Tuesday, November 6, 2012

नॉर्थ ईस्ट की हरियाली



जून का खत आया है, वह भी उसे लिखेगी, दो पेपर हो जाने के बाद. आज पूरे आठ दिन हो गए, अभी कितने दिन और लगेंगे उसकी आँखों को सफेद होने में. परसों पहला पेपर है, तैयारी हुई है या नहीं यही समझ नहीं आ रहा है, पढ़ती है तो सब याद आता है पर किताब बंद करते ही दिमाग में जैसे कुछ रहता ही नहीं. बिजली गायब है पिछले इतवार की तरह. कैसे बीत गए अस्वस्थता के ये आठ दिन, कैसे?

तीन पेपर हो गए हैं, डायरी लिखे हफ्तों हो गए हैं जैसे, आज सर में दर्द सा क्यों है, लिखते समय भी हो रहा था परीक्षा भवन में. पेपर फिफ्टी-फिफ्टी हो रहे हैं, साठ प्रतिशत के लायक तो नहीं हो पा रहे हैं. देखें क्या होता है. अब गणित का पेपर है, और फिर विज्ञान का, उसमें समय कम है, खैर अब पढ़ाई शुरू करनी चाहिए.

लगभग तीन सप्ताह बाद वह लिख रही है, उसकी परीक्षाएं खत्म हो गयीं, जून बनारस आए, वे सब यहाँ आ गए असम, यहाँ आये भी एक हफ्ता हो गया है, सब ठीक चल रहा है, जून का बेहिसाब ध्यान रखना, वह उन्हें स्वस्थ देखना चाहते हैं और थोड़े मोटे भी. घर से पत्र आए हैं. उसने सोचा कल जवाब देगी.

प्रथम जून, यानि ज्येष्ठ का महीना, पर यहाँ तो यह सावन का महीना ही लगता है. साढ़े दस हुए हैं, उसका सुबह का सब काम हो गया है, अभी कोई नैनी नहीं मिली है, पर उसे बनारस में रहकर काम करने की आदत से लाभ हुआ है, उसे यहाँ का काम इतना आसान लग रहा है, नन्हा अपने मित्र के साथ खेल रहा है. जून को शायद आज दिगबोई जाना है, उन्हें वहाँ से आए कल दो हफ्ते हो जायेंगे.

छोटे भाई व बहन को उसने जवाब दिया, उसके जन्मदिन पर दोनों के कार्ड आए थे. आज उनका एक परिचित परिवार सदा के लिए यहाँ से जा रहा है, अब पता नहीं कभी मिलेंगे या नहीं, वैसे वे दिल्ली जा रहे हैं, हो सकता है कभी मिलें. नन्हा आज अभी तक सोया है. उसके हाथों में निशान पड़ गए हैं, छोटे-छोटे दाने से, बाएं हाथ में साबुन पानी से, उन्हें महरी रखनी ही पडेगी.

कल जून की सातवीं तारीख थी, यानि उनके विवाह को कल पांच वर्ष पांच महीने हो गए. जून ने परसों पूछा, क्या वह नियमित डायरी लिखती है, उसने कहा, “नहीं”, अगर लिखती होती तो ‘हाँ’ कहती, अच्छा लगता उन दोनों को ही. जून यहाँ उनके आने के बाद खाने-पीने का बहुत ध्यान रख रहे हैं, कमर का घेरा बढ़ता जा रहा है और तो कहीं कुछ खास असर नहीं दीखता. नन्हा भी काफी कमजोर हो गया था, अब ठीक है, उसका दाखिला भी कराना है, देखें कहाँ होता है. मौसम यहाँ बहुत अच्छा है, आज सुबह बारिश हुई, इस समय दस बजे हैं, नन्हा गिनती लिख रहा है. मंझले भाई व माँ-पिता के पत्र आए हैं, कल वह उन्हें जवाब देगी. आज सुबह अचानक एक कार्यक्रम देखा, टीवी पर- “गीत के ढंग, संगीत के संग” कितना अच्छा गीत था और आवाज भी उतनी ही अच्छी- “फूलों से बातें करता था, खुशबुओं में रहता था... और दूसरा गीत व उसका संगीत तो अच्छा था आवाज ठीक नहीं थी. टीवी पर कल की फिल्म भी अच्छी थी, “हाफ टिकट” किशोर कुमार का अभिनय लाजवाब था अब कहाँ मिलते हैं ऐसे हीरो.
जून ने कहा है कि आज वे डिब्रूगढ़ जायेंगे. वे घर से सैंडविचेज़ बना कर ले जायेंगे. आज शनिवार है खत लिखने का दिन, तीन-चार खत लिखने हैं. कल रात जून ने एक अजीब कहना चाहिए खराब इंग्लिश फिल्म दिखाई, वह भी कहाँ जानते थे कि यह फिल्म ऐसी होगी. उन्हें साफ-सुथरी कलात्मक हिंदी फ़िल्में ही भाती हैं, ऊटपटांग इंग्लिश फिल्मों से दूर रहना ही बेहतर है. टीवी का रिसेप्शन फिर खराब हो गया है.

परसों वे पहली बार डिब्रूगढ़ विश्व विद्यालय गए, वहाँ का पुस्तकालय देखा, कुछ विभाग भी देखे, अच्छा लगा. चार पत्र लिखे, उसे मैडम को भी एक पत्र लिखना है और एक अपनी सहपाठिनी को. सुबह कितनी तेज धूप थी पर अब बादल छाये हैं. ठंडी हवा बह रही है, कितनी अच्छी जगह है भारत का यह उत्तर-पूर्वी राज्य.




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