Tuesday, June 10, 2014

क्रिकेट का फाइनल


कल भारत की तरह दक्षिण अफ्रीका की टीम अपनी गलतियों की वजह से सेमी फाइनल में आस्ट्रेलिया से हार गयी. दोनों टीमों ने बराबर के रन बनाये पर क्योंकि पहले वे आस्ट्रेलिया से हार चुकी थी, इसलिए उन्हें इस बार भी हारना पड़ा. नैनी आज फिर बिना बताये चली गयी है जैसे कि बोलकर जाने से उसका अपमान होता हो, या फिर यह नूना का वहम् ही हो, खैर, इन छोटी-छोटी बातों से खुद को ऊपर रखना चाहिए. प्रेम, दया, सहानुभति जैसे शब्दों और विचारों से वे अपरिचित ही हैं और रहेंगे, शायद अगले किसी जन्म में उन्हें भी आभार व कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर मिले, इस जन्म में तो उन्हें ही कृतज्ञ होना है कि अपना समय निकल कर वे उनके लिए काम करते हैं. कल रात अजीब-अजीब स्वप्न देखती रही, सुबह प्रातः भ्रमण के लिए वे उठे तो वर्षा हो रही थी, फिर सो गये, ये स्वप्न शायद तभी देखे होंगे. अभी भी बदली का सा मौसम है.

वे ज्ञान व भक्ति द्वारा परमात्मा का अनुभव कर सकते हैं, जो सदा रहता तो उनके साथ है, पर वे उसे देख नहीं पते. जब सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा हो जीवन की गाड़ी पटरी पर दौड़ रही हो तो उन्हें उसकी याद भी नहीं आती किन्तु जहाँ पहिया पटरी से उतरी नहीं कि वे उस परमपिता को पुकारने लगते हैं, किन्तु ईश्वर यदि सारे काम संवार भी दे तो वे खुद को शाबाशी देने लगते हैं, गर्व से फूल उठते हैं, कृतज्ञ होने की तो बात दूर है वे यह स्वीकारना भी नहीं चाहते कि उनकी उपलब्धियों का श्रेय उनकी बल-बुद्धि के सिवा किसी को जा भी सकता है. ईश्वर ने उन्हें बहुमूल्य खजाने दिए हैं, प्रकृति के नाना-रूपों में, दिल में उठने वाली कोमल भावनाओं में, मानवीय प्रेम और भाईचारे के सिद्धातों में. वही उनके देश को बचाएगा.

The woods are lovely…these lines inspire her and straighten her thoughts which are wandering most of the time. Today again due to rain they could not go for morning walk. Yesterday due to cricket world final  they could not go in the evening also. Australia beat the rival team ie Pakistan badly, it was painful to see the Pakistani players sad and frustrated but it happens sometime. It is life and it is game.

कल से जुलाई महीने का आरम्भ हो गया, छोटी बहन के जन्मदिन का महीना. उस दिन उसका पत्र पाकर मन भर आया, वह परिवार दूर पंजाब के बार्डर पर एक कैम्प में रह रही है. पिछले कई दिनों से वह लिख नहीं पाई, बस कुछ व्यस्तता सी रही, इधर-उधर की, संगीत उसकी जिन्दगी का हिस्सा बनता जा रहा है, गला अब थोड़ा बहुत सुरों पर टिकने लगा है, चाहे कितने ही साल क्यों न लग जाएँ, यह अभ्यास अब छूटने वाला नहीं है. उस दिन यानि परसों क्लब में कविता पाठ ठीक ही रहा. गला उतना स्पष्ट नहीं था क्यों कि पिछले कुछ दिनों से दांत में दर्द था...खैर, परेशान गला था, वह नहीं सो ऐसी विशेष बात भी नहीं है. परसों क्लब से एक सखी के यहाँ गयी और कल उसके उनके घर से जाने के बाद क्लब गयी. जून को उसके मैराथन में भाग लेने और पुरस्कार मिलने पर ख़ुशी है, जबकि पहले वह इन सबसे दूर रहने को ही कहते थे, उम्र के साथ इन्सान के कई पूर्वाग्रह अपने आप छूटते चले जाते हैं. एक सखी को फोन किया उसका बुखार अभी भी उतरा नहीं है, उसकी किसी बात का गलत अर्थ एक दूसरी सखी ने लगा लिया और परेशान हो गयी. इन्सान इतना संकीर्ण क्यों होता जा रहा है, बड़े दिल वाले लोग बनाने क्या भगवान ने बंद ही कर दिए हैं.

   

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