Monday, April 24, 2017

सूरज का लाल गोला

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नये वर्ष का चौथा दिन ! कल रात मूसलाधार वर्षा हुई, इस वक्त भी बादल बने हैं. जून आज मुम्बई गये हैं, कल कोचीन जायेंगे. वे यात्रा के नाम से बहुत प्रसन्न होते हैं, उन्हें नये-नये स्थान देखना भी भाता है और यात्रा की परेशानियाँ जरा भी परेशान नहीं करतीं. महर्षि अरविन्द पर लिखी एक पुस्तक बंगलूरू की उस दुकान से खरीदी थी, जहाँ किताबें ही किताबें पड़ी थीं, सीढियों पर भी किताबें. महान योगी थे वे. संस्कार में आजकल सद्गुरु का पतंजलि योगसूत्र पर बोला भाष्य प्रसारित हो रहा है. बहुत सी बातें स्पष्ट हो रही हैं. कितना कुछ जानने को है अभी, अनंत है वह परमात्मा..वे तो कुछ भी नहीं जानते..कई बार ऐसा लगता है जैसे पहले वह जो जानती थी अब उतना भी नहीं जानती. जीवन एक रहस्य है जो जाना नहीं जा सकता, जीया जा सकता है. शाम गहराती जा रही है, पांच भी नहीं बजे हैं अभी दस मिनट शेष हैं.

ठंड आज कुछ ज्यादा है, स्वेटर के भीतर त्वचा और त्वचा के भीतर हाड़ों को छूती हुई. सुबह आसमान पर बादल थे या कोहरा, सब श्वेत था मध्य में लालपन लिए नारंगी सूरज का गोला आकाश में ऊपर तो चढ़ आया था पर अभी तक बालसूर्य सा लग रहा था. उसे देखकर मन कैसा उल्लसित हो उठा, जैसे परमात्मा के माथे पर लगा टीका हो या..एक और उपमा उस वक्त ध्यान में आई थी पर अब मन से पुंछ गयी है. कई बार ऐसी सुंदर पंक्तियाँ मन में कौंध जाती हैं पर तब लिखने का साधन नहीं होता. एक सखी का फोन आया था, भावुक है, कलाकार है, पर बोलती कुछ ज्यादा है. कल क्लब के वार्षिक उत्सव की कला प्रदर्शनी में उसकी कृति भी लगायी जाएगी, उसे आमंत्रित किया है. कल शाम पिताजी से फोन पर बात की, बार-बार फोन कट जाता था, पर वह कोशिश करते रहे जब तक बात पूरी नहीं हो गयी, जबकि वह एक बार कट जाने के बाद दुबारा प्रयास नहीं करती, उनसे सीख लेनी चाहिए. कल एक परिचिता आयीं थीं, सेंट जेवियर्स स्कूल के बच्चों द्वारा लिखी कुछ असमिया कविताओं का हिंदी अनुवाद उसे देखने के लिए देकर गयी हैं. भविष्य में हिन्दी में यह किताब छपेगी, जिसमें भूपेन हजारिका, मामोनी और अब्दुल कलाम के लिए लिखी कविताएँ हैं.


आज धूप चमचमाती हुई निकली है. कल बड़ी ननद का फोन आया, मंझली भांजी की मंगनी तय हो गयी है, लड़का बंगाली है. उसने सोचा उसकी बंगाली सखी को सुनकर अच्छा लगेगा. आज सुबह टहलने गयी तो आई पौड पर मृत्यु पर प्रवचन सुना, कितनी अद्भुत व्याख्या करते हैं सद्गुरु ! टीवी पर मुरारी बापू की कथा आ रही है. परमात्मा का बखान करते-करते थकते ही नहीं, गाए ही चले जाते हैं. इलाहबाद में कुम्भ का मेला लगने वाला है, करोड़ों लोग आएंगे उस परमात्मा का गुणगान करने ही तो. परमात्मा घट-घट वासी है पर वह नित नूतन है, बासी नहीं है. कल रात छोटे भाई को सुंदर प्रवचन देते सुना, अद्भुत स्वप्न था वह. रात को ध्यान करते-करते सोयी थी. अभी उससे बात हुई, कल रात उसे भी स्वप्न आया कि वह किसी को समझा रहा है बहुत विस्तार से, आश्चर्य है और नहीं भी, परमात्मा सब कुछ कर सकते हैं ! भाई ने कहा वह इस बारे में ज्यादा बात करेगा तो उसकी आँखों से अश्रुपात होने लगेगा, उसने कहा, उसका यह तबादला भी कृपा से हुआ है, वह अपने सद्गुरु से जुड़ा है और वह उसे दिशा दिखाते हैं. सचमुच उसका समर्पण कहीं ज्यादा है.

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