तीन बजने वाले हैं दोपहर के, आज महिलाओं के
योगाभ्यास का दिन है. उन महिलाओं का जो घरों में काम करती हैं और अपने स्वास्थ्य
के प्रति सजग हैं. जिन्हें घर के कामों से समय निकालना मुश्किल लगता है पर योग
करने में आनंद आता है. 'योग' कितना अनोखा शब्द है, इसके अनेक अर्थ हैं. हर साधक के
लिए उसका अपना अर्थ ! परमात्मा से मिलन का नाम भी योग है और खुद को जानने के
अभ्यास का नाम भी योग है. वह लिख ही रही थी कि एक महिला आयीं, उन्हें अकेले करने
में झिझक हो रही थी, सो सभी बच्चों ने उनका साथ दिया और तभी और भी आ गयीं. एक घंटा
साथ मिलकर व्यायाम, आसन, प्राणायाम तथा भजन किये. प्रेसिडेंट का फोन आया, तीन दिन
बाद वार्षिक सभा है क्लब की. अभी तक मुख्य नये पदाधिकारीगण का चुनाव नहीं हो पाया
है. आज सुबह समय पर उठे वे, पूरे दो सप्ताह बाद इस तेल नगरी की जानी-पहचानी डगर पर
टहलने गये. जून के दफ्तर में आज समारोह था, कम्पनी को पहली बार एक पेटेंट मिला है,
इसलिए दोपहर का भोजन वहीं था. रात को भी उन्हें बाहर जाना है. दोपहर को काफ़ी भोजन
बच गया. बंगलूरू से एक नई तरह का राजमा लाये थे वही बनाया है. आज सुबह से ही बिजली
आँख-मिचौनी खेल रही है, नया ट्रांसफार्मर लगा है या नया सबस्टेशन आरम्भ हुआ है
इसलिए. जून को चश्मे का एक सुंदर केस मिला था बंगलूरू में, वह उसे दे दिया. घर
काफी व्यवस्थित हो गया है. बहुत दिनों बाद स्वामी रामदेव पर आधारित धारावाहिक
देखा, अब बालकृष्ण जी भी आ गये हैं इसमें. देश में महिलाओं और लडकियों पर अत्याचार
बढ़ते ही जा रहे हैं, समाज में इतनी बेचैनी, इतनी असंवेदनशीलता कहाँ से आ रही है.
लोगों के मन जैसे अपने नियन्त्रण में नहीं रह गये हैं.
आज का दिन मिला-जुला आरम्भ हुआ पर अंत सुखद है. कल रात्रि
जून ग्यारह बजे लौटे. वह साहित्य अमृत पढ़ती रही. महीनों बाद उसका अप्रैल अंक आया
था. उसके पूर्व कुछ देर टीवी देखा, उसके भी पूर्व अँधेरे में ध्यान किया, बिजली काफी
देर तक गुल रही. योग कक्षा के बाद साधिकाओं को बंगलूरू से लाये सुगंधित द्रव्य के
पैकेट उपहार में दिए. शाम को बगीचे में टहलते हुए आयुर्वेद पर एक पुस्तक पढ़ी. भारत
की चिकित्सा व्यवस्था कितनी समृद्ध थी प्राचीन काल में. कल रात से नेट नहीं चल रहा है. एक दिन यदि सुबह-सुबह फोन काम न
करे तो..कितनी उलझन महसूस हो रही थी, ज्ञात हुआ कि फेसबुक और व्हाट्स एप किस तरह जीवन
के अंग बन गये हैं. सवा नौ बजे मृणाल ज्योति गयी, बच्चों को योग-व्यायाम कराया.
लौटकर कुछ देर पुस्तक पढ़ी, मन अपेक्षाकृत स्वीकार कर चुका था कि आज नेट नहीं
चलेगा. दोपहर को जून ने कोई शिकायत भरा वाक्य कह दिया तो मन कुम्हला गया. परमात्मा
ऐसी परिस्थति जानबूझ कर रचते हैं ताकि साधक को अपने अहंकार का बोध हो सके. मन यदि
परेशान होता है तो इसका अर्थ ही है, अहंकार बना हुआ है. अहम् के रहते कोई सहज रह
ही नहीं सकता. शाम को क्लब में टेक्निकल फोरम में एक भाषण सुनने जाना है.
कल शाम न्यूरोलोजिस्ट डाक्टर उपाध्याय का भाषण सुनने गये.
लौटने में साढ़े नौ बज गये. लौटकर रात्रि भोजन किया, सोने से पूर्व प्रधानमन्त्री
का कार्यक्रम देखा, 'भारत की बात सबके साथ'. उनका जोश, जज्बा और बातचीत बहुत
प्रभावशाली है. देश को उन पर भरोसा है और देश के पास उनके सिवा कोई विकल्प भी तो
नहीं है. साढ़े दस बजे टीवी बंद किया, सोने से पूर्व कुछ देर सद्वचन सुने. रात्रि को
स्वप्न में डाक्टर साहब को पुनः बोलते देखा. वह कह रहे थे, दो तरह के लोग होते हैं
एक सूर्य की तरह दूसरे चाँद की तरह. जून कह रहे हैं वह चाँद की तरह हैं. कल लौटते
समय उपाध्याय जी ने कहा था, जो कुछ उन्होंने कहा है, कोई उसे ठीक से सुने, फिर पुनर्स्मरण
करे तो वह धारण कर सकता है. कल भाषण सुना तो ध्यान से था, उसने सोचा अब रिकाल करती
है फिर डायरी में रिटेन कर लेगी. उन्होंने वृद्धावस्था में होने वाली सामान्य
बिमारियों का जिक्र किया था, जैसे रक्तचाप, शर्करा, भूलने की बीमारी, कंपवात,
गठिया आदि. चालीस के बाद से ही व्यक्ति को अपना ध्यान रखना होगा, नियमित व्यायाम,
टहलना आवश्यक है और फिर योग को पूरा अपनाना होगा. यम, नियम से समाधि तक, न कि केवल
दो भाग-आसन व प्राणायाम ! वृद्धावस्था के लाभ गिनाते हुए कहा, उस समय व्यक्ति अपने
समय का मालिक होता है. उसे समाज में सम्मान मिलता है, वह अपने पोते-पोती, नतिनी-नातियों
के साथ अच्छा रिश्ता बना सकता है. यह भी बताया की वृद्धावस्था में देह में
क्या-क्या परिवर्तन होते हैं. मस्तिष्क की कोशिकाएं अर्थात न्यूरोन कम होने लगते
हैं. आँखों का लेंस धुधंला पड़ जाता है. उन्होंने बताया, वैज्ञानिक अनुसन्धान कर
रहे हैं कि कोशिकाएं सदा जीवित रह सकें, कोशिकाओं के मृत होने पर ही देह वृद्ध
होने लगती है. अंत में कहा, प्रार्थना और ध्यान का बहुत महत्व है शरीर व मन को
स्वस्थ रखने में.