हैं मानो कभी कुछ गलत उनके साथ हो ही नहीं सकता और मनमाना जीवन जीते हैं। मन पर सजगता का ताला न लगा हो तो जीवन एक बिना पतवार की नाव की तरह इधर-उधर डोलता रहता है। दो धाराओं को जो एक-दूसरे के विपरीत चलना चाहती हैं, उन्हें बांधकर एक ही तरफ ले जाना है, उनका लक्ष्य सम्मुख हो तो जागरूकता बनी रहेगी, बीच-बीच में आने वाली विपदाएं उन्हें और सजग बनायेंगी।


आज का पूरा दिन महिला क्लब के नाम था। शाम को साढ़े पाँच बजे क्लब जाना था और रात को आने में दस बज गए। कार्यक्रम अच्छा रहा, फैशन परेड भी। कविताएं भी सभी को अच्छी लगीं, जो तीन सदस्याओं की विदाई के अवसर पर दोपहर को लिखी थीं। नैनी दो  हफ्ते के लिए परिवार सहित गाँव गई है, कामरूप से कोलकाता, वहाँ से आंध्र प्रदेश, चार दिन में पहुंचेंगे वे लोग। उसकी जगह मालिन काम करने आएगी। धोबी ने, जो उनके यहाँ पिछले तीन दशक से काम कर रहा है, बताया, उसके पिता को सन अठहत्तर में कंपनी से धोबी घाट पर काम करने की मंजूरी मिली थी , तभी से वे कागज उसने संभाल कर रखे हैं, अब वह वृद्ध हो गया है, सब काम अपने पुत्र को सौंप कर अपना कर्त्तव्य पूरा करेगा। 


आज ‘योग दिवस’ है, सुबह वे सामूहिक योग कार्यक्रम में भाग लेने गए। बाद में वह मृणाल ज्योति गई। अगले महीने दो दिन की टीचर्स वर्कशॉप है, उसे भी योगदान देना है।  सुबह ‘क्रिया’ के बाद ऐप में  गुरुजी का संदेश पढ़ा, उनके भीतर एक गीत है, जिसे उन्हें ही गाना है, और उसे गाने के बाद ही उन्हें चैन  मिलेगा। शायद उसी का असर था, स्नान करते समय स्वत: ही भीतर पंक्तियाँ उभरीं और उन्हें पहले ही प्रयास में बिना लिखे वीडियो बनाया, व्हाट्सएप पर डाला। एक साधिका ने फ़ेसबुक पर डाल दिया है। शाम के कार्यक्रम की तैयारी हो चुकी है। एओल की एक योग शिक्षिका भी आने वाली हैं। 


पौने नौ बजे हैं रात्रि के, अभी अभी नन्हे से बात हुई, वे लोग उनके भविष्य के घर से लौट रहे थे, वहाँ अभी भी कुछ कार्य शेष है। शाम को एक सखी के यहां गई, अगले महीने वे सब कहीं घूमने जाएं ऐसा कार्यक्रम बनाया। उसके वृद्ध  पिताजी काफी अस्वस्थ हैं, एक रात से ज्यादा वे लोग उन्हें  छोड़कर रह नहीं सकते। सुबह बंगाली सखी के यहाँ गई थी, उसने अच्छी तरह स्वागत किया बिल्कुल पहले की तरह। बगीचे से एक अनानास मिला, एक तो गिलहरी ने काट लिया, आधा ही शेष था। आज मूसलाधार वर्षा हुई, इतनी तेज कि  सामने वाला पूरा बरामदा भी पानी से भर गया। मानसून देश के कई राज्यों तक पहुँच चुका है। एक ब्लॉग के वार्षिक उत्सव में उसकी रचना को चुना गया है, कई लोगों ने पढ़ी। एक सीनियर ब्लॉगर उसकी तस्वीरें भी पसंद करती हैं फ़ेसबुक पर। लेखक के लिए एक सुहृद पाठक से मिलना सुखद होता है। लाइब्रेरी से दो किताबें लीं, एक रॉबिन शर्मा की दूसरी नेल्सन मंडेला की आत्मकथा, जो बहुत  रोचक है;  उनका बचपन  अफ्रीका के एक गाँव में बीता था बिल्कुल प्रकृति के निकट।  


