Tuesday, September 23, 2014

भागवद पुराण का श्लोक


आज उनके महिला क्लब की मीटिंग है, उस दिन अंध विद्यालय में जाने के बाद से क्लब के प्रति उसका सम्मान बढ़ गया है, सो आज वह जा रही है. सुबह भाई-भाभी से बात की. आज जून उसकी किताब भेज रहे हैं. अभी-अभी असमिया सखी का फोन आया, उसने दूरदर्शन पर एक नीति वचन सुना था, बताया, यह भी कहा कि उसकी किताब देखकर उसे बेहद ख़ुशी हुई है. उम्र के साथ-साथ उनकी मित्रता भी परिपक्व हो रही है. बाबाजी ने आज एक श्लोक का अर्थ बताया जो भागवद पुराण से लिया गया था, “कल का अजीर्ण आज के उपवास से दूर किया जा सकता है और कल का प्रारब्ध आज के पुरुषार्थ से”. मानव अपने भाग्य का विधाता स्वयं है. वास्तव में यदि वे प्रयत्न करें और सच्चे हृदय से ईश्वर के मार्ग पर चलें, ईश्वर का मार्ग यानि सच का मार्ग, तो उनके कार्य सफल होने लगते हैं. खोट भीतर नहीं होनी चाहिए, ईमानदारी का सौदा है यह. आज नैनी ने कहा उसके पास एक धार्मिक पुस्तक है जिसमें उर्दू और असमिया दोनों भाषाओँ में लिखा है. एक सूरा ऐसी है जिसको पढ़ पाने से शैतान कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता. अन्धविश्वास में डूबा है आज भी मुस्लिम धर्म. वह उस किताब को पढ़ना चाहती है क्यों कि उसे कुरान को छूने की इजाजत नहीं है. कल रात वर्षा हुई और कहीं पास ही बिजली भी गिरी. बादलों की गड़गड़ाहट की जोरदार आवाज हुई उसकी नींद खुल गयी और उस कविता का स्मरण हो आया जिसमें दिल धड़कने का जिक्र है. संसद में अवकाश है सो पता नहीं चल पाता दोनों पार्टियाँ कितना विरोध कर रही हैं, धीरे-धीरे तहलका का ज्वर उतरने लगा है. लोग एक दूसरे से क्षमायाचना कर रहे हैं. भविष्य में वे लोग सचेत रहेंगे इतना तो फायदा इस प्रकरण से होगा ही. उसे आज दोपहर को वह अधूरी गजल पूरी करनी है.  

कल की मीटिंग अच्छी रही. एरिया टेन ने एक रीमिक्स कोरस गया और एक समूह नृत्य भी पेश किया. एक महिला कुछ कास्मेटिक प्रोडक्ट्स लेकर आई थी और कुकिंग प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया था. वह पड़ोसिन सखी के साथ गयी थी. उसने ‘ध्यान’ करने का प्रयास किया पर सफल नहीं हुई, नैनी का बेटा तेज संगीत बजा रहा था, सडक पर वाहनों की आवाजें थीं और वर्षा की रिमझिम भी, जो कल रात से हो रही है. उसने आँखें बंद कीं तो तंद्रा घेरने लगी, कभी-कभी ऐसा होता है जब मन शांत नहीं हो पाता. आज का दिन सामने पड़ा है कोरे कागज की तरह, जो चाहे लिख दे. दोपहर का कार्य नियत है. शाम कुछ भिन्न हो सकती है. कल लाइब्रेरी से अमितव घोष की एक पुस्तक लायी है कल शाम ही थोड़ी सी पढ़ी. अभी robert फ्रॉस्ट की कविताएँ भी पढ़नी हैं. ढेर सारी पत्रिकाएँ भी अनपढ़ी पड़ी हैं. रोज का अख़बार पढ़ने में भी समय जाता है. इन्सान का छोटा सा दिमाग (ब्रह्मांड से भी विशाल है वास्तव में ) कितना कुछ समेटना चाहता है. कल GLSV का प्रक्षेपण किसी खराबी के कारण टाल देना पड़ा, शुरू होने से पहले उसका दिल धड़क रहा था, लग रहा था, सब कुछ ठीक नहीं होगा. खैर, अगली बार जरूर वैज्ञानिकों को सफलता मिलेगी. कल भारत मैच भी हार गया. नैनी ने असमिया में वह पुस्तक लाकर दी है जिसमें से उसे ऐसी सूरा चाहिए जिसे पढ़कर शैतान भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता.

