Wednesday, June 15, 2016

जन्मदिन की कविता


अक्तूबर का अंतिम दिन, श्रीमती गाँधी की पच्चीसवीं पुण्यतिथि ! अभी कुछ देर पहले दीदी से बात की. छोटा भांजा स्वीडन से स्वाइन फ्लू जैसे लक्षण लेकर लौटा है. बड़ी भांजी को सासूजी तथा माँ दोनों ने कहा था कि शुरू के तीन महीनों में ज्यादा घूमना-फिरना ठीक नहीं है पर वे पहले से ही टिकट कटा चुके थे, जो डर था वह सही निकला. दीदी ने पिताजी, छोटे भाई, बहन सभी की बातें बतायीं. पिताजी ने उन्हें मेल भेजा है इस उम्र में वे भी कम्प्यूटर से परिचित हो रहे हैं. उन्होंने उसे भी अवश्य भेजा होगा.
उसकी एक सखी का जन्मदिन इसी महीने है, उसके लिए एक कविता लिखनी है. वह अपने बेटी की चिंता करती है, सास की फ़िक्र करती है. घर की चिंता करती है. सबकी सेहत का ध्यान रखती है, घर की सजावट का ध्यान रखती है. ये सोचते ही उसने लिखना शुरू किया-

धूप गुनगुनी हवा में ठंडक
फूलों वाला आया मौसम,
जन्मदिवस के लिए खुशनुमा
मंजर लेकर आया मौसम !

दिन का चैन रात की नींदें
जिस चिंता में उड़ गयीं अपनी,
उस चिंता को भूल हँसी का
जश्न मनाने आया मौसम !

घंटों लगें रसोईघर में
सेहत सबकी ठीक रहे,
गोभी, मटर, सलाद सभी को
खौलाने का आया मौसम !

रंगों से सज गयीं दीवारें
दरवाजे भी चमक उठे अब
कांच के बर्तन धो-पोंछकर
चमकाने का आया मौसम !

इसकी चिंता, उसकी चिंता
दुनिया भर की सिर पे चिंता
जन्मदिवस का पा तोहफा
मुस्काने का आया मौसम !

नवम्बर का आरम्भ हुए छह दिन हो गये हैं. आज पहली बार डायरी खोली है. परसों मृणाल ज्योति गयी थी, एक अध्यापिका ने कहा बच्चों की पुरानी साइकिलें यदि मिल सकें तो अच्छा है. क्लब के बुलेटिन में लिखने के लिए सेक्रेटरी को संदेश भिजवा दिया है उसने. क्लब के कार्यक्रम में वह उसकी कविता ‘तुम्हारे कारण’ पढ़वाना चाहती हैं. एक कविता उसे पत्रिका में छपने के लिए भी देनी है.


कल छोटी भांजी, चचेरी बहन व एक सखी की बिटिया से बात की तीनों कितनी भिन्न हैं पर तीनों ही एक सूत्र में बंधी हैं, वह सूत्र है सुख-दुःख का सूत्र, देखा जाये तो वे सभी आपस में ऐसे ही बंधे हैं ! छोटी ननद का फोन आया है, वह अस्वस्थ है, घबराहट होती है तथा कमजोरी है. रक्तचाप भी घटता-बढ़ता रहता है, डाक्टर ने थायराइड का टेस्ट बताया है. अपने तन को स्वस्थ रखना कभी-कभी बहुत कठिन हो जाता है. सब कुछ सामान्य होते हुए भी कोई अस्वस्थ हो सकता है. उसकी सखी ने कहा उसके जन्मदिन पर जो कविता उसने लिखी थी, वह सभी रिश्तेदारों को भेज दी थी, सभी ने तारीफ़ की है. लिख रही थी कि जून आ गये, शाम को क्लब में फिल्म है, उसका पोस्टर लाये थे, ‘लाइफ पार्टनर’ वे शाम को गये, पूरी फिल्म नहीं देख पाए, शेष भाग पड़ोसिन को फोन करके पूछा.  उसने अपने बगीचे के (कोल) केले भिजवाये हैं. दो तीन दिन पूर्व उनके यहाँ भी एक गुच्छा तोड़ा गया था, पक जाने पर भिजवायेगी. 

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