.. बरसों पुरानी डायरी के के पन्ने पर पढ़ा -


किसी सूनी शाम को 

हथेलियों पर ठोड़ी टिकाये 

लिखने वाली मेज पर बैठे 

कोई बात फड़फड़ायी होगी तुम्हारे मन में 

लिखो फिर काट दो 

तकते रहो  निरुद्देश्य दीवार को 

अपनी आवाज को 

सुनने का प्रयत्न करो 


Thursday, October 29, 2020

नीला आकाश



आज मौसम काफी गरम है, पसीना सूखने का नाम ही नहीं ले रहा था दोपहर को, पर एसी चलाकर बैठे, एक बार भी ऐसा नहीं लगा, शायद इसे ही साक्षी भावमें टिकना कहते हैं। शाम को योग कक्षा में एसी में से काली चीटियाँ बरसने लगीं, गर्मी से बचने के लिए संभवत: वे वहाँ आयी होंगी। बाहर बरामदे में कार्पेट बिछाकर सबने साधना की. पश्चिम बंगाल में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। एक आतंकवादी हमले में कश्मीर में सीआर पी एफ के जवान मारे गए हैं। ‘’जीन  पर लिखी किताब अब कठिन होती जा रही है,  सोचा है फिर भी पूरा पढ़ेगी।  कितने वैज्ञानिकों की मेहनत का फल होती है एक खोज। जून ने रिटायरमेंट से पहले होने वाली तैयारी आरंभ कर दी है। 

 

आज भी गर्मी बहुत थी, शाम को अचानक वर्षा होने लगी, पर बूँदाबाँदी तक ही सीमित रही। आजकल लगभग रोज ही ऐसा होता है। योग कक्षा में एक साधिका पुदीने की शिकंजी बनाकर लाई, जो वे योग दिवस पर सबको पिलाने वाले हैं। आज उनकी कार बंगलूरू के लिए रवाना हो गई। उनसे पहले वही पहुँच जाएगी। एक मित्र परिवार को भोजन पर बुलाया था, वह  सेवा निवृत्त हो चुके हैं। उनके दातों का इलाज चल रहा है, खिचड़ी बनाने को कहा था उन्होंने स्वयं ही। हींग वाले आलू, बेक की हुई सब्जियां और घी के साथ खिचड़ी जब उन्होंने खाई तो बार-बार कह रहे थे, उनके लायक भोजन बना है, खाने में जरा भी दिक्कत नहीं हुई। इस माह के अंत तक वे लोग चले जाएंगे। शाम को क्लब में रिहर्सल थी, अभी दो दिन और होगी, तीन दिन बाद कार्यक्रम है। फैशन परेड के लिए रैम्प पर चलना इतना भी कठिन नहीं होना चाहिए। 


आज सुबह जून टूर पर गए हैं, परसों आ जाएंगे। सुबह दक्षिण भारतीय नाश्ता बनाया था। योग कक्षा  में बच्चों को योग प्रोटोकाल के अनुसार योग कराया, बाद में योग पर एक प्रश्नोत्तरी और योग दिवस पर उन्हें एक चित्र बनाने को भी दिया। शाम को बगीचे में बैठकर ध्यान कर रही थी कि  पूनम का चाँद दिखा, तस्वीरें लीं, चाँद को देखकर सदा ही मन में उमंग की एक लहर दौड़ जाती है, ग्रहों का कितना प्रभाव पड़ता है जीवन पर। बचपन में आकाश के नीचे लेटकर वे बादलों को देखा करते थे, मन भी जैसे आकाश जितना फैल  जाता था। आज पहली बार यू जी कृष्णामूर्ति को सुना। गुरुजी को भी सुना, नींद और भोजन ऊर्जा को बढ़ाने वाले हों न कि सुस्त बनाने वाले, ऐसा उन्होंने कहा। 


आज का दिन कैसे बीत गया पता ही नहीं चला। सुबह उठने में थोड़ी देर हुई। प्रात: भ्रमण से लौटी तो रोज गार्डन के सामने फूलों की चादर बिछी थी। पीले फूलों से गेट  से सड़क तक जैसे कालीन बिछ गया था। वापस लौटकर तस्वीरें उतारीं, एक वीडियो भी बनाया। स्कूल जाना था, बच्चों को संगीत के साथ योग कराया, प्रिंसिपल ने कहा, योग दिवस टीचर्स के साथ ही मनाएंगे। वापस आकर कुछ देर कंप्यूटर पर बैठी। दोपहर बाद मृणाल ज्योति, लौटकर, शाम की योग कक्षा फिर क्लब, वापस आकर कुछ देर ध्यान किया फिर रात्रि भोजन।  