कल की शाम एक सखी और उसके बेटे के नाम थी. वे शाम को साढ़े चार बजे ही आ गये थे, जून को हाउसिंग सोसाइटी की मीटिंग में जाना था. साढ़े आठ पर वे वापस आये तब तक नन्हा और उसका मित्र खाना खा चुके थे. वह सखी के साथ पहले टहलने गयी फिर चाय पी और बाद में डिनर की तैयारी. उसका साथ सहज लगता है, कितनी बातें बतायीं उसने अपने परिचितों की और इधर-उधर की. कुछ देर उन्होंने क्रॉस वर्ड्स हल किया. समाचार नहीं सुन पायी कल रात. आज सुबह सुना पश्चिम बंगाल में कांग्रेस व तृणमूल कांग्रेस एक साथ चुनाव लड़ रही हैं. राजनीति में कोई भी स्थायी मित्र अथवा विरोधी नहीं होता. आज जागरण में एक सन्त का भावपूर्ण प्रवचन सुना, कह रहे थे रोना, हँसने से ज्यादा बेहतर है बशर्ते आँसूं पश्चाताप के हों यहाँ तो कोई गलत है यह तक स्वीकारने को तैयार नहीं होता तो पछतावा क्यों करेंगे, हर कोई अपने को सही साबित करने पर तुला है. आज सुबह ससुराल से फोन आया, कल वे लोग नये घर में रहने चले गये हैं, गृह प्रवेश में बड़ी ननद भी आई है, काफी चहल-पहल रहती होगी. दिन भर किचन में भी हलचल रहती होगी. आजकल ‘ध्यान’ में वह पांच-दस मिनट से ज्यादा नहीं बैठ पाती है सम्भवतः आस-पास होती हलचल इसका कारण हो, उसे दूसरा समय चुनना होगा जब कोई बाधा न हो. यह भी सही है कि जे कृष्णामूर्ति की पुस्तक पढ़े काफी समय बीत गया है और प्रतिपल सजग रहने का जो अभ्यास उन दिनों हो गया था आजकल छूट गया है. एक बेखुदी सी छायी रहती है जैसे वह किसी spell के अंदर है. जमीन पर आ जाना ही बेहतर होगा,. वास्तविकता की ठोस जमीन पर, जहाँ अपनी कमियां भी बखूबी नजर आती रहें. एक परिचिता से मिलने का वादा किया था जो आज ही पूरा करना होगा.




2 comments:

  1. आज माँ के ब्लॉग पर इतना बड़ा कमेण्ट लिख डाला कि यहाँ कुछ कहने को बचा ही नहीं. वैसे ग़ज़ब का कॉनट्रास्ट दिख रहा है यहाँ... भागवत पुराण से कलामे पाक के सूरा तक, महिला क्लब की मीटिंग से एरिया टेन के कोरस तक, उसकी कविताओं के संकलन से क्रॉसवर्ड तक, संसद की छुट्टी से जीएसएलवी के असफल प्रक्षेपन तक.

    जीवन भी ऐसे ही न जाने कितने कॉनट्रास्ट समेटे है अपने दामन में और न जाने कितने शेड्स हैं जीवन के!

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  2. सही कहा है आपने, जीवन विरोधाभासों से भरा है..

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