शाम के चार बजकर बीस मिनट हुए हैं. जून अभी कुछ देर
में आने वाले होंगे. मौसम गर्म है. टीवी पर प्रधानमंत्री तमिलनाडु के एक परमाणु
ऊर्जा केंद्र को राष्ट्र को समर्पित कर रहे हैं. कुडनकुलम के इस केंद्र को बनाते समय
उसका विरोध हुआ था, पर विकास की धारा को कौन रोक सकता है. ओलम्पिक खेलों में भारत
के लिए आज अच्छा दिन रहा है. हाकी टीम ने अर्जेंटीना को हराया है. सुबह साढ़े चार
बजे उठे वे, बाहर लॉन में कुछ देर टहले, आजकल दूर तक टहलने नहीं जा रहे हैं. जून को
डाक्टर ने मना किया है. नौ बजे एक योग साधिका ध्यान के लिए आती है. उसे ध्यान के बारे में
समझा सकी, उस वक्त जैसे कोई भीतर से अपने आप बोलने लगता है, परमात्मा हर क्षण उनके
साथ है ! समय कितना बदल गया
है. जो मित्र होते हैं, वही एक समय शत्रु बन जाते हैं फिर वही मित्र बन जाते हैं.
कर्मों की गति अति गहन है. विचित्र है अस्तित्त्व की लीला, कर्मों का
हिसाब-किताब पूर्ण होता है तो शुद्ध प्रेम का प्रवाह होने लगता है. सुबह बगीचे से ढेर सारी भिंडी मिली. चार नारियल
भी तोड़े हैं, नारियल पानी के लिए. स्कूल में बच्चों को ध्यान कराया, अब वे ठीक से
करना सीख गये हैं, कुछ क्षणों में शांत हो जाते हैं. पिछले दिनों एक दुखद घटना भी
हुई, पूसी शाम को सड़क पर निकल गयी, और किसी वाहन से टकरा कर आहत हो कर किसी और
दुनिया में चली गयी. चंद महीनों का ही उसका साथ था पर उसे बहुत दुःख हुआ. नन्हे को
जब पता चलेगा उसे भी बहुत दुःख होगा. जीवन सुख-दुख दोनों के तानों-बानों से बुना
है. नैनी आज और राखियाँ बनाने के लिए सामान ले गयी है. अभी तक लगभग साठ राखियाँ बन
गयी हैं.
शाम के पांच बजे हैं, जून अभी-अभी आये हैं. बड़ी ननद
की राखी आज मिल गयी, उसने लिफाफा खोल कर देखा, शायद कोई पत्र हो, पर कुछ भी नहीं
है, एक पंक्ति भी नहीं. पत्र लिखने का संस्कार छूटता ही जा रहा है. आज बाहर धूप
तेज है. कमल कुंड में पानी का स्तर फिर घट गया है, शायद नीचे तले या दीवारों के
सीमेंट में छेद हो गया है, जल रिसकर भूमि में जा रहा है. ताल खाली करवा कर ठीक
करवाना होगा. यह कार्य तो सर्दियों में ही ही सम्भव होगा, जब पत्ते कम हो जाते हैं
और फूल नहीं खिलते. आज बाल्मीकि रामायण में अयोध्या की स्त्रियों के विलाप के बारे
में लिखा. कवि की दृष्टि कितनी सूक्ष्म है, उनके दुःख का कितना सजीव वर्णन
उन्होंने किया है. आज फिर ताओ पर प्रवचन सुना. जब ताओ था तब मन्दिर नहीं थे, पूजा
भी नहीं थी, नीति का निर्धारण भी नहीं था. सहज ही सब धर्म को धारण करते थे. परमात्मा
अनुपम है. भीतर उसकी रश्मिया प्रवाहित होती महसूस होती हैं. पूसी की स्मृति अब
दुःख देती प्रतीत नहीं हो रही, नियति को यही मंजूर था. इन्सान का मन समय के
साथ-साथ बदलता रहता है. यदि उसके पास भूलने की क्षमता न हो तो मन कितना भारी हो
जाये. ध्यान के द्वारा मन को प्रतिपल नया रखना आना चाहिए. ज्ञान के द्वारा जीवन के
रहस्यों को आत्मसात करन भी ! आज बंगाली सखी से बात की, वह अगले माह घर जा रही है, पूजा
में केरल. क्लब की सेक्रेटरी से बात की, वह गोहाटी जा रही है, पड़ोसिन से बात हुई,
वह परसों कोलकाता से आई हैं. यात्रा जीवन का एक अभिन्न अंग है. उड़िया सखी से बात
हुई, वह राखी पर उसके साथ मृणाल ज्योति जाएँगी. दो दिन बाद जून का जन्मदिन है, शाम
को छोटी सी पार्टी होगी. दोपहर को बच्चों के साथ पन्द्रह अगस्त का पूर्व दिन व
रक्षा बंधन का उत्सव मनाना है. उसके पूर्व नैनी के पुत्र के पहले जन्मदिन की
पार्टी में कालीबाड़ी जाना है, यानि पूरा दिन व्यस्तता बनी रहेगी. कल दोपहर को पूसी
के सारे चित्र व वीडियोज का एक फोल्डर बनाना है, उसकी स्मृति में लिखा आलेख भी जून
को दिखाना है. आज पार्लियामेंट का वर्षा सत्र समाप्त हो गया. इस बार काम
शांतिपूर्ण ढंग से हुआ है.
निमंत्रण विशेष :
हमारे कल के ( साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक 'सोमवार' १० सितंबर २०१८ ) अतिथि रचनाकारआदरणीय "विश्वमोहन'' जी जिनकी इस विशेष रचना 'साहित्यिक-डाकजनी' के आह्वाहन पर इस वैचारिक मंथन भरे अंक का सृजन संभव हो सका।
यह वैचारिक मंथन हम सभी ब्लॉगजगत के रचनाकारों हेतु अतिआवश्यक है। मेरा आपसब से आग्रह है कि उक्त तिथि पर मंच पर आएं और अपने अनमोल विचार हिंदी साहित्य जगत के उत्थान हेतु रखें !
'लोकतंत्र' संवाद मंच साहित्य जगत के ऐसे तमाम सजग व्यक्तित्व को कोटि-कोटि नमन करता है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
आभार !
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