और सुदूर अतीत में .. उस दिन के पन्ने पर विनोबा भावे की सूक्ति थी, “दूसरों को प्रेम करने से प्रेम मिलता है।” उसने लिखा.. और वह दुनिया से प्रेम करती है, सारी दुनिया से और ईश्वर से.. और उसके प्रिय जनों से भी। उस दिन एक और पेपर हो गया, कैसा हुआ यदि कोई पूछे तो कहना पड़ता, बुरा, फिर उसने स्वयं को सुधारा, इस दुनिया में ‘बुरा’ शब्द के अलावा कुछ भी बुरा नहीं है, उसे इस शब्द का प्रयोग कभी नहीं भाया। यदि कुछ पसंद न आए तो वह ‘अच्छा नहीं है’ ही  कहती थी। उसने सोचा पचास प्रतिशत अंक तो मिल ही जाएंगे, कुछ न से तो कुछ होना ही अच्छा है। अब चार दिन के बाद केवल एक ही पेपर शेष था। कालेज से लौटते समय जिस व्यक्ति ने उसे सीट दी, बुजुर्ग था,पढ़ा-लिखा था । शहर में आप किस मोहल्ले को बिलॉंग करती हैं ? यही प्रश्न था जो शायद वह पूछ रहा था, बस के शोर में उसे कुछ सुनाई नहीं दिया बाद में जोड़ने पर यह समझ में आया पर वह चुप बैठी रही। 


Tuesday, October 20, 2020

कोयल की कूक

 

शाम को बिजली चली गयी और एक लगभग पौन घण्टा वे मोमबत्ती के प्रकाश में बैठे रहे. एक मित्र परिवार आया था, उन्हें घर से लायी मिठाई खिलाई. चाय बनाना थोड़ा मुश्किल था अँधेरे में, रियल जूस पिलाया. बाद में एक जगह जाना था, विदाई भोज के लिए. कचौड़ी-पूरी, छोले, दही-बड़े यानि बहुत ही गरिष्ठ भोजन. दस बजे से थोड़ा पहले ही लौट आये. छोटे भाई ने फ़िल्मी गीतों का एक संग्रह पेन ड्राइव में दिया था, कुछ देर सुनती रही, बचपन में सुने थे उनमें से कितने ही गीत. दोपहर का लन्च अकेले ही खाया, जून के दफ्तर में प्रमोशन की ख़ुशी में पार्टी थी.  छोटी बहन कनाडा गयी है अपनी पुत्रियों से मिलने. वीडियो कॉल करके दिखाया बेहद खूबसूरत जगह है कनाडा. 

सुबह उठे तो झमाझम वर्षा हो रही थी, उसने सोचा जब तक वे पानी पीकर व नित्य क्रिया के बाद तैयार होते हैं तब तक रुक जाएगी, और ऐसा ही हुआ. यदि किसी कार्य को शिद्दत से कोई करना चाहता है तो प्रकृति पूरा साथ देती है. कितनी ही बार ऐसा हुआ है जब वे लौट कर घर आ गए हैं, तभी वर्षा आरम्भ होती है. अमलतास के पेड़ फूलों से लदे थे, उसने कुछ तस्वीरें भी उतारीं. दोपहर को बच्चों के साथ स्वच्छता अभियान में भाग लिया. बच्चे इतने उत्साह और ऊर्जा से भरे होते हैं, उनमें अहंकार जरा भी नहीं होता.  जून तिनसुकिया गए और ढेर सारे मौसमी फल लाये. फेसबुक पर स्वतःस्फूर्त एक कविता प्रकाशित की, काफी लोगों ने पढ़ी. भारत-ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट विश्वकप का मैच चल रहा है. भारत ने अच्छा स्कोर खड़ा किया है. अगले महीने छोटी ननद के आने की सम्भावना है, यदि उनके कालेज में पढ़ रहे पुत्र का परीक्षा परिणाम ठीक रहा, उसके कालेज में हड़ताल हो गयी थी, जिन छात्रों ने उसमें भाग लिया उन्हें डर है कि परिणाम उनके अनुकूल नहीं होगा. यहाँ से विदा होने के पहले एक बार असम की यात्रा करने का उनके लिए सुअवसर है. 


समाचारों में सुना, बारह भ्रष्ट आई टी अधिकारियों को  सरकार ने शीघ्र सेवा निवृत्त कर दिया है. पश्चिम बंगाल में हिंसा के विरुद्ध बीजेपी ने काला दिवस मनाया. कल के मैच में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को हरा दिया. ननद का फोन आया, वे लोग अभी नहीं आ रहे हैं, जैसी आशंका थी, भांजे को तीन विषयों की परीक्षा दुबारा देनी होगी. वे परीक्षा के बाद आएंगे. शाम को क्लब की कमेटी मीटिंग थी, कार्यक्रम तय हुआ, फैशन शो भी होगा, उसे भी भाग लेने को कहा गया है, यह उनके जाने से पूर्व का अंतिम कार्यक्रम होगा सो उसने हामी भर दी. इसी माह उन्हें क्लब में विश्व योग दिवस का आयोजन भी करना है. आज बहुत अल्प तेल में स्क्वैश की सब्जी बनायी, विशेष स्वाद आया. दोपहर को ब्लॉग पर लिखा, मृणालज्योति के उस अध्यापक की बात लिखी जिसे स्वतः देह त्यागे पौने दो वर्ष हो गये हैं, कौन जाने अब वह किस रूप में कहाँ होगा. सुबह स्कूल गयी, तो प्रिंसिपल ने कहा हो सके तो जाने से पूर्व स्कूल के लिए पुराना फर्नीचर देकर जाये.  टीवी पर लोभ से मुक्ति के लिए रामा का प्रयत्न दिखाया जा रहा है. वहाँ की जनता को भय दिखाकर लोभ से मुक्त करता है. लोभ मानव को अंधा कर देता है. राजा कृष्णदेव राय धन के लालच में एक वृद्धा से विवाह करने को तैयार हो जाते हैं. 


उस दिन... वह बहुत खुश थी, केवल दो पेपर शेष रह गए थे. उसके कमरे की खिड़की से लॉन दिखता था.आम के पेड़ पर कोयल कूक रही थी, जिसे और कोई काम नहीं बस उड़ते रहो और थक जाओ तो बैठ कर कूकने लगो. उस दिन वह आम के पेड़ से एक कच्ची अम्बी तोड़कर लायी थी. वह उम्र ऐसी थी जब इंसान सपनों को ही सत्य मान लेता है, और मन को ही संसार जान लेता है. लेकिन स्वप्न क्या कभी पूरे होते हैं और मन का अकेलापन भी दूर नहीं होता. जगत तो दूसरों के दुःख में दुखी होने का नाटक ही करता है, पर मन यह वास्तविकता समझ कर भी समझना नहीं चाहता. आत्मा का सत्य या मन का सत्य तो किसी-किसी पल में मुखर होता है. प्रकृति ही इस सत्य को जानती है फिर जगत की बेरुखी से परेशान होना व्यर्थ है. यहाँ हर सुख भी तो उतना ही क्षणिक है, केवल मन की गहराई में छिपा विश्वास ही अटल है जो आगे बढ़ने को प्रेरित करता है.


Sunday, October 4, 2020

जीन का इतिहास

 

आज ईद का अवकाश है. वे नाश्ते की मेज पर बैठे थे कि एक सखी का फोन आया, भूटान के बारे में जानकारी लेने के लिए, संयोग की बात है कि पिछले वर्ष आज ही के दिन वे भूटान गए थे. कितनी ही स्मृतियाँ लौट आयीं. जीवन की तरह यात्रा में भी हर तरह की बातें होती हैं, कुछ सुखद और कुछ दुखद भी.  एक ऐसी बात भी याद आयी जिसे अपने संस्कारों के कारण उसने शिकायत की थी. मन की प्रतिक्रिया से एक रचना का जन्म हुआ. इस जगत में सभी अपने-अपने संस्कार से बंधे हैं. जब तक वे मन से ऊपर उठकर जीना नहीं सीख जाते दुःख से छुटकारा नहीं है, अथवा तो उन्हें जीवन के वास्तविक दुखों का सामना नहीं करना पड़ा है सो काल्पनिक दुखों का निर्माण कर लेते हैं. जून भी वृक्षारोपण के कार्यक्रम में गए थे, पेड़ लगाने के बाद एक सुंदर रेशमी गमछा पहनाया गया उन्हें. हजारों बल्कि लाखों की संख्या में वृक्ष लगाए गए होंगे इस अवसर पर पूरे देश और विश्व में.शाम को योग कक्षा में एक साधिका ने वृक्षों को समर्पित एक व्यक्ति के अद्भुत कार्यों की बात बताई. उन्होंने भजन गाये और प्रसाद वितरण किया, सभी कुछ न कुछ लेकर आयी थीं.  समाचारों में सुना इस वर्ष के अंत तक जम्मू-कश्मीर व लेह में चुनाव कराये जायेंगे.   


सुबह के ध्यान में भगवान राम, सीता व लक्ष्मण के सुंदर विग्रहों का दर्शन हुआ, अद्भुत था वह दर्शन, मणि-माणिक से सजे सुंदर रंगीन चित्र के समान पल भर के लिए आये और विलीन हो गए . मन की गहराई में कितने खजाने छुपे हैं, जिनका उन्हें खुद ही भान नहीं है. इस समय टीवी पर तेनाली रामा आ रहा है, मानव के छह रिपु काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद व मत्सर राजा कृष्णदेवराय को पराजित करने के लिए तत्पर हैं. अब देखना है कि इस युद्ध में रामा कैसे राजा को बचाता है. जेनेटिक्स पर सिद्धार्थ मुखर्जी की लिखी किताब आगे पढ़ी, द जीन- एन इंटिमेट हिस्ट्री. बहुत रोचक ढंग से लिखी गयी है, जीन का विज्ञान भी बहुत पुराना है और इसमें नित नए अविष्कार हो रहे हैं. सौ वर्षों पूर्व कितना अन्धविश्वास था समाज में, इसकी जानकारी भी मिल रही है. विज्ञान ने या कहें समय ने मानव को ज्यादा संवेदनशील बनाया है. बहुत दिनों बाद फेसबुक पर नजर दौड़ाई, बड़ी भांजी का स्टेटस देखा तो उदासी की खबर दे रहा था, उससे व्हाट्सएप पर बात की. हमारे कर्मठ प्रधानमंत्री मालदीव और श्रीलंका की यात्रा पर गए हैं. वायुसेना का एक विमान ए एन 32 पिछले तीन दिनों से लापता है, उसमें 13 यात्री थे, उसने मन ही मन उनके सकुशल रहने की प्रार्थना की. 


आज शाम को अचानक तेज हवा चलने लगी, आकाश काला हो गया और देखते ही देखते मूसलाधार वर्षा होने लगी, पर एक घंटे बाद सब थम गया. प्रकृति की लीला को कौन समझ सकता है. आज ‘श्रद्धा सुम’न ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद लिखा. काव्यालय पर भवानी प्रसाद मिश्र की एक और कविता आयी है, उन्होंने मृत्यु का स्वागत सहजता से किया. आज सुबह ध्यान में एक दुबला -पतला बच्चा दिखा, मन भी विचित्रता से भरा है. कल रात स्वप्न में नन्हे को देखा, वह चाइना से असम आ गया है. 


और अब अतीत के पन्नों से - उस दिन की सूक्ति में लिखा था, गरीब लोग प्रेम और सहानुभूति के भूखे होते हैं. यह  पढ़कर ही सम्भवतः उसने लिखा था, यदि कोई जानता होगा तो उस दिन फिर एक दिव्य संदेश उसे प्राप्त होगा. जिस प्रकाश से आवृत होने की बात कुछ दिन पूर्व  लिखी थी, प्रकाश का वह पुंज छितरा गया था जब अगले दिन का पेपर अच्छा नहीं हुआ, किन्तु उसकी आवश्यकता तो सदा ही रहती है. आज इस क्षण से वह पुंज उसका मार्गदर्शक हो ऐसी प्रार्थना ईश्वर से करती है, उस ईश्वर से जिसके अस्तित्त्व पर उसे संदेह है. फिर क्यों कर वह उसकी बात सुनेगा, पर ईश्वर उसे अपनी प्रतीति स्वयं कराएगा. वह अज्ञानियों पर भी उतनी ही दया रखता है ऐसा सब कहते हैं. अज्ञानता में सार न हो पर उसमें पाप है ऐसा वह नहीं समझती. पाप और पुण्य की समझ उसे नहीं है, वह हर वक्त किसी का आश्रय चाहती है क्योंकि वह इतनी दुर्बल और क्षीण है कि अकेले चलना उसके बस का नहीं फिर वह एक कोई अपना हो या ईश्वर !  व्यक्ति है उसके सम्मुख जीता-जागता, उसकी बातों का जवाब देने वाला ! पर व्यक्ति कभी -कभी आपस में नहीं बोलते ऐसे पलों में उसे लगता है ईश्वर की मित्रता कभी अस्थायी नहीं होती. वह कभी उससे नाराज़ नहीं होगा, होगा भी तो मान जायेगा फिर ... किन्तु अपनों के साथ जुड़े होते हैं कितने अनोखे क्षण, स्मृतियाँ ! क्या स्मृतियाँ मृत होती हैं ? क्या उनमें कोई वस्तु स्पंदन नहीं कर रही होती. यदि वे मृत प्रायः हैं तो किसी के होने का मूल्य सिर्फ वर्तमान में है क्योंकि भविष्य में क्या छुपा है उन्हें नहीं ज्ञात. लेकिन ऐसा नहीं है वे जो ‘कुछ’ हैं, ‘वह’ कभी वे थे ! 


Friday, October 2, 2020

वृक्षारोपण

 

रात्रि के नौ बजने को हैं. जून होते तो कहते, अब दिन को विदा करो, लेट्स कॉल इट आ डे. वह पोर्ट ब्लेयर में हैं, रॉस आईलैंड देख लिया, सेलुलर जेल भी. कल कोलकाता आ जायेंगे और परसों घर. शाम को वह पुस्तकालय गयी और दो किताबें लायी, एक मध्यकालीन इतिहास पर और दूसरी जीन(डीएनए) पर. दोनों का कुछ अंश पढ़ा. वापसी में गुलाबी फूलों वाले पेड़ की तस्वीर खींची. जिसके यहाँ चम्पा का पेड़ है उस सखी के यहाँ भी गयी, उसने बताया, यहाँ जो सफाई करने आता है, उसे भूलने की बीमारी है, उसे अपना नाम भी याद नहीं है. चीजें रखकर भूल जाता है, एक ही काम को दोबारा करने लगता है, पर वे लोग उसकी शिकायत करने को तैयार नहीं हैं, करुणावश ही सम्भवतः। सखी ने बताया उसके ससुर जी को भी यही बीमारी थी और पिता को भी है. जीवन में कब क्या होगा, कौन जानता है ? सुबह मृणाल ज्योति के लिए कुछ सामान ख़रीदा और एक शिक्षिका को देने गयी, कई महीनों से जिसका गला खराब चल रहा था, आज कुछ ठीक था. उसकी बिटिया का जन्मदिन आने वाला है, उसकी तैयारी में व्यस्त थी, बेहद ऊर्जावान,  रचनात्मक कार्यों में लगी रहती है. घर लौटी तो नैनी अपने बेटे को डांट रही थी, पता चला उसके बेटे ने गेट पर लगाने वाला ताला गैरेज पाइप में डाल दिया है जिसे निकालने का कोई उपाय नहीं है.


जब वे अपने मन के अंधकार में भटकते हैं तो स्वयं की अनुभूति रूपी प्रकाश की किरण आते ही सारा अंधकार खो जाता है. आज सुबह टहलने गयी तो गुलमोहर, अमलतास और अज़ार के फूलों से लड़े वृक्ष पुनः देखे. हजारों फूल जाने कहाँ से आते हैं अपने मौसम में अपने आप ही, कोई अज्ञात ऊर्जा जैसे उनके रूप में प्रकट हो रही हो. दोपहर को बच्चे आये थे आज, पर्यावरण दिवस पर उन्होंने सुंदर चित्र भी बनाये. अंडमान की सुंदरता को निहार कर जून कोलकाता आ गए हैं. माली ने बगीचे में कई जगह फूलों की पौध लगाई, लॉन में मशीन से घास भी एक समान की. क्लब की वर्तमान प्रेसिडेंट से बात की उसने बताया भूतपूर्व प्रेसिडेंट अभी तक उसे फोन करके क्लब की बातों के बारे में पूछती रहती हैं. उसे लगा जीवन कल्पनाओं के जाल में व्यर्थ ही उलझ रहता है. जब तक उनका मन दर्पण तुल्य हो, वे कोई प्रतिक्रिया न करें , ऐसा मन यदि नहीं है तो वे व्यर्थ ही जगत में फंस जाते हैं. 


जून वापस आ गए हैं, विभाग में उनकी पदोन्नति हो गयी है. सभी की बधाइयाँ और फोन आ रहे हैं. शाम को वह क्लब की दो सदस्याओं के साथ वृक्ष लगाने के लिए उचित स्थान देखने गयी. एक जगह एक ऐसा पार्क मिला जिसे बनाना तो आरम्भ किया गया था पर बीच में ही छोड़ दिया गया. वहीं रहने वाले एक व्यक्ति ने बताया, ठेकेदार बीच में ही भाग गया था.  विश्व पर्यावरण दिवस पर क्लब की तरफ से वृक्षारोपण कार्यक्रम के अंतर्गत कल सुबह नौ बजे जाकर गड्ढे खुदवाने हैं और शाम को पेड़ लगाने हैं. दोपहर को मृणाल ज्योति के काम से एक बैंक जाना था, गर्मी बहुत थी और लोगों की भीड़ लगी थी. सुबह एक अनोखा अनुभव हुआ, एक कविता लिखी उसी भाव दशा में ! 


पर्यावरण दिवस पर सुबह से शाम तक वह व्यस्त रही. तीन माली लगाकर पार्क का गेट व सामने का थोड़ा सा भाग उन्होंने साफ करवाया. दस-पन्द्रह गड्ढे खुदवाये. जब तक यह काम चलता रहा क्लब की एक सदस्या के साथ विभिन्न विषयों पर सार्थक वार्तालाप हुआ वह समाज के लिए कुछ करना चाहती है. शाम को उसमें  फूलों और शरीफे के वृक्षों की पौध लगाई. पार्क के अंदर बोगेन्विलिया के  कुछ पौधे भी लगाए. उसके पूर्व वे बच्चों के स्कूल में भी वृक्षारोपण कर के आये थे, पीले व नारंगी रंग के गुड़हल के पौधे वहां लगाए. कुछ वर्षों में जब ये पौधे वृक्ष बन जायेंगे तो वातावरण को प्रफ्फुलित करेंगे. शाम को घर लौटी तो योग कक्षा चल रही थी, अब साधिकाएं इतनी सक्षम हो गयी हैं कि अपने आप ही सभी अभ्यास कर लेती हैं. जून ने रात के भोजन की तैयारी भी कर दी थी. 


वर्षों पूर्व डायरी में उस दिन के पन्ने पर ऊपर लिखी सूक्ति कन्फ्यूशियस की थी - ‘चिंतन के बिना अध्ययन मेहनत खोना है’. उसे लगा इसका अर्थ हुआ अब तक का उसका जो भी अध्ययन है वह व्यर्थ है, अर्थात उसका कालेज का अध्ययन यानि गणित, क्योंकि वह केवल परीक्षा देने के लिए पढ़ती है। उसके बाद कोई उपयोग उसके सम्मुख नहीं रह जाता कि उसका चिंतन भी करे. कैसा विरोधाभास है, यही विरोधाभास तो हर पल उसके जीवन में दिखाई पड़ता है और अब तो उसे इससे स्नेह भी हो गया है. यह भी एक तरह का विरोधाभास ही हुआ. एक पत्र पाकर उसे लगा जैसे कोई भार उतर गया हो. उसका खोया चैन उसे वापस मिल गया. जैसे अस्तित्त्व उसे एक नए रूप में मिला हो, पहले से ज्यादा प्रसन्न, ज्यादा उत्साह से भरा और उसके प्रति अनूठी भावनाएं लिए ! वह जो निष्क्रिय हो गयी थी फिर भर गयी हो प्राण से, स्पंदन से, जीवन से ! उसकी चिर ऋणी वह उसे ही चाहती है. उस अनन्त आभामय सुबह के स्वर्णिम काल का अभिनन्दन करते हुए  उसने कृतज्ञता पूर्वक प्रणाम किया.   


Monday, September 28, 2020

सरोजिनी नायडू की स्मृति

सुबह नींद खुली तो सबसे पहले जून ने जन्मदिन की बधाई दी, फिर दिन भर शुभकामनायें मिलती रहीं. फेसबुक, व्हाट्सएप और फोन पर, नैनी और उसके परिवार के बच्चों ने कार्ड्स बनाकर दिए, उसकी सास ने पीले फूलों का एक गुलदस्ता दिया जिसमें चम्पा के भी दो फूल थे तथा . उसकी देवरानी ने एक दिन पहले ही लाल गुलाब का फूल देकर शुभकामना दी थी, कहने लगी सबसे पहले मेरी बधाई मिले इसलिए एक दिन पहले ही दे रही है. छोटी ननद ने एओल का गीत गाकर बधाई दी. अकेले ही टहलने गयी, जून को तीन दिनों के लिए पोर्ट ब्लेयर जाना है, तैयारी में लगे थे. वापस आकर प्राणायाम करने बैठी. जून ने माली को बुलवाया था पर वह नहीं आया सो थोड़ा सा क्रोधित थे, उनके क्रोध का आभास स्पष्ट हो रहा था योग कक्ष में बैठे हुए भी,  तरंगों का प्रसारण कितनी शीघ्रता से होता है. उनके दफ्तर जाने के बाद ध्यान किया. शाम की पार्टी की तैयारी की. दो मित्र परिवार आने वाले हैं. वह बंगाली सखी फोन करेगी ऐसी तो उम्मीद नहीं थी पर उसने व्हाट्सएप पर शुभकामनायें दीं, अच्छा लगा. शाम की योग कक्षा में सभी कुछ न कुछ बनाकर लाये थे, उन्होंने भजन गाये और ढेर सारे व्यंजन खाये. एकादशी थी पर उसने प्याज का प्रयोग कर लिया अनजाने में, किसी ने कुछ कहा नहीं पर उन्हें ज्ञात तो अवश्य हो गया होगा, प्रेम सारे नियमों से ऊपर होता है. इस जगत में प्रेम से बढ़कर कोई पावन वस्तु नहीं और प्रेम में होना ही आनन्द में होना है ! अर्थात परमात्मा में होना है ! इन साधिकाओं के प्रेम का कोई हिसाब नहीं, सभी एक से बढ़कर एक हैं. एक की तबियत ठीक नहीं थी फिर भी आयी थी, एक ने माँ शारदा के वचनों की छोटी सी पुस्तक तथा फूल दिए. इन सबका प्रेम देखकर लगता है, गुरु कृपा का पार पाना मुश्किल है. 


आज सुबह छह बजे जून अंडमान की यात्रा के लिए रवाना हो गए. उधर नन्हा और सोनू भी बीजिंग पहुँच चुके हैं. कई दिनों बाद मृणाल ज्योति गयी. वाइस प्रिंसिपल अस्वस्थ होने के कारण छुट्टी पर थी, प्रिंसिपल भी घर के कामों में व्यस्त थीं, उनकी आया लम्बी छुट्टी पर गयी हुई है. बाकी कई जन मिले, बच्चों को योग कराया. घर से लाये शकरपारे खिलाये. टीचर्स को मिठाई दी. जन्मदिन पर मिला फूलों का गुलदस्ता एक बच्चे को दिया, वह बहुत खुश हुआ. वापसी में आज़ार के बैंगनी फूलों से लदे वृक्षों के चित्र लिए. कल सुबह भी कैमरा लेकर जाना है, पूरे कैम्पस में बीसियों पेड़ों पर ये पुष्प खिले हैं. गुलमोहर पर भी बहार आयी है. पीछे वाली पड़ोसिन के यहां भी जाएगी, चम्पा का वृक्ष देखने. उसे मानसून पर कुछ बातें नेट पर मिलीं, उन्हें रोचक ढंग से लिखना है. छोटी भांजी का फोन आया, उसके जन्मदिन की कविता लिखनी है और गायत्री योग साधिकाओं के लिए भी यहां से जाने से पूर्व कुछ लिखना है. बिजली चली गयी है, सुबह से ही आ जा रही थी. आज मंत्रीमण्डल का गठन भी हो गया, मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल के लिए पुरे जोश के साथ काम करने के लिए तैयार है. 


अतीत के पृष्ठ - उस दिन उसने एक पत्र लिखा तो उसमें उस अनुभव के बारे में भी लिख दिया जो हुआ था कुछ देर पूर्व ! अद्भुत ! अनोखा ! शांत और प्रिय ! ईश्वर ने उसके प्रेम का प्रतिदान उपहार देकर दिया. शायद वह बिना किये ही ‘ध्यान’ का पहला अनुभव था, उस समय ‘ध्यान’ से वह अपरिचित थी. उसके बाद भी एक कविता सहज ही लिखे जाने का जो अनुभव हुआ वह भी कम रोचक नहीं, सरोजिनी नायडू की स्मृति उसे सदा आ जाती है ऐसे वक्त पर, और चौड़ा मस्तक भी. कुछ अरसा पहले वह छोटी बहन के साथ एक वृद्ध अध्यापक के पास अंग्रेजी पढ़ने जाती थी, वह उसकी दुविधा और चिंता कितनी अच्छी तरह समझते थे, तभी उन्होंने कहा था, तुम्हारा मस्तक चौड़ा है.  स्नेह का एक बोल मन को फूल सा हल्का मगर शक्ति में चट्टान सा दृढ बना देता है. उस दिन वह बेहद प्रसन्न थी, उत्साह से लबरेज उसका प्याला छलका जा रहा था, जैसे सारा जहाँ उसके लिए पूजा की वस्तु बन गया हो. अगला पेपर फ्लूइड डायनामिक्स का है, उसने सोचा मानसून कब आएगा.