इतवार भी बीतने वाला है, जैसे कल शनिवार
बिना कुछ कहे-सुने बीत गया. सुबह घर के कार्यों में और दो-तीन फोन करने में बीती,
दोपहर सुस्ताने में और शाम कुछ देर फिल्म देखी, फिर एक मित्र परिवार आ गया और रात
उसकी नादानी के कारण थोड़ी परेशानी में, जल्दी काम करने के प्रयास में थोड़ा सा हाथ
जो जला लिया, सुबह देर से उठी, पर दर्द नहीं था. कल रात और आज सुबह भी आचार्य
गोयनका जी की बातें बहुत याद आयीं और मन जल्दी ही संयत हो गया. इतवार के सारे काम
निपटाते-निपटाते दो बज गये. नाश्ते में डोसा बनाया था, अभी-अभी बड़ी बहन का फोन
आया, उसने उनके घर आने का वादा भी कर दिया है, उनकी यात्रा में केवल दो सप्ताह रह
गये हैं, फ़िलहाल तो नन्हे के इम्तहान में सिर्फ एक सप्ताह रह गया है. इस वक्त मन
शांत है जीवन सार्थक है यदि जीने का कोई लक्ष्य हो, दोपहर बाद टीवी देखते-देखते
महसूस हुआ जून और नन्हा उसके अस्तित्त्व के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं, वे हमेशा
उसके साथ हैं, इसलिए कभी-कभी वह उनकी उपेक्षा कर जाती है, पर वे उसके लिए v.v.v.i.p. हैं.
आज आखिर नैनी की रजाई बन ही गयी, उस दिन सपने में देखा था, उसके दोनों बच्चे नीले
रंग की रजाई पिछले गेट से ला रहे हैं,, कौन कहता है, सपने बस सपने ही होते हैं.
आज बहुत दिनों बाद पीटीवी
सुन रही है, जो चैनल वह देखती थी वहाँ उर्दू की बजाय कश्मीरी या पख्तो भाषा में
गजलें आ रही हैं. गजलें उसे हमेशा से अच्छी लगती आई हैं. बेहद मीठी भाषा में एक
गजल आ रही है पर भाषा कठिन है और अब एल टीवी पर यह गजल... ‘कभी बेकसी ने मारा..कभी
बेबसी ने मारा...’
जून का फोन आया है, वह आज
देर से आएंगे. कल रात उन्होंने उसे अचम्भित किया यह कहकर कि कल वह income tax के rules
के बारे में उसे बतायेंगे. विपसना के बारे में उनका घर आने वाले मेहमानों से बात
करना और रात देर तक इधर-उधर की बातें करना अच्छा लगा. अच्छा लगता है इतवार दोपहर
को साइकिल से जाकर अख़बार लाना और पढ़ना, शामों को नियमित खेलने जाना. वह अनुशासित
हो रहे हैं. पहले इतवार को उनका उनका सबसे बड़ा काम होता था आराम. आज पत्रों के
जवाब भी देने हैं, वक्त भी है और मूड भी, वैसे वह मूड की प्रतीक्षा नहीं करती, पत्र
लिखना अच्छा लगता है और जवाब तो देना ही चाहिए हर पत्र का जो उनके पास आया है. उनके
बगीचे में पत्ता गोभी के साथ इन दिनों टमाटर बहुत हो रहे हैं. फूलों की भी बहार
है.
आज नन्हे के स्कूल में
पुरस्कार वितरण समारोह था, उन्हें भी बुलाया गया था, पिछले वर्ष के लिए नन्हे को
पुरस्कार मिला है. बच्चों ने बहुत अच्छे कार्यक्रम प्रस्तुत किये. एक छोटी लडकी
बहुत तन्मयता से नाच रही थी उसके नृत्य में एक अजीब सी कशिश थी.
कहाँ खो गये क्या हो गये
वे मीठे बचपन
के दिन
परियां जब सचमुच होती थीं
भूतों के किस्से सच्चे थे
खुशियों का कोई मोल नहीं
था
आंसू भी अपने लगते थे
नन्हा आज घर पर है, सुबह से उसे पढ़ा रही थी, समय
कैसे बीत गया पता ही नहीं चला, इस समय वह टीवी देख रहा है अभी जून के आने में कुछ
मिनट हैं. उसकी परीक्षाओं के बाद उन्हें जाना है, मार्ग में परेशानियाँ तो आएँगी
ही छोटी-मोटी और उन्हें सहने के लिए अभी से खुद को तैयार करना होगा, और भी कई
छोटे-बड़े लक्ष्य हैं जिन्हें पाना है. जिन्दगी के ये अनमोल पल यूँही गंवाने के लिए
नहीं हैं. कभी अपने आप से जो वादे किये थे उन्हें पूरा करना है. खुद की तलाश में
जो सफर अभी अधूरा है उसे भी. जीवन का अर्थ सही मायनों में तलाशना है. अपने
इर्द-गिर्द जो कुछ भी है उसे बेहतर और बेहतर बनाना है. अपने परिवेश को परिजनों को
और अपने आपको भी इस जग में सही और सार्थक ढंग से स्थापित करना